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छत्तीसगढ़

CG: इस गंभीर बीमारी से पीड़ित बच्ची की मदद के लिए आगे आये सोनू सूद

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दंतेवाड़ा। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा जिले के कोर गांव बेंगूफर पारा में रहने वाली एक 8 साल की आदिवासी बालिका पिछले 6 सालों से एक गंभीर बीमारी से जूझ रही है, बीमारी भी ऐसी कि जिसके इलाज के लिए लाखों रुपए खर्च होने हैं और ठीक होने के भी काफी कम गुंजाइश होती है. आर्थिक रूप से कमजोर राजेश्वरी के घर में मां के अलावा कोई नहीं है. पिता की कुछ महीने पहले ही टीबी बीमारी के चलते मौत हो गई, इसलिए राजेश्वरी की मां उसका इलाज करवा पाने में पूरी तरह से अक्षम है, दरअसल राजेश्वरी ट्री मेन सिंड्रोम की गंभीर बीमारी से पीड़ित है.

इस बीमारी के चलते राजेश्वरी के पूरे शरीर पर पेड़ों की छाल के आकार की परत उग गई है, और यह धीरे-धीरे पूरे शरीर में फैल गई है, राजेश्वरी के जन्म के 2 साल बाद उसके पेट में पेड़ की छाल जैसी एक छोटी सी परत हो गई थी, जो फैलती चली गई और पूरे शरीर को अपने चपेट में ले लिया. जानकारों के अनुसार इस बीमारी को ट्री मैन सिंड्रोम के नाम से भी जाना जाता है और पूरे छत्तीसगढ़ में इस प्रकार की बीमारी का यह पहला मामला है, बताया जाता है कि लाखों लोगों में कुछ ही लोगो को यह बीमारी होती है.

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इधर दो 2 दिन पहले ही ओबीसी महासभा मध्य प्रदेश के ट्विटर हैंडल से राजेश्वरी की मदद और उसके इलाज के लिए सहयोग मांगी गई थी जिस पर बॉलीवुड स्टार सोनू सूद जो हमेशा लोगों की मदद के लिए आगे रहने के लिए जाने जाते हैं उन्होंने इस बच्ची के इलाज के लिए मदद करने की बात ट्वीट कर लिखी है. सोनू सूद ने लिखा है कि ‘चलिए कोशिश करते हैं ऊपर वाला है ना’.

दरअसल राजेश्वरी के इस गंभीर बीमारी से पीड़ित होने की जानकारी मिलने के बाद राज्य सरकार ने भी राजेश्वरी की मदद के लिए हाथ बढ़ाया और रायपुर के अच्छे अस्पताल में उसका इलाज भी करवाया, लेकिन अभी तक राजेश्वरी पूरी तरह से ठीक नहीं हो सकी है. डॉक्टरों के मुताबिक पेड़ों की छाल की तरह राजेश्वरी के शरीर में परत आ रही है.

उसके लिए इलाज भी किया गया लेकिन अब तक यह ठीक नहीं हो सका है. राजेश्वरी को बेहतर इलाज की जरूरत है जिससे वह ठीक हो सके, हालांकि डॉक्टरों ने यह भी कहा है कि पूरे भारत देश में ऐसे बहुत कम ही मामले आते हैं जिसमें इलाज के बाद भी रिकवरी होने के 90% चांस कम होते हैं. फिलहाल अब इस बच्ची की मदद के लिए बॉलीवुड स्टार सोनू सूद ने हाथ बढ़ाया है, हालांकि अब तक सोनू सूद ने जिला प्रशासन से इस बच्ची के बारे में जानकारी नहीं ली है, लेकिन बस्तर के लोगों को उम्मीद की किरण जरूर जागी है अगर सोनू सूद इस बच्ची के इलाज के लिए मदद करेंगे तो जरूर यह बच्ची पूरी तरह से ठीक हो जाएगी.गौरतलब है कि इससे पहले भी बस्तर के ही नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले में बाढ़ आने के दौरान एक आदिवासी ग्रामीण का मकान पूरी तरह से बारिश में ढह गया था और इस घर की 12वीं में पढ़ाई करने वाली छात्रा की कॉपी किताब भी पूरी तरह से भीग गए थे.छात्रा की अपनी पढ़ाई को लेकर चिंता कि सोशल मीडिया में वीडियो वायरल हुई थी, जिसके बाद इस बच्ची की मदद के लिए भी सोनू सूद ने हाथ बढ़ाया और बच्ची की पढ़ाई के साथ-साथ उसके हाई एजुकेशन के लिए भी पूरी मदद करने का आश्वासन दिया और बच्ची को सोनू सूद से मदद भी मिली. अब एक बार फिर नक्सल प्रभावित जिला दंतेवाड़ा में रहने वाली राजेश्वरी की मां को उम्मीद है कि गंभीर रूप से बीमार उसकी बेटी का इलाज हो पाएगा और वह भी आम बच्चियों जैसी स्वस्थ हो जाएगी. फिलहाल सोनू सूद के ट्वीट कर बच्ची की मदद के लिए आगे आने को लेकर उनके प्रशंसकों में काफी उत्साह है.

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Bilaspur के नामी LCIT Group of Institutions का छात्रों के साथ भयानक फर्जीवाड़ा : वादे बड़े-बड़े, हकीकत पानी-पानी!

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LCIT Group of College bilaspur

बिलासपुर: LCIT Group of Institutions – Bilaspur, जो हर साल एडमिशन के दौरान बड़े-बड़े वादे और लुभावने दावे करता है, उसकी सच्चाई अब धीरे-धीरे सामने आने लगी है। दावा किया जाता है कि यहां आधुनिक लैब्स, अनुभवी फैकल्टी और विश्वस्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर मिलेगा — लेकिन ग्राउंड रियलिटी कुछ और ही कहानी बयां कर रही है।

बारिश आई, लैब्स ने छलनी बनकर स्वागत किया!
हमें मिले वीडियो में कॉलेज की लैब्स से टपकती छतें साफ़ दिखाई दे रही हैं। जहां स्टूडेंट्स को मशीनों के साथ प्रैक्टिकल करना चाहिए था, वहां अब पानी से बचने के लिए प्लास्टिक की बाल्टियाँ रखी जा रही हैं। सवाल ये उठता है कि जब प्रयोगशालाएं ही सुरक्षित नहीं, तो शिक्षा कितनी सुरक्षित होगी?

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फैकल्टी? बस कागज़ों पर!
सूत्रों के अनुसार, यहां कई फैकल्टी सदस्य केवल ऑन पेपर मौजूद हैं। यानी नाम तो है, पर काम में कहीं नजर नहीं आते। छात्रों का कहना है कि कई विषयों की क्लास ही नियमित नहीं होती।

इंजीनियरिंग प्रिंसिपल भी सिर्फ नाम के!
कहा जा रहा है कि इंजीनियरिंग कॉलेज का प्रिंसिपल भी फुल टाइम नहीं है, बल्कि केवल औपचारिकता निभाने के लिए कागजों पर मौजूद हैं। यह छात्रों के भविष्य के साथ खुला मज़ाक है।

स्टाफ की नियुक्ति पर भी सवाल
बताया जा रहा है कि अधिकांश स्टाफ या तो यहीं के पुराने छात्र हैं या फिर अन्य कॉलेज से किसी वजह से हटाए गए लोग हैं। इससे शिक्षा की गुणवत्ता पर गंभीर प्रश्नचिह्न लग जाता है।

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🎙 बिलासपुर के इस संस्थान की मार्केटिंग चमचमाती है, लेकिन हकीकत में ढहती छतें, दिखावटी स्टाफ और खोखले दावे छात्रों के सपनों के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। ज़रूरत है कि शिक्षा को सिर्फ व्यापार न बनाकर, जिम्मेदारी समझा जाए

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CG News: सुरक्षाबलों की बड़ी कामयाबी, घने जंगलों से भारी मात्रा में नक्सल सामग्री बरामद

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बीजापुर के कोमटपल्ली के जंगलों से जवानों ने भारी मात्रा में नक्सल सामग्री बरामद किया है। घने जंगल में पहाड़ों के बीच नक्सलियों ने सामग्री छुपाकर रखा था।

बीजापुर: छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में सुरक्षाबलों के जवानों को बड़ी सफलता मिली है। जवानों ने भारी मात्रा में नक्सल सामग्री बरामद किया है। नक्सलियों ने कोमटपल्ली जंगल-पहाड़ में बड़े चट्टानों के बीच हथियार और अन्य सामान छुपा कर रखा था। जिसे सर्चिंग के दौरान जवानों की संयुक्त टीम ने बरामद किया है।

बरामद किए गए सामग्रियों में गैस वेल्डिंग मशीन मय नोजल, आक्सीजन सिलेण्डर, गैस वेल्डिंग में उपयोग आने वाला पावडर- 8 डिब्बा, इन्वर्टर- 1 नग, स्टेबलाईजर 5 नग, स्टील कंटेनर 3 नग, कमर्सियल मोटर 3 नग, ब्लोवर(धौकनी मशीन)- 2 नग, ग्लेण्डर मोटर- 1 नग, वेल्डिंग राड 200 नग, टुकड़ा लोहे का राड छोटा बड़ा 3- 3 नग, खाली मैग्जीन 3 नग, इलेक्ट्रिक स्वीच- 65 नग, रायफल सिलिंग -08 नग और 2 नग पोच शामिल है।

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निर्देश के बाद भी लापरवाही: धड़ल्ले से जल रही पराली, प्रदूषण बढ़ने का मंडरा रहा खतरा

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नगरी में रबि फसल की तैयारी के लिए किसान लगातार खेतों में पराली को आग के हवाले कर रहे हैं। जिसके चलते प्रदूषण का खतरा मंडरा रहा है।

छत्तीसगढ़ के नगरी के किसान इन दिनों रबि फसल की तैयारी में जुट गए हैं। इसी के साथ खेतों में लगातार पराली जलाने का सिलसिला भी शुरू हो गया है। किसान लगातार खेतों में पराली को आग के हवाले कर रहे हैं जिसके चलते प्रदूषण का खतरा मंडरा रहा है। वहीं इन किसानों को पराली जलाने से रोकने वाला भी कोई नहीं है।

दरअसल, जिला प्रशासन ने पैरादान करने का निर्देश दिया था। इसके बाद भी किसान लगातार पराली को आग के हवाले कर रहे हैं। जिसके कारण प्रदूषण फैलने की संभावना बढ़ गई है। नगरी सिहावा के आसपास के गांव के अधिकतर किसान पैरा में जलाते हुए नजर आ रहे है। वहीं विभागीय अधिकारी का उदासीनता के चलते भी किसान बेख़ौफ़ होकर पराली जला रहे हैं।

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