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छत्तीसगढ़

CG : इस तारीख तक पंजीयन करा लें किसान, वरना नहीं बेच पाएंगे फसल…

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रायपुर। छत्तीसगढ़ में खरीफ सीजन के धान और मक्का की खरीदी की तैयारी की जा रही है। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान और मक्का बेचने वाले किसानों को 31 अक्टूबर तक एकीकृत किसान पोर्टल में पंजीयन करना होगा। वहीं पिछले साल जिन किसानों ने समर्थन मूल्य में धान बेची थी, उनको दोबारा पंजीयन करवाने की जरूरत नहीं है, जबकि नए किसानों को धान और मक्का बेचने के लिए पंजीयन करवाना होगा। वहीं जिनका पंजीयन नहीं होगा, उनसे धान और मक्का की खरीद सरकार नहीं करेगी।

31 अक्टूबर तक करना होगा पंजीयन

दरअसल राज्य सरकार ने खरीफ विपणन साल 2022-23 में समर्थन मूल्य पर धान और मक्का खरीदने के लिएतैयारी शुरू कर दी है। इस संबंध में छत्तीसगढ़ खाद्य, नागरिक आपूर्ति विभाग ने आदेश जारी किया है। जारी आदेश के अनुसार एकीकृत किसान पोर्टल पर किसानों के नवीन पंजीयन और पंजीकृत फसल अथवा रकबे में संशोधन की कार्यवाही 31 अक्टूबर तक की जाएगी। पंजीकृत किसानों से ही समर्थन मूल्य पर धान और मक्का की खरीदी की जाएगी। एकीकृत किसान पोर्टल में नवीन पंजीयन के लिए ऋण पुस्तिका, बी-1, आधार नंबर, बैंक पासबुक की छाया प्रति के साथ निर्धारित प्रपत्र में आवेदन करना होगा।

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एक करोड़ पांच लाख मीट्रिक टन धान खरीदने की तैयारी

एकीकृत किसान पोर्टल में राजीव गांधी किसान न्याय योजना, मुख्यमंत्री पौधरोपण प्रोत्साहन योजना, धान एवं मक्का उपार्जन, कोदो-कुटकी और रागी उपार्जन योजना को शामिल किया गया है। पिछले साल प्रदेश में 21 लाख 77 हजार से अधिक किसानों ने 98 लाख मीट्रिक टन धान बेचा था। सरकार ने इस बार एक करोड़ पांच लाख मीट्रिक टन धान खरीदने की तैयारी की है। अधिकारियों का कहना है कि सरकार जल्दी ही धान खरीदी शुरू होने की तारीखों की घोषणा करेगी।

एकीकृत पोर्टल शुरू होने से किसानों को मिली राहत

अधिकारियों ने बताया कि प्रदेश के किसानों को विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए अलग-अलग कार्यालयों में आवेदन और पंजीयन कराना पड़ता था। इससे किसानों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता था। अब सरकार ने इस प्रक्रिया का सरलीकरण कर विभिन्न योजनाओं के लिए एक प्लेटफार्म बना दिया। कृषक पंजीयन के लिए एकीकृत किसान पोर्टल विकसित किया गया। इसको राजस्व विभाग के भुंईया पोर्टल से लिंक कर दिया गया है, ताकि किसानों की जमीन और बोई गई फसलों के रकबा सत्यापन किया जा सके।

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Bilaspur के नामी LCIT Group of Institutions का छात्रों के साथ भयानक फर्जीवाड़ा : वादे बड़े-बड़े, हकीकत पानी-पानी!

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LCIT Group of College bilaspur

बिलासपुर: LCIT Group of Institutions – Bilaspur, जो हर साल एडमिशन के दौरान बड़े-बड़े वादे और लुभावने दावे करता है, उसकी सच्चाई अब धीरे-धीरे सामने आने लगी है। दावा किया जाता है कि यहां आधुनिक लैब्स, अनुभवी फैकल्टी और विश्वस्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर मिलेगा — लेकिन ग्राउंड रियलिटी कुछ और ही कहानी बयां कर रही है।

बारिश आई, लैब्स ने छलनी बनकर स्वागत किया!
हमें मिले वीडियो में कॉलेज की लैब्स से टपकती छतें साफ़ दिखाई दे रही हैं। जहां स्टूडेंट्स को मशीनों के साथ प्रैक्टिकल करना चाहिए था, वहां अब पानी से बचने के लिए प्लास्टिक की बाल्टियाँ रखी जा रही हैं। सवाल ये उठता है कि जब प्रयोगशालाएं ही सुरक्षित नहीं, तो शिक्षा कितनी सुरक्षित होगी?

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फैकल्टी? बस कागज़ों पर!
सूत्रों के अनुसार, यहां कई फैकल्टी सदस्य केवल ऑन पेपर मौजूद हैं। यानी नाम तो है, पर काम में कहीं नजर नहीं आते। छात्रों का कहना है कि कई विषयों की क्लास ही नियमित नहीं होती।

इंजीनियरिंग प्रिंसिपल भी सिर्फ नाम के!
कहा जा रहा है कि इंजीनियरिंग कॉलेज का प्रिंसिपल भी फुल टाइम नहीं है, बल्कि केवल औपचारिकता निभाने के लिए कागजों पर मौजूद हैं। यह छात्रों के भविष्य के साथ खुला मज़ाक है।

स्टाफ की नियुक्ति पर भी सवाल
बताया जा रहा है कि अधिकांश स्टाफ या तो यहीं के पुराने छात्र हैं या फिर अन्य कॉलेज से किसी वजह से हटाए गए लोग हैं। इससे शिक्षा की गुणवत्ता पर गंभीर प्रश्नचिह्न लग जाता है।

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🎙 बिलासपुर के इस संस्थान की मार्केटिंग चमचमाती है, लेकिन हकीकत में ढहती छतें, दिखावटी स्टाफ और खोखले दावे छात्रों के सपनों के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। ज़रूरत है कि शिक्षा को सिर्फ व्यापार न बनाकर, जिम्मेदारी समझा जाए

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छत्तीसगढ़

CG News: सुरक्षाबलों की बड़ी कामयाबी, घने जंगलों से भारी मात्रा में नक्सल सामग्री बरामद

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बीजापुर के कोमटपल्ली के जंगलों से जवानों ने भारी मात्रा में नक्सल सामग्री बरामद किया है। घने जंगल में पहाड़ों के बीच नक्सलियों ने सामग्री छुपाकर रखा था।

बीजापुर: छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में सुरक्षाबलों के जवानों को बड़ी सफलता मिली है। जवानों ने भारी मात्रा में नक्सल सामग्री बरामद किया है। नक्सलियों ने कोमटपल्ली जंगल-पहाड़ में बड़े चट्टानों के बीच हथियार और अन्य सामान छुपा कर रखा था। जिसे सर्चिंग के दौरान जवानों की संयुक्त टीम ने बरामद किया है।

बरामद किए गए सामग्रियों में गैस वेल्डिंग मशीन मय नोजल, आक्सीजन सिलेण्डर, गैस वेल्डिंग में उपयोग आने वाला पावडर- 8 डिब्बा, इन्वर्टर- 1 नग, स्टेबलाईजर 5 नग, स्टील कंटेनर 3 नग, कमर्सियल मोटर 3 नग, ब्लोवर(धौकनी मशीन)- 2 नग, ग्लेण्डर मोटर- 1 नग, वेल्डिंग राड 200 नग, टुकड़ा लोहे का राड छोटा बड़ा 3- 3 नग, खाली मैग्जीन 3 नग, इलेक्ट्रिक स्वीच- 65 नग, रायफल सिलिंग -08 नग और 2 नग पोच शामिल है।

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छत्तीसगढ़

निर्देश के बाद भी लापरवाही: धड़ल्ले से जल रही पराली, प्रदूषण बढ़ने का मंडरा रहा खतरा

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नगरी में रबि फसल की तैयारी के लिए किसान लगातार खेतों में पराली को आग के हवाले कर रहे हैं। जिसके चलते प्रदूषण का खतरा मंडरा रहा है।

छत्तीसगढ़ के नगरी के किसान इन दिनों रबि फसल की तैयारी में जुट गए हैं। इसी के साथ खेतों में लगातार पराली जलाने का सिलसिला भी शुरू हो गया है। किसान लगातार खेतों में पराली को आग के हवाले कर रहे हैं जिसके चलते प्रदूषण का खतरा मंडरा रहा है। वहीं इन किसानों को पराली जलाने से रोकने वाला भी कोई नहीं है।

दरअसल, जिला प्रशासन ने पैरादान करने का निर्देश दिया था। इसके बाद भी किसान लगातार पराली को आग के हवाले कर रहे हैं। जिसके कारण प्रदूषण फैलने की संभावना बढ़ गई है। नगरी सिहावा के आसपास के गांव के अधिकतर किसान पैरा में जलाते हुए नजर आ रहे है। वहीं विभागीय अधिकारी का उदासीनता के चलते भी किसान बेख़ौफ़ होकर पराली जला रहे हैं।

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