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छत्तीसगढ़

गौठान में 10 गायों की मौत : भूख- प्यास से गई जान, चारे- पानी की भी नहीं थी व्यवस्था

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भिलाई के सुपेला के कोसानाला और वहीं राजनांदगांव बायपास में डी-मार्ट के सामने बनाए गए गोठानों में 10 मवेशियों की मौत हो गई। इन मवेशियों की मौत भूख और प्यास से हो गई। वहीं कई मवेशियों की स्थिति बहुत खराब है।

छत्तीसगढ़ में तत्कालीन कांग्रेस सरकार की गौठान योजना अब बदहाल हो चुकी है। मवेशियों की देखभाल करने के लिए पिछली सरकार ने प्रदेश के 10 हजार स्थानों पर गौठान बनाए थे। इनका जिम्मा उस इलाके के लोगों को ही एक समिति बनाकर दिया गया था। गोठान योजना पर कांग्रेस सरकार ने करोड़ों रुपये खर्च किए, लेकिन अब गोठान बदहाल हो चुके हैं। गोठान में गायों का संवर्धन तो नहीं बल्कि अब कब्रगाह बन गए हैं। जबकि वर्तमान ने दावा किया था, सब कुछ ठीक है।

गायों की मौत का यह मामला दुर्ग जिले के गोठानों से जुड़ा है। भिलाई के सुपेला के कोसानाला और वहीं राजनांदगांव बायपास में डी-मार्ट के सामने बनाए गए गोठानों में 10 मवेशियों की मौत हो गई। इन मवेशियों की मौत भूख और प्यास से हो गई। वहीं कई मवेशियों की स्थिति बहुत खराब है। पैरा, चारा-कुट्टी की व्यवस्था नहीं होने से कई मवेशी बीमार भी है। वहीं जिला प्रशासन और गोठान समिति अब पूरे मामले पर लीपापोती करने में लगे हुए हैं।

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गोठान नहीं है चारे- पानी की व्यवस्था

कांग्रेस शासन में ड्रीम प्रोजेक्ट रहे गोठान सरकार बदलने के बाद बदहाल हो चुके हैं। गोठान में न चारा है और न ही पानी। गोठान अब खाली ही दिखाई देते हैं। किसी गोठान में आवारा मवेशियों को रखा गया है तो उनके लिए भोजन की व्यवस्था नहीं है। कोसानाला और बायपास के गोठान में मवेशियों की मरने की वजह भी भूख और बीमारी है। 10 गायों की मौत हो चुकी है। स्थानीय लोगों ने जिला प्रशासन और स्थानीय निकाय को सूचना भेजी, लेकिन कोई भी नहीं आया। वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि गोठान सिर्फ नाम मात्र का रह गया है। कमाई होते तक काम चला अब बंद है।

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हमारी जिम्मेदारी खत्म, नए ठेकेदार ने काम संभाला

कोसानाला गोठान समिति की पूर्व अध्यक्ष रेखा बघेल ने बताया कि, गोठान में गायों की मौत हुई है। अब हमारी जिम्मेदारी खत्म हो गई है। नए ठेकेदार ने काम संभाला है, अब वही इसे देख रहे हैं। गायों की मौत झिल्ली (प्लास्टिक की थैली) खाने से हुई है, ऐसा बताया जा रहा है। पिछली सरकार के समय तक गोठान में व्यवस्था बहुत अच्छी थी।

हमने तीन पहले ही काम संभाला, सब ठीक कर लेंगे

कोसानाला गोठान के नए प्रबंधक सोमू साहू ने बताया कि, हमने अभी तीन दिन पहले काम संभाला है। जल्द ही सब कुछ ठीक कर लेंगे। ऐसा लगता है कि जिन गायों की मौत हुई है, उन्होंने बहुत ज्यादा झिल्ली का सेवन किया है। चिकित्सकीय जांच के बाद ही गायों की मौत की सही वजह पती चलेगी। गायों को चारा-पानी दिया जा रहा है।

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Bilaspur के नामी LCIT Group of Institutions का छात्रों के साथ भयानक फर्जीवाड़ा : वादे बड़े-बड़े, हकीकत पानी-पानी!

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LCIT Group of College bilaspur

बिलासपुर: LCIT Group of Institutions – Bilaspur, जो हर साल एडमिशन के दौरान बड़े-बड़े वादे और लुभावने दावे करता है, उसकी सच्चाई अब धीरे-धीरे सामने आने लगी है। दावा किया जाता है कि यहां आधुनिक लैब्स, अनुभवी फैकल्टी और विश्वस्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर मिलेगा — लेकिन ग्राउंड रियलिटी कुछ और ही कहानी बयां कर रही है।

बारिश आई, लैब्स ने छलनी बनकर स्वागत किया!
हमें मिले वीडियो में कॉलेज की लैब्स से टपकती छतें साफ़ दिखाई दे रही हैं। जहां स्टूडेंट्स को मशीनों के साथ प्रैक्टिकल करना चाहिए था, वहां अब पानी से बचने के लिए प्लास्टिक की बाल्टियाँ रखी जा रही हैं। सवाल ये उठता है कि जब प्रयोगशालाएं ही सुरक्षित नहीं, तो शिक्षा कितनी सुरक्षित होगी?

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फैकल्टी? बस कागज़ों पर!
सूत्रों के अनुसार, यहां कई फैकल्टी सदस्य केवल ऑन पेपर मौजूद हैं। यानी नाम तो है, पर काम में कहीं नजर नहीं आते। छात्रों का कहना है कि कई विषयों की क्लास ही नियमित नहीं होती।

इंजीनियरिंग प्रिंसिपल भी सिर्फ नाम के!
कहा जा रहा है कि इंजीनियरिंग कॉलेज का प्रिंसिपल भी फुल टाइम नहीं है, बल्कि केवल औपचारिकता निभाने के लिए कागजों पर मौजूद हैं। यह छात्रों के भविष्य के साथ खुला मज़ाक है।

स्टाफ की नियुक्ति पर भी सवाल
बताया जा रहा है कि अधिकांश स्टाफ या तो यहीं के पुराने छात्र हैं या फिर अन्य कॉलेज से किसी वजह से हटाए गए लोग हैं। इससे शिक्षा की गुणवत्ता पर गंभीर प्रश्नचिह्न लग जाता है।

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🎙 बिलासपुर के इस संस्थान की मार्केटिंग चमचमाती है, लेकिन हकीकत में ढहती छतें, दिखावटी स्टाफ और खोखले दावे छात्रों के सपनों के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। ज़रूरत है कि शिक्षा को सिर्फ व्यापार न बनाकर, जिम्मेदारी समझा जाए

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छत्तीसगढ़

CG News: सुरक्षाबलों की बड़ी कामयाबी, घने जंगलों से भारी मात्रा में नक्सल सामग्री बरामद

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बीजापुर के कोमटपल्ली के जंगलों से जवानों ने भारी मात्रा में नक्सल सामग्री बरामद किया है। घने जंगल में पहाड़ों के बीच नक्सलियों ने सामग्री छुपाकर रखा था।

बीजापुर: छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में सुरक्षाबलों के जवानों को बड़ी सफलता मिली है। जवानों ने भारी मात्रा में नक्सल सामग्री बरामद किया है। नक्सलियों ने कोमटपल्ली जंगल-पहाड़ में बड़े चट्टानों के बीच हथियार और अन्य सामान छुपा कर रखा था। जिसे सर्चिंग के दौरान जवानों की संयुक्त टीम ने बरामद किया है।

बरामद किए गए सामग्रियों में गैस वेल्डिंग मशीन मय नोजल, आक्सीजन सिलेण्डर, गैस वेल्डिंग में उपयोग आने वाला पावडर- 8 डिब्बा, इन्वर्टर- 1 नग, स्टेबलाईजर 5 नग, स्टील कंटेनर 3 नग, कमर्सियल मोटर 3 नग, ब्लोवर(धौकनी मशीन)- 2 नग, ग्लेण्डर मोटर- 1 नग, वेल्डिंग राड 200 नग, टुकड़ा लोहे का राड छोटा बड़ा 3- 3 नग, खाली मैग्जीन 3 नग, इलेक्ट्रिक स्वीच- 65 नग, रायफल सिलिंग -08 नग और 2 नग पोच शामिल है।

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छत्तीसगढ़

निर्देश के बाद भी लापरवाही: धड़ल्ले से जल रही पराली, प्रदूषण बढ़ने का मंडरा रहा खतरा

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नगरी में रबि फसल की तैयारी के लिए किसान लगातार खेतों में पराली को आग के हवाले कर रहे हैं। जिसके चलते प्रदूषण का खतरा मंडरा रहा है।

छत्तीसगढ़ के नगरी के किसान इन दिनों रबि फसल की तैयारी में जुट गए हैं। इसी के साथ खेतों में लगातार पराली जलाने का सिलसिला भी शुरू हो गया है। किसान लगातार खेतों में पराली को आग के हवाले कर रहे हैं जिसके चलते प्रदूषण का खतरा मंडरा रहा है। वहीं इन किसानों को पराली जलाने से रोकने वाला भी कोई नहीं है।

दरअसल, जिला प्रशासन ने पैरादान करने का निर्देश दिया था। इसके बाद भी किसान लगातार पराली को आग के हवाले कर रहे हैं। जिसके कारण प्रदूषण फैलने की संभावना बढ़ गई है। नगरी सिहावा के आसपास के गांव के अधिकतर किसान पैरा में जलाते हुए नजर आ रहे है। वहीं विभागीय अधिकारी का उदासीनता के चलते भी किसान बेख़ौफ़ होकर पराली जला रहे हैं।

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