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छत्तीसगढ़: सरकारी स्कूलों में 56.38 करोड़ के टेबलेट्स हो गए कबाड़

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रायपुर: 2017 में कॉस मॉस टेबलेट्स के माध्यम से शिक्षकों और बच्चों की स्कूलों में उपस्थिति का रिकॉर्ड रखने और उपस्थिति सुनिश्चित कराने के लिए टेबलेट में शिक्षकों की हाजिरी दो बार थम्ब लगाकर ली जाती थी। पहली बार जब वह स्कूल में पहुंचता और दूसरी बार वह स्कूल छोड़ता। थम्ब लगते ही टाइमिंग दर्ज होती। शिक्षक के नाम सहित स्कूल पहुंचने का समय व छोड़ने का समय दर्ज हो रहा था। स्कूल में कक्षावार कितने बच्चे उपस्थित हुए हैं हर दिन यह टेबलेट में दर्ज होता। वह भी ऑनलाइन। राज्य के अधिकारी इस सिस्टम के माध्यम से प्रदेशभर के किसी भी स्कूल की मौजूदा स्थिति का पता लगा सकते थे।

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डेढ़ साल चलने के बाद जैसे ही कोरोनाकाल में स्कूल बंद हुए, इन टेबलेट्स का उपयोग भी बंद कर दिया गया। वर्तमान में 70% से ज्यादा टेबलेट्स पूरी तरह से खराब हो चुके हैं। 30% टेबलेट चालू हैं, लेकिन उनका भी उपयोग गेम खेलने में हो रहा। शिक्षकों और बच्चों की स्कूलों में शत प्रतिशत उपस्थिति सुनिश्चित कराने के लिए इन उपकरणों की खरीदी की गई थी। इस प्रकार शिक्षा विभाग द्वारा बड़ी लापरवाही बरती गई। खास बात यह है कि इस लापरवाही के खुलासे के बाद भी इन टेबलेट्स का मेंटेनेंस भी नहीं कराया गया है। इसके चलते रजिस्टर में ही हाजिरी हो रही है। प्रदेश के सरकारी स्कूलों में छात्रों और शिक्षकों की हाजिरी के लिए 56.38 करोड़ रुपए खर्च कर खरीदे गए 48610 कॉस मॉस टेबलेट्स कबाड़ हो गए हैं। इन टेबलेट को वर्ष 2017 में खरीदा गया और सरकारी स्कूलों में भेजा गया था। इन टेबलेट्स से स्कूलों में संचालित सरकारी योजनाओं की मानिटरिंग की भी की जानी थी, लेकिन एक भी योजना का अपडेट इस टेबलेट में अपडेट नहीं किया गया।

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• प्रदेश में बांटे गए कुल 48610 टेबलेट्स

• प्राइमरी स्कूल- 30656

• पूर्व माध्यमिक- 13313

• हायर सेकंडरी- 2691

• हाई स्कूल- 1950

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Bilaspur के नामी LCIT Group of Institutions का छात्रों के साथ भयानक फर्जीवाड़ा : वादे बड़े-बड़े, हकीकत पानी-पानी!

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LCIT Group of College bilaspur

बिलासपुर: LCIT Group of Institutions – Bilaspur, जो हर साल एडमिशन के दौरान बड़े-बड़े वादे और लुभावने दावे करता है, उसकी सच्चाई अब धीरे-धीरे सामने आने लगी है। दावा किया जाता है कि यहां आधुनिक लैब्स, अनुभवी फैकल्टी और विश्वस्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर मिलेगा — लेकिन ग्राउंड रियलिटी कुछ और ही कहानी बयां कर रही है।

बारिश आई, लैब्स ने छलनी बनकर स्वागत किया!
हमें मिले वीडियो में कॉलेज की लैब्स से टपकती छतें साफ़ दिखाई दे रही हैं। जहां स्टूडेंट्स को मशीनों के साथ प्रैक्टिकल करना चाहिए था, वहां अब पानी से बचने के लिए प्लास्टिक की बाल्टियाँ रखी जा रही हैं। सवाल ये उठता है कि जब प्रयोगशालाएं ही सुरक्षित नहीं, तो शिक्षा कितनी सुरक्षित होगी?

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फैकल्टी? बस कागज़ों पर!
सूत्रों के अनुसार, यहां कई फैकल्टी सदस्य केवल ऑन पेपर मौजूद हैं। यानी नाम तो है, पर काम में कहीं नजर नहीं आते। छात्रों का कहना है कि कई विषयों की क्लास ही नियमित नहीं होती।

इंजीनियरिंग प्रिंसिपल भी सिर्फ नाम के!
कहा जा रहा है कि इंजीनियरिंग कॉलेज का प्रिंसिपल भी फुल टाइम नहीं है, बल्कि केवल औपचारिकता निभाने के लिए कागजों पर मौजूद हैं। यह छात्रों के भविष्य के साथ खुला मज़ाक है।

स्टाफ की नियुक्ति पर भी सवाल
बताया जा रहा है कि अधिकांश स्टाफ या तो यहीं के पुराने छात्र हैं या फिर अन्य कॉलेज से किसी वजह से हटाए गए लोग हैं। इससे शिक्षा की गुणवत्ता पर गंभीर प्रश्नचिह्न लग जाता है।

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🎙 बिलासपुर के इस संस्थान की मार्केटिंग चमचमाती है, लेकिन हकीकत में ढहती छतें, दिखावटी स्टाफ और खोखले दावे छात्रों के सपनों के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। ज़रूरत है कि शिक्षा को सिर्फ व्यापार न बनाकर, जिम्मेदारी समझा जाए

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छत्तीसगढ़

CG News: सुरक्षाबलों की बड़ी कामयाबी, घने जंगलों से भारी मात्रा में नक्सल सामग्री बरामद

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बीजापुर के कोमटपल्ली के जंगलों से जवानों ने भारी मात्रा में नक्सल सामग्री बरामद किया है। घने जंगल में पहाड़ों के बीच नक्सलियों ने सामग्री छुपाकर रखा था।

बीजापुर: छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में सुरक्षाबलों के जवानों को बड़ी सफलता मिली है। जवानों ने भारी मात्रा में नक्सल सामग्री बरामद किया है। नक्सलियों ने कोमटपल्ली जंगल-पहाड़ में बड़े चट्टानों के बीच हथियार और अन्य सामान छुपा कर रखा था। जिसे सर्चिंग के दौरान जवानों की संयुक्त टीम ने बरामद किया है।

बरामद किए गए सामग्रियों में गैस वेल्डिंग मशीन मय नोजल, आक्सीजन सिलेण्डर, गैस वेल्डिंग में उपयोग आने वाला पावडर- 8 डिब्बा, इन्वर्टर- 1 नग, स्टेबलाईजर 5 नग, स्टील कंटेनर 3 नग, कमर्सियल मोटर 3 नग, ब्लोवर(धौकनी मशीन)- 2 नग, ग्लेण्डर मोटर- 1 नग, वेल्डिंग राड 200 नग, टुकड़ा लोहे का राड छोटा बड़ा 3- 3 नग, खाली मैग्जीन 3 नग, इलेक्ट्रिक स्वीच- 65 नग, रायफल सिलिंग -08 नग और 2 नग पोच शामिल है।

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छत्तीसगढ़

निर्देश के बाद भी लापरवाही: धड़ल्ले से जल रही पराली, प्रदूषण बढ़ने का मंडरा रहा खतरा

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नगरी में रबि फसल की तैयारी के लिए किसान लगातार खेतों में पराली को आग के हवाले कर रहे हैं। जिसके चलते प्रदूषण का खतरा मंडरा रहा है।

छत्तीसगढ़ के नगरी के किसान इन दिनों रबि फसल की तैयारी में जुट गए हैं। इसी के साथ खेतों में लगातार पराली जलाने का सिलसिला भी शुरू हो गया है। किसान लगातार खेतों में पराली को आग के हवाले कर रहे हैं जिसके चलते प्रदूषण का खतरा मंडरा रहा है। वहीं इन किसानों को पराली जलाने से रोकने वाला भी कोई नहीं है।

दरअसल, जिला प्रशासन ने पैरादान करने का निर्देश दिया था। इसके बाद भी किसान लगातार पराली को आग के हवाले कर रहे हैं। जिसके कारण प्रदूषण फैलने की संभावना बढ़ गई है। नगरी सिहावा के आसपास के गांव के अधिकतर किसान पैरा में जलाते हुए नजर आ रहे है। वहीं विभागीय अधिकारी का उदासीनता के चलते भी किसान बेख़ौफ़ होकर पराली जला रहे हैं।

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