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शिक्षा

मिड डे मील में मीट-भात, बिरयानी… इस स्कूल में खूब परोसा जाता पौष्टिक भोजन

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राही हलदरकोलकाता : प्राथमिक स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने के सरकार लंबे समय से पूरे देश में मिड डे मील योजना चला रही है. योजना के तहत बच्चों को दोपहर में स्कूल में भोजन उपलब्ध करवाया जाता है.

भोजन में सरकार के दिशानिर्देशों के हिसाब से तरह-तरह की चीजें दी जाती हैं. लेकिन, कई जगहों से ऐसी खबरें आती हैं कि बच्चों को परोसा जाने वाला भोजन पौष्टिक और गुणवत्तापूर्ण नहीं होता. लेकिन, इस दिशा में पश्चिम बंगाल के स्कूल की प्रधानाचार्य ने एक नया मानक स्थापित किया है.

यह कहानी है कोलकाता के पास हुगली के फुरफुरा नारायणी बालिका विद्यालय की. यहां की छात्राएं अपने मध्याह्न भोजन से बहुत खुश हैं. विद्यालय में प्रतिदिन नए-नए व्यंजन बनाकर विद्यार्थियों को मध्याह्न भोजन दिया जाता है. यहां तक ​​कि छात्राओं को मौसमी फल भी दिए जाते हैं. तरह-तरह की मिठाइयां बांटी जाती है. मध्याह्न भोजन में मीट-चावल और बिरयानी भी शामिल है.

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छात्राओं का दावा है कि अगर वे अपनी दादी-नानी से उनका पसंदीदा खाना मांगें तो वह अगले दिन मिड-डे मील में आ जाता है. उदाहरण के पौष पर्बन के बाद छात्राओं को पीठ खाने की प्रथा थी, जिसके अनुसार दोपहर के समय छात्राओं को अतिरिक्त रूप में खिचुरी के साथ-साथ पतिसप्ता भी दिया जाता था.

ऐसे मैनेज होता है लागत
इस विद्यालय में छात्राओं की संख्या लगभग 400 है. विद्यालय की प्रधानाध्यापिका मृदला हलदर ने कहा कि पौष पर्बन के अवसर पर छात्राओं के लिए पतिसप्ता का आयोजन किया गया. लेकिन, हर दिन मिड-डे मिल में लड़कियों के लिए कुछ खास चीजें होती हैं. अतिरिक्त और अच्छा भोजन देने के लिए पैसे की बात प्रधानाध्यापिका बताती हैं कि ऐसा कोई खास तकनीक नहीं है. स्कूल के अतिरिक्त खर्च को बचाकर हम लोग ऐसा कर लेते हैं. उन्होंने बताया कि मिड डे मील के राशन खरीदने की जिम्मेदारी उन्होंने अपने कंधों पर ले रखी है. इस कारण चीजों को मैनेज कर बच्चों की पसंद की चीजों की भी खरीद हो जाती है.

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उन्होंने आगे कहा कि स्कूल के शिक्षक अगर थोड़ा-थोड़ा सहयोग करें तो मिड डे मील काफी बेहतर हो सकता है. स्कूली छात्राओं को दोपहर के समय ताजा खाना खिलाना कैसे संभव है, इस सवाल पर प्रधान शिक्षक ने कहा कि इसका एकमात्र तरीका शून्य अपशिष्ट और मानव संसाधन है. उनके मुताबिक स्कूल के मिड-डे मील के लिए छात्रों, अन्य शिक्षकों या अभिभावकों से कभी कोई पैसा नहीं लिया गया. यह सब स्कूल के अन्य खर्चों को बचाने से संभव हुआ.

उन्होंने बताया कि स्कूल का खर्च बचाने के लिए शिक्षक अपना भोजन लेकर आते हैं. प्रधानाध्यापक के अनुसार यदि शिक्षकों के मानव संसाधन को अर्थव्यवस्था में परिवर्तित किया जा सके तो वही उनकी सफलता की कुंजी है.

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Bilaspur के नामी LCIT Group of Institutions का छात्रों के साथ भयानक फर्जीवाड़ा : वादे बड़े-बड़े, हकीकत पानी-पानी!

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LCIT Group of College bilaspur

बिलासपुर: LCIT Group of Institutions – Bilaspur, जो हर साल एडमिशन के दौरान बड़े-बड़े वादे और लुभावने दावे करता है, उसकी सच्चाई अब धीरे-धीरे सामने आने लगी है। दावा किया जाता है कि यहां आधुनिक लैब्स, अनुभवी फैकल्टी और विश्वस्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर मिलेगा — लेकिन ग्राउंड रियलिटी कुछ और ही कहानी बयां कर रही है।

बारिश आई, लैब्स ने छलनी बनकर स्वागत किया!
हमें मिले वीडियो में कॉलेज की लैब्स से टपकती छतें साफ़ दिखाई दे रही हैं। जहां स्टूडेंट्स को मशीनों के साथ प्रैक्टिकल करना चाहिए था, वहां अब पानी से बचने के लिए प्लास्टिक की बाल्टियाँ रखी जा रही हैं। सवाल ये उठता है कि जब प्रयोगशालाएं ही सुरक्षित नहीं, तो शिक्षा कितनी सुरक्षित होगी?

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फैकल्टी? बस कागज़ों पर!
सूत्रों के अनुसार, यहां कई फैकल्टी सदस्य केवल ऑन पेपर मौजूद हैं। यानी नाम तो है, पर काम में कहीं नजर नहीं आते। छात्रों का कहना है कि कई विषयों की क्लास ही नियमित नहीं होती।

इंजीनियरिंग प्रिंसिपल भी सिर्फ नाम के!
कहा जा रहा है कि इंजीनियरिंग कॉलेज का प्रिंसिपल भी फुल टाइम नहीं है, बल्कि केवल औपचारिकता निभाने के लिए कागजों पर मौजूद हैं। यह छात्रों के भविष्य के साथ खुला मज़ाक है।

स्टाफ की नियुक्ति पर भी सवाल
बताया जा रहा है कि अधिकांश स्टाफ या तो यहीं के पुराने छात्र हैं या फिर अन्य कॉलेज से किसी वजह से हटाए गए लोग हैं। इससे शिक्षा की गुणवत्ता पर गंभीर प्रश्नचिह्न लग जाता है।

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🎙 बिलासपुर के इस संस्थान की मार्केटिंग चमचमाती है, लेकिन हकीकत में ढहती छतें, दिखावटी स्टाफ और खोखले दावे छात्रों के सपनों के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। ज़रूरत है कि शिक्षा को सिर्फ व्यापार न बनाकर, जिम्मेदारी समझा जाए

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कोरबा

ई.वी.पी.जी. कॉलेज कोरबा में जनभागीदारी शिक्षक नियुक्ति की मांग पर भूगोल विभाग के छात्रों का आवेदन

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कोरबा जिले के प्रतिष्ठित ई.वी.पी.जी. कॉलेज में भूगोल विभाग के विद्यार्थियों ने शिक्षक नियुक्ति और शिक्षा के स्तर में सुधार के लिए प्राचार्या के समक्ष आवेदन दिया है। छात्रों का कहना है कि विभाग में केवल दो शिक्षकों के पद स्वीकृत हैं, जिनमें एक विभागाध्यक्ष और एक अतिथि शिक्षिका नियुक्त हैं। पहले, विभाग में जनभागीदारी शुल्क के माध्यम से एक जनभागीदारी शिक्षक भी नियुक्त किया जाता था, जिससे शैक्षणिक जरूरतें पूरी होती थीं।

हालांकि, नए प्राचार्या के आने के बाद से इस व्यवस्था में अनियमितता देखी जा रही है, और सत्र 2024-25 में अभी तक किसी भी जनभागीदारी शिक्षक की नियुक्ति नहीं की गई है, जिससे शिक्षण का स्तर प्रभावित हो रहा है। 5 नवंबर 2024 को भूगोल विभाग के छात्रों ने प्राचार्या से 7 दिनों के भीतर जनभागीदारी शिक्षक की नियुक्ति का आग्रह किया और किसी अड़चन के लिए उचित दस्तावेज प्रस्तुत करने की मांग की। छात्रों का कहना है कि यदि नियुक्ति में कोई समस्या है, तो वे इसे रायपुर उच्च शिक्षा आयुक्त के पास ले जाकर समाधान मांग सकते हैं।

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विद्यार्थियों ने पूर्व में भी विभागाध्यक्ष के माध्यम से प्राचार्या से अनुरोध किया था, लेकिन उस पर कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाए गए। छात्रों का कहना है कि जनभागीदारी शिक्षक की अनुपस्थिति से शैक्षिक गुणवत्ता प्रभावित हो रही है, इसलिए उन्होंने अब यह कदम उठाया है।

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देश

।।वाइब्रेंट एकेडमी का IIT/NEET में लगातार 4 वर्षो से रिकॉर्ड रैंक-1,1 अप्रैल से नया बैच आरंभ।।

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कोटा राजस्थान की संस्था वाइब्रेंट एकेडमी जो की विगत 4 सालो से रेकॉर्ड IIT ऑर NEET के परिणाम देते आरही है,मेन्स 2024 के प्रथम चरण में लगातार चतुर्थ वर्ष अवनीश पाण्डेय ने 99.96%ile,2023 में सौरभ वर्मा द्वारा IIT एडवांस में AIR 127 प्राप्त कर,2022 में सानिया मित्तल द्वारा IIT एडवांस में AIR 365 प्राप्त कर,,2021 में शिखर अग्रवाल द्वारा IIT एडवांस में AIR 247 प्राप्त कर छत्तीसगढ़ टॉप किया है।

2023 में NEET में भी 37 छात्र-छात्राओं ने,2022 में 22 छात्र-छात्राओं ने,2021 में 09 छात्र-छात्राओं ने विभिन्न गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज प्राप्त कर परचम लहराया था। CBSE 10th एवं 12th लगातार 3 वर्षो से छत्तीसगढ़ स्टेट टॉप कर छात्रों ने संस्था,बिलासपुर और माता-पिता का नाम रोशन किया।

संस्था के प्रबंधक रौशन पाण्डेय ने बताया की संस्था की विख्यात एवं स्थायी टीम शिक्षको श्री दीपक तिवारी (IIT BHU) कानपुर से,श्री विवेक सिंह झारखंड से,श्री जितेंद्र शर्मा (IIT पंजाब रोपड़) आगरा से,श्री कुन्दन कुमार (KK सर) मोतीहारी बिहार से,श्री अरविंद दिवेदी पटना से,की टीम अपने पूरे अनुभव और सम्पूर्ण क्षमता से बच्चो और अभिभावकों के सपनों को साकार करने में कोई कसर नहीं छोड़े है और न ही भविष्य में छोड़ेंगे।

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बिलासपुर छत्तीसगढ़ में आईआईटी-जेईई की तैयारी के लिए एक प्रतिष्ठित संस्थान, वाइब्रेंट एकेडमी ने हाल ही में आर्थिक रूप से वंचित और मेधावी आईआईटी-जेईई उम्मीदवारों के लिए VAJRA-111 नामक एक नई छात्रवृत्ति योजना का अनावरण किया है। वंचित और मेधावी छात्रों के लिए बनाई गई इस नई योजना ने संस्थान को फिर से सुर्खियों में ला दिया है।वज्र-111 कार्यक्रम के तहत, छात्र बिलासपुर अध्ययन केंद्र के लिए केवल 1/- रुपये में ऑफ़लाइन कोचिंग, छात्रावास और मेस जैसी सुविधा का लाभ उठाएंगे।

यह छात्रवृत्ति कार्यक्रम उन छात्रों के लिए बेहद खुशी लेकर आया है जो आईआईटी का सपना देखते थे लेकिन आर्थिक तंगी के कारण ऐसा नहीं कर पाते थे और अब अपने सपनों को पूरा कर सकते हैं।

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शिक्षकों ने कहाँ हमारा लक्ष्य अपने छात्रों को आवश्यक संसाधन और प्रोत्साहन देकर उनकी आईआईटी-जेईई/नीट की तैयारी में उत्कृष्टता प्राप्त करने में मदद करना है। वज्र 111 छात्रों के बोझ को कम करने में मदद करेगा, विशेष रूप से जो वंचित और योग्य हैं, उन्हें अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने और सफल होने की अनुमति देगा।

संस्था के प्रबन्धक रौशन पाण्डेय एवं विवेक शर्मा,दीपक तिवारी,विवेक शर्मा,रत्नेश केशरी ने अपने अनुभव, ज्ञान और प्रयासों तथा छात्रों की अटूट प्रतिबद्धता और ईमानदार प्रयासों के साथ, वाइब्रेंट एकेडमी ने आईआईटी-जेईई/नीट प्रवेश परीक्षा में सफलतापूर्वक आशाजनक परिणाम प्राप्त किए और भारत स्तर पर प्रसिद्ध संस्थान बनकर अपनी सफलता की यात्रा शुरू की।

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