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छत्तीसगढ़

रोजगार सहायकों को कोविड अनुकूल व्यवहार के बारे में दिया जाएगा प्रशिक्षण, छत्तीसगढ़ के 9240 रोजगार सहायक होंगे प्रशिक्षित

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रायपुर| मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) कार्यस्थलों पर कोविड अनुकूल व्यवहार सुनिश्चित करने प्रदेश भर के रोजगार सहायकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री टी.एस. सिंहदेव के निर्देश पर राज्य मनरेगा कार्यालय द्वारा योजना के अंतर्गत कार्यरत 9240 ग्राम रोजगार सहायकों के ऑनलाइन प्रशिक्षण की कार्ययोजना तैयार की गई है। ठाकुर प्यारेलाल राज्य पंचायत एवं ग्रामीण विकास संस्थान, निमोरा (एसआईआरडी) द्वारा 6 जुलाई से 19 जुलाई के बीच अलग-अलग ऑनलाइन सत्रों में रोजगार सहायकों के प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई है। एसआईआरडी ने सभी जिला पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को परिपत्र के माध्यम से प्रशिक्षण के संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

ग्राम रोजगार सहायकों को कोविड अनुकूल व्यवहार के प्रशिक्षण से मनरेगा कार्यस्थलों में संक्रमण से बचने जरूरी सावधानियों और उपायों को लागू करने में सहायता मिलेगी। वे मनरेगा श्रमिकों को इस बारे में बेहतर ढंग से सेन्सिटाइज कर पाएंगे। राज्य मनरेगा कार्यालय के अधिकारियों ने बताया कि राज्य पंचायत एवं ग्रामीण विकास संस्थान के माध्यम से कोविड अनुकूल व्यवहारों पर रोजगार सहायकों के लिए 6 जुलाई से 19 जुलाई तक व्ही.सी. नेटवर्क व लिंक के माध्यम से ऑनलाइन प्रशिक्षण आयोजित किया जा रहा है। इसके लिए प्रत्येक जिले के लिए अलग-अलग तिथि एवं समय निर्धारित किया गया है।

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एसआईआरडी द्वारा प्रशिक्षण के दौरान कोविड-19 के संबंध में शासन द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए जिलों में प्रत्येक प्रशिक्षण केन्द्र में अधिकतम दस प्रतिभागियों के बैठने की व्यवस्था करने कहा गया है। प्रशिक्षण के दौरान पूरे समय कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करने के निर्देश दिए गए हैं। ऐसे प्रतिभागी जो किसी केन्द्र में नहीं बैठ पा रहे हैं और जो मोबाइल, डेस्कटॉप या लेपटॉप के माध्यम से प्रशिक्षण में शामिल होंगे, उनके लिए निर्धारित प्रशिक्षण तिथि से एक दिन पहले ऑनलाइन-लिंक भेजने की व्यवस्था भी की गई है। प्रशिक्षण की मॉनिटरिंग के लिए इसमें शामिल प्रतिभागियों की सूची प्रशिक्षण के बाद एसआईआरडी को उपलब्ध कराने के निर्देश भी सभी जिलों को दिए गए हैं।

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जिलावार प्रशिक्षण कार्यक्रम

रायपुर एवं बलौदाबाजार-भाटापारा जिले के रोजगार सहायकों को 6 जुलाई को सुबह 11 बजे से तथा गरियाबंद एवं महासमुन्द के रोजगार सहायकों को दोपहर ढाई बजे से प्रशिक्षण दिया जाएगा। 7 जुलाई को सुबह 11 बजे से धमतरी व दुर्ग, 8 जुलाई को सुबह 11 बजे से बेमेतरा और बालोद, 9 जुलाई को सुबह 11 बजे से राजनांदगांव, 12 जुलाई को सुबह 11 बजे से कबीरधाम व बस्तर तथा दोपहर ढाई बजे से कोण्डागाँव, नारायणपुर व काँकेर जिले में पदस्थ ग्राम रोजगार सहायकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा।  

कोविड एप्रोप्रिएट बिहेवियर पर 13 जुलाई को सुबह 11 बजे से दंतेवाड़ा, सुकमा, बीजापुर व सरगुजा तथा दोपहर ढाई बजे से सूरजपुर व बलरामपुर-रामानुजगंज, 15 जुलाई को सुबह 11 बजे से कोरिया व जशपुर एवं दोपहर ढाई बजे से बिलासपुर व मुंगेली, 16 जुलाई को सुबह 11 बजे से रायगढ़ और दोपहर ढाई बजे से जाँजगीर-चाम्पा तथा 19 जुलाई को सुबह 11 बजे से गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही व कोरबा जिले के प्रतिभागियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा।

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Bilaspur के नामी LCIT Group of Institutions का छात्रों के साथ भयानक फर्जीवाड़ा : वादे बड़े-बड़े, हकीकत पानी-पानी!

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LCIT Group of College bilaspur

बिलासपुर: LCIT Group of Institutions – Bilaspur, जो हर साल एडमिशन के दौरान बड़े-बड़े वादे और लुभावने दावे करता है, उसकी सच्चाई अब धीरे-धीरे सामने आने लगी है। दावा किया जाता है कि यहां आधुनिक लैब्स, अनुभवी फैकल्टी और विश्वस्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर मिलेगा — लेकिन ग्राउंड रियलिटी कुछ और ही कहानी बयां कर रही है।

बारिश आई, लैब्स ने छलनी बनकर स्वागत किया!
हमें मिले वीडियो में कॉलेज की लैब्स से टपकती छतें साफ़ दिखाई दे रही हैं। जहां स्टूडेंट्स को मशीनों के साथ प्रैक्टिकल करना चाहिए था, वहां अब पानी से बचने के लिए प्लास्टिक की बाल्टियाँ रखी जा रही हैं। सवाल ये उठता है कि जब प्रयोगशालाएं ही सुरक्षित नहीं, तो शिक्षा कितनी सुरक्षित होगी?

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फैकल्टी? बस कागज़ों पर!
सूत्रों के अनुसार, यहां कई फैकल्टी सदस्य केवल ऑन पेपर मौजूद हैं। यानी नाम तो है, पर काम में कहीं नजर नहीं आते। छात्रों का कहना है कि कई विषयों की क्लास ही नियमित नहीं होती।

इंजीनियरिंग प्रिंसिपल भी सिर्फ नाम के!
कहा जा रहा है कि इंजीनियरिंग कॉलेज का प्रिंसिपल भी फुल टाइम नहीं है, बल्कि केवल औपचारिकता निभाने के लिए कागजों पर मौजूद हैं। यह छात्रों के भविष्य के साथ खुला मज़ाक है।

स्टाफ की नियुक्ति पर भी सवाल
बताया जा रहा है कि अधिकांश स्टाफ या तो यहीं के पुराने छात्र हैं या फिर अन्य कॉलेज से किसी वजह से हटाए गए लोग हैं। इससे शिक्षा की गुणवत्ता पर गंभीर प्रश्नचिह्न लग जाता है।

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🎙 बिलासपुर के इस संस्थान की मार्केटिंग चमचमाती है, लेकिन हकीकत में ढहती छतें, दिखावटी स्टाफ और खोखले दावे छात्रों के सपनों के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। ज़रूरत है कि शिक्षा को सिर्फ व्यापार न बनाकर, जिम्मेदारी समझा जाए

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छत्तीसगढ़

CG News: सुरक्षाबलों की बड़ी कामयाबी, घने जंगलों से भारी मात्रा में नक्सल सामग्री बरामद

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बीजापुर के कोमटपल्ली के जंगलों से जवानों ने भारी मात्रा में नक्सल सामग्री बरामद किया है। घने जंगल में पहाड़ों के बीच नक्सलियों ने सामग्री छुपाकर रखा था।

बीजापुर: छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में सुरक्षाबलों के जवानों को बड़ी सफलता मिली है। जवानों ने भारी मात्रा में नक्सल सामग्री बरामद किया है। नक्सलियों ने कोमटपल्ली जंगल-पहाड़ में बड़े चट्टानों के बीच हथियार और अन्य सामान छुपा कर रखा था। जिसे सर्चिंग के दौरान जवानों की संयुक्त टीम ने बरामद किया है।

बरामद किए गए सामग्रियों में गैस वेल्डिंग मशीन मय नोजल, आक्सीजन सिलेण्डर, गैस वेल्डिंग में उपयोग आने वाला पावडर- 8 डिब्बा, इन्वर्टर- 1 नग, स्टेबलाईजर 5 नग, स्टील कंटेनर 3 नग, कमर्सियल मोटर 3 नग, ब्लोवर(धौकनी मशीन)- 2 नग, ग्लेण्डर मोटर- 1 नग, वेल्डिंग राड 200 नग, टुकड़ा लोहे का राड छोटा बड़ा 3- 3 नग, खाली मैग्जीन 3 नग, इलेक्ट्रिक स्वीच- 65 नग, रायफल सिलिंग -08 नग और 2 नग पोच शामिल है।

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छत्तीसगढ़

निर्देश के बाद भी लापरवाही: धड़ल्ले से जल रही पराली, प्रदूषण बढ़ने का मंडरा रहा खतरा

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नगरी में रबि फसल की तैयारी के लिए किसान लगातार खेतों में पराली को आग के हवाले कर रहे हैं। जिसके चलते प्रदूषण का खतरा मंडरा रहा है।

छत्तीसगढ़ के नगरी के किसान इन दिनों रबि फसल की तैयारी में जुट गए हैं। इसी के साथ खेतों में लगातार पराली जलाने का सिलसिला भी शुरू हो गया है। किसान लगातार खेतों में पराली को आग के हवाले कर रहे हैं जिसके चलते प्रदूषण का खतरा मंडरा रहा है। वहीं इन किसानों को पराली जलाने से रोकने वाला भी कोई नहीं है।

दरअसल, जिला प्रशासन ने पैरादान करने का निर्देश दिया था। इसके बाद भी किसान लगातार पराली को आग के हवाले कर रहे हैं। जिसके कारण प्रदूषण फैलने की संभावना बढ़ गई है। नगरी सिहावा के आसपास के गांव के अधिकतर किसान पैरा में जलाते हुए नजर आ रहे है। वहीं विभागीय अधिकारी का उदासीनता के चलते भी किसान बेख़ौफ़ होकर पराली जला रहे हैं।

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