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छत्तीसगढ़

उत्तर बस्तर कांकेर : दुर्गम क्षेत्रों में उच्च स्तरीय पुलों के निर्माण से मिलेगी बारहमासी आवागमन की सुविधा

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उत्तर बस्तर कांकेर। जिले के दुर्गम एवं पहुंच विहीन क्षेत्रों में उच्च स्तरीय पुलों का निर्माण किया जा रहा है, जिससे आवगमन सुगम होगा। बारिश के दिनों में भी लोग सुगमतापूर्वक आ जा सकेंगे, जान जोखिम में डालकर नदी-नाला पार करने की जरूरत नहीं रहेगी।

जिले के कोयलीबेड़ा विकासखण्ड में 06 उच्च स्तरीय पुलों का निर्माण किया जा रहा है, जिससे क्षेत्र के लोंगों को बारहमासी आवागमन की सुविध मिलेगी। इस विकासखण्ड के पीव्ही-44 एवं पीव्ही-45 मार्ग पर अंजाड़ी नाला में 599 लाख रूपये की लागत से 120 मीटर लंबी उच्चस्तरीय पुल का निर्माण किया गया है।

इसके निर्माण से वनश्री नगर, जानकी नगर, घोड़ागांव, अंजाड़ी, श्रीपुर, संगम, जयश्रीनगर, डोटोमेटा, पीव्ही-72, पीव्ही-39, मुड़डोडा, पीव्ही-121, स्वरूपनगर, माचपल्ली, भिंडीडार, प्रतापपुर, पीव्ही-79, पीव्ही-70, पीव्ही-71, पीव्ही-72 इत्यादि गांवों के लोगों को लाभ मिलेगा। इस विकासखण्ड के देवीपुर- देवधा मार्ग में देवधा नदी पर 778 लाख रूपये की लागत से 90 मीटर उच्चस्तरीय पुल का निर्माण किया गया हैं। इसके निर्माण होने से पीव्ही-112 देवीपुर, देवधा, सत्यनगर, हरनगढ़, डोण्डे, भिंगीडार, संगम, बारदा, मथुराबाजार, ऐसेबेड़ा, अंजाड़ी, सड़कपारा, चांदीपुर, छोटे झाड़कट्टा, पीव्ही-66, पीव्ही-67, पीव्ही-68, पीव्ही-12, पीव्ही-129, पीव्ही-56, पीव्ही-60, पीव्ही-58, पीव्ही-57 एवं मुरडोडा के ग्रामीणों को आवगमन की सुविधा मिलेगी।

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कोयलीबेड़ा-प्रतापपुर मार्ग में 03 उच्च स्तरीय पुल का निर्माण हो रहा है। इस मार्ग के किलोमीटर 12/8 पर मेडकी नदी में 1183.09 लाख रूपये की लागत से 205.20 मीटर लंबाई के उच्चस्तरीय पुल का निर्माण किया गया हैं, इसके बनने से क्षेत्र के ग्राम सुलंगी, कलगांव, ऐटेबालका, सिकसोड़, कोयलीबेड़ा, जिरामतराई, उदनपुर, मुरनार, कामतेड़ा, कटगांव, माहला, गोटांश, प्रतापपुर, भिंगीडार, मथुराबाजार, बारदा, कड़में इत्यादि गांवों के लोग लभान्वित होंगे। इसी मार्ग में 23/8 किलोमीटर पर माहला नदी में लगभग 644 लाख रूपये की लागत से 102 मीटर लंबी उच्च स्तरीय पुल का निर्माण किया गया है।

इसी मार्ग में किलीमीटर 19/8 पर वालेर नदी में 1986.19 लाख रूपये की लागत से 373.20 मीटर लंबी उच्च स्तरीय पुल का निर्माण किया जा रहा है, जो इस माह पूरा होने की संभावना है। कोयलीबेड़ा विकासखण्ड में ही आतुरबेड़ा-भैंसगांव-निब्रा मार्ग के किलोमीटर 4/2 पर मेड़की नदी में 957.15 लाख रूपय की लागत से 147 मीटर लंबाई के उच्च स्तरीय पुल तथा भैंसगांव-आतुरबेड़ा मार्ग के किलोमीटर 3/4 पर मेड़की नदीं में 985.69 लाख रूपये की लागत से 180 मीटर लंबाई के उच्च स्तरीय पुल और पखांजूर-बांदे मार्ग के किलोमीटर 106/10 पर कोड़ेनार नाला में 1077 लाख रूपये की लागत से 196 मीटर उच्च स्तरीय पुल का निर्माण किया जा रहा है, जो इस माह पूरा होने की संभावना है। इस पुल के बन जाने से क्षेत्र के लोंगों को बारहमासी आवागमन की सुविधा मिलेगी।

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Bilaspur के नामी LCIT Group of Institutions का छात्रों के साथ भयानक फर्जीवाड़ा : वादे बड़े-बड़े, हकीकत पानी-पानी!

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LCIT Group of College bilaspur

बिलासपुर: LCIT Group of Institutions – Bilaspur, जो हर साल एडमिशन के दौरान बड़े-बड़े वादे और लुभावने दावे करता है, उसकी सच्चाई अब धीरे-धीरे सामने आने लगी है। दावा किया जाता है कि यहां आधुनिक लैब्स, अनुभवी फैकल्टी और विश्वस्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर मिलेगा — लेकिन ग्राउंड रियलिटी कुछ और ही कहानी बयां कर रही है।

बारिश आई, लैब्स ने छलनी बनकर स्वागत किया!
हमें मिले वीडियो में कॉलेज की लैब्स से टपकती छतें साफ़ दिखाई दे रही हैं। जहां स्टूडेंट्स को मशीनों के साथ प्रैक्टिकल करना चाहिए था, वहां अब पानी से बचने के लिए प्लास्टिक की बाल्टियाँ रखी जा रही हैं। सवाल ये उठता है कि जब प्रयोगशालाएं ही सुरक्षित नहीं, तो शिक्षा कितनी सुरक्षित होगी?

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फैकल्टी? बस कागज़ों पर!
सूत्रों के अनुसार, यहां कई फैकल्टी सदस्य केवल ऑन पेपर मौजूद हैं। यानी नाम तो है, पर काम में कहीं नजर नहीं आते। छात्रों का कहना है कि कई विषयों की क्लास ही नियमित नहीं होती।

इंजीनियरिंग प्रिंसिपल भी सिर्फ नाम के!
कहा जा रहा है कि इंजीनियरिंग कॉलेज का प्रिंसिपल भी फुल टाइम नहीं है, बल्कि केवल औपचारिकता निभाने के लिए कागजों पर मौजूद हैं। यह छात्रों के भविष्य के साथ खुला मज़ाक है।

स्टाफ की नियुक्ति पर भी सवाल
बताया जा रहा है कि अधिकांश स्टाफ या तो यहीं के पुराने छात्र हैं या फिर अन्य कॉलेज से किसी वजह से हटाए गए लोग हैं। इससे शिक्षा की गुणवत्ता पर गंभीर प्रश्नचिह्न लग जाता है।

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🎙 बिलासपुर के इस संस्थान की मार्केटिंग चमचमाती है, लेकिन हकीकत में ढहती छतें, दिखावटी स्टाफ और खोखले दावे छात्रों के सपनों के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। ज़रूरत है कि शिक्षा को सिर्फ व्यापार न बनाकर, जिम्मेदारी समझा जाए

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छत्तीसगढ़

CG News: सुरक्षाबलों की बड़ी कामयाबी, घने जंगलों से भारी मात्रा में नक्सल सामग्री बरामद

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बीजापुर के कोमटपल्ली के जंगलों से जवानों ने भारी मात्रा में नक्सल सामग्री बरामद किया है। घने जंगल में पहाड़ों के बीच नक्सलियों ने सामग्री छुपाकर रखा था।

बीजापुर: छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में सुरक्षाबलों के जवानों को बड़ी सफलता मिली है। जवानों ने भारी मात्रा में नक्सल सामग्री बरामद किया है। नक्सलियों ने कोमटपल्ली जंगल-पहाड़ में बड़े चट्टानों के बीच हथियार और अन्य सामान छुपा कर रखा था। जिसे सर्चिंग के दौरान जवानों की संयुक्त टीम ने बरामद किया है।

बरामद किए गए सामग्रियों में गैस वेल्डिंग मशीन मय नोजल, आक्सीजन सिलेण्डर, गैस वेल्डिंग में उपयोग आने वाला पावडर- 8 डिब्बा, इन्वर्टर- 1 नग, स्टेबलाईजर 5 नग, स्टील कंटेनर 3 नग, कमर्सियल मोटर 3 नग, ब्लोवर(धौकनी मशीन)- 2 नग, ग्लेण्डर मोटर- 1 नग, वेल्डिंग राड 200 नग, टुकड़ा लोहे का राड छोटा बड़ा 3- 3 नग, खाली मैग्जीन 3 नग, इलेक्ट्रिक स्वीच- 65 नग, रायफल सिलिंग -08 नग और 2 नग पोच शामिल है।

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छत्तीसगढ़

निर्देश के बाद भी लापरवाही: धड़ल्ले से जल रही पराली, प्रदूषण बढ़ने का मंडरा रहा खतरा

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नगरी में रबि फसल की तैयारी के लिए किसान लगातार खेतों में पराली को आग के हवाले कर रहे हैं। जिसके चलते प्रदूषण का खतरा मंडरा रहा है।

छत्तीसगढ़ के नगरी के किसान इन दिनों रबि फसल की तैयारी में जुट गए हैं। इसी के साथ खेतों में लगातार पराली जलाने का सिलसिला भी शुरू हो गया है। किसान लगातार खेतों में पराली को आग के हवाले कर रहे हैं जिसके चलते प्रदूषण का खतरा मंडरा रहा है। वहीं इन किसानों को पराली जलाने से रोकने वाला भी कोई नहीं है।

दरअसल, जिला प्रशासन ने पैरादान करने का निर्देश दिया था। इसके बाद भी किसान लगातार पराली को आग के हवाले कर रहे हैं। जिसके कारण प्रदूषण फैलने की संभावना बढ़ गई है। नगरी सिहावा के आसपास के गांव के अधिकतर किसान पैरा में जलाते हुए नजर आ रहे है। वहीं विभागीय अधिकारी का उदासीनता के चलते भी किसान बेख़ौफ़ होकर पराली जला रहे हैं।

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