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छत्तीसगढ़

आज मिलेगा छत्तीसगढ़ को मत्स्य पालन के क्षेत्र में ‘बेस्ट इनलैंड स्टेट‘ और ‘बेस्ट प्रोप्राइटरी फर्म‘ का राष्ट्रीय पुरस्कार

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रायपुर । छत्तीसगढ़ राज्य को 21 नवम्बर को विश्व मत्स्यिकी दिवस के अवसर पर मत्स्य पालन के क्षेत्र में ‘बेस्ट इनलैंड स्टेट‘ और धमतरी जिले के बगौद गांव के भारत बाला एक्वाकल्चर को ‘बेस्ट प्रोप्राइटरी फर्म‘ को राष्ट्रीय पुरस्कार मिलेगा। राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार दिए जाने का यह कार्यक्रम स्वामी विवेकानंद ऑडिटोरियम दुनेथा दमन में आयोजित किया गया है। जहां केन्द्रीय मंत्री पुरषोत्तम रूपाला, केन्द्रीय राज्य मंत्री डॉ. संजीव कुमार बालयाण, राज्य मंत्री डॉ. एल.मुरूगन सहित अन्य अतिथियों की मौजूदगी में छत्तीसगढ़ राज्य को ‘बेस्ट इनलैंड स्टेट‘ अवार्ड सम्मान के रूप में 10 लाख रूपए का पुरस्कार व स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया जाएगा।

इस मौके पर छत्तीसगढ़ राज्य के धमतरी जिले के बगौद गांव के मत्स्य पालन फर्म भारत बाला एक्वाकल्चर को ‘बेस्ट प्रोप्राइटरी फर्म‘ के रूप में दो लाख रूपए का पुरस्कार व स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया जाएगा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने मत्स्य पालन के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ राज्य को राष्ट्रीय स्तर का एक साथ दो सम्मान मिलने पर प्रसन्नता जतायी है और विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों सहित मत्स्य पालन के क्षेत्र से जुड़े सभी लोगों को बधाई दी है।

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गौरतलब है कि राज्य सरकार द्वारा मछली पालन को कृषि का दर्जा प्रदान किये जाने से मत्स्य कृषकों को बिजली दर में छूट एवं निःशुल्क पानी और बिना ब्याज ऋण प्राप्त मिलने से उत्पादन लागत में बहुत कमी आई है। मत्स्य कृषकों की आमदनी में वृद्धि हो रही है। प्रदेश में मछली पालन के लिए 1.999 लाख हेक्टेयर जलक्षेत्र उपलब्ध है, जिसमें से अब तक 1,961 लाख हेक्टेयर जलक्षेत्र विकसित किया जा चुका है, जो कुल उपलब्ध जलक्षेत्र का 98 प्रतिशत है। नदीय जलक्षेत्र लम्बाई 3573 किलोमीटर प्राकृतिक रूप से उपलब्ध है। ग्रामीण तालाब 1.173 लाख एवं सिंचाई जलाशय 0.825 लाख हेक्टेयर जलक्षेत्र मछली पालन के लिए उपलब्ध है।

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राज्य में मत्स्य पालन को बढ़ावा देने हेतु मत्स्य बीज उत्पादन हेतु 86 हेचरी, 59 मत्स्य बीज प्रक्षेत्र एवं 647 हेक्टेयर संवर्धन पोखर उपलब्ध है। जहाँ उन्नत प्रजाति का मत्स्य बीज का उत्पादन किया जा रहा है। राज्य में 330 करोड़ मछली बीज फ्राई का उत्पादन किया जा रहा है। राज्य की आवश्यकता 143 करोड़ है राज्य में पूर्ति होने के पश्चात शेष 187 करोड़ मछली बीज अन्य राज्यों को निर्यात किया जा रहा है। इस प्रकार राज्य मछली बीज उत्पादन में आत्मनिर्भर हो गया है।

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Bilaspur के नामी LCIT Group of Institutions का छात्रों के साथ भयानक फर्जीवाड़ा : वादे बड़े-बड़े, हकीकत पानी-पानी!

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LCIT Group of College bilaspur

बिलासपुर: LCIT Group of Institutions – Bilaspur, जो हर साल एडमिशन के दौरान बड़े-बड़े वादे और लुभावने दावे करता है, उसकी सच्चाई अब धीरे-धीरे सामने आने लगी है। दावा किया जाता है कि यहां आधुनिक लैब्स, अनुभवी फैकल्टी और विश्वस्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर मिलेगा — लेकिन ग्राउंड रियलिटी कुछ और ही कहानी बयां कर रही है।

बारिश आई, लैब्स ने छलनी बनकर स्वागत किया!
हमें मिले वीडियो में कॉलेज की लैब्स से टपकती छतें साफ़ दिखाई दे रही हैं। जहां स्टूडेंट्स को मशीनों के साथ प्रैक्टिकल करना चाहिए था, वहां अब पानी से बचने के लिए प्लास्टिक की बाल्टियाँ रखी जा रही हैं। सवाल ये उठता है कि जब प्रयोगशालाएं ही सुरक्षित नहीं, तो शिक्षा कितनी सुरक्षित होगी?

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फैकल्टी? बस कागज़ों पर!
सूत्रों के अनुसार, यहां कई फैकल्टी सदस्य केवल ऑन पेपर मौजूद हैं। यानी नाम तो है, पर काम में कहीं नजर नहीं आते। छात्रों का कहना है कि कई विषयों की क्लास ही नियमित नहीं होती।

इंजीनियरिंग प्रिंसिपल भी सिर्फ नाम के!
कहा जा रहा है कि इंजीनियरिंग कॉलेज का प्रिंसिपल भी फुल टाइम नहीं है, बल्कि केवल औपचारिकता निभाने के लिए कागजों पर मौजूद हैं। यह छात्रों के भविष्य के साथ खुला मज़ाक है।

स्टाफ की नियुक्ति पर भी सवाल
बताया जा रहा है कि अधिकांश स्टाफ या तो यहीं के पुराने छात्र हैं या फिर अन्य कॉलेज से किसी वजह से हटाए गए लोग हैं। इससे शिक्षा की गुणवत्ता पर गंभीर प्रश्नचिह्न लग जाता है।

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🎙 बिलासपुर के इस संस्थान की मार्केटिंग चमचमाती है, लेकिन हकीकत में ढहती छतें, दिखावटी स्टाफ और खोखले दावे छात्रों के सपनों के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। ज़रूरत है कि शिक्षा को सिर्फ व्यापार न बनाकर, जिम्मेदारी समझा जाए

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छत्तीसगढ़

CG News: सुरक्षाबलों की बड़ी कामयाबी, घने जंगलों से भारी मात्रा में नक्सल सामग्री बरामद

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बीजापुर के कोमटपल्ली के जंगलों से जवानों ने भारी मात्रा में नक्सल सामग्री बरामद किया है। घने जंगल में पहाड़ों के बीच नक्सलियों ने सामग्री छुपाकर रखा था।

बीजापुर: छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में सुरक्षाबलों के जवानों को बड़ी सफलता मिली है। जवानों ने भारी मात्रा में नक्सल सामग्री बरामद किया है। नक्सलियों ने कोमटपल्ली जंगल-पहाड़ में बड़े चट्टानों के बीच हथियार और अन्य सामान छुपा कर रखा था। जिसे सर्चिंग के दौरान जवानों की संयुक्त टीम ने बरामद किया है।

बरामद किए गए सामग्रियों में गैस वेल्डिंग मशीन मय नोजल, आक्सीजन सिलेण्डर, गैस वेल्डिंग में उपयोग आने वाला पावडर- 8 डिब्बा, इन्वर्टर- 1 नग, स्टेबलाईजर 5 नग, स्टील कंटेनर 3 नग, कमर्सियल मोटर 3 नग, ब्लोवर(धौकनी मशीन)- 2 नग, ग्लेण्डर मोटर- 1 नग, वेल्डिंग राड 200 नग, टुकड़ा लोहे का राड छोटा बड़ा 3- 3 नग, खाली मैग्जीन 3 नग, इलेक्ट्रिक स्वीच- 65 नग, रायफल सिलिंग -08 नग और 2 नग पोच शामिल है।

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छत्तीसगढ़

निर्देश के बाद भी लापरवाही: धड़ल्ले से जल रही पराली, प्रदूषण बढ़ने का मंडरा रहा खतरा

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नगरी में रबि फसल की तैयारी के लिए किसान लगातार खेतों में पराली को आग के हवाले कर रहे हैं। जिसके चलते प्रदूषण का खतरा मंडरा रहा है।

छत्तीसगढ़ के नगरी के किसान इन दिनों रबि फसल की तैयारी में जुट गए हैं। इसी के साथ खेतों में लगातार पराली जलाने का सिलसिला भी शुरू हो गया है। किसान लगातार खेतों में पराली को आग के हवाले कर रहे हैं जिसके चलते प्रदूषण का खतरा मंडरा रहा है। वहीं इन किसानों को पराली जलाने से रोकने वाला भी कोई नहीं है।

दरअसल, जिला प्रशासन ने पैरादान करने का निर्देश दिया था। इसके बाद भी किसान लगातार पराली को आग के हवाले कर रहे हैं। जिसके कारण प्रदूषण फैलने की संभावना बढ़ गई है। नगरी सिहावा के आसपास के गांव के अधिकतर किसान पैरा में जलाते हुए नजर आ रहे है। वहीं विभागीय अधिकारी का उदासीनता के चलते भी किसान बेख़ौफ़ होकर पराली जला रहे हैं।

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