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छत्तीसगढ़

बिलासपुर को मोतियाबिंद मुक्त जिला घोषित करने की तैयारी

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declare Bilaspur a cataract free district

बिलासपुर, 19 अक्टूबर 2024: राष्ट्रीय दृष्टिहीनता एवं अल्पदृष्टि नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत, जिला बिलासपुर में मार्च 2024 तक दोनों आंखों से मोतियाबिंद के 524 मरीजों का सफलतापूर्वक निःशुल्क ऑपरेशन किया गया है। इस संबंध में जानकारी देते हुए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) ने बताया कि जिले में दोनों आंखों से मोतियाबिंद से प्रभावित मरीजों की सूची नेत्र सहायक अधिकारियों द्वारा प्राप्त की गई थी, जिसके आधार पर अब बिलासपुर को मोतियाबिंद मुक्त जिला घोषित करने की तैयारी की जा रही है।

मोतियाबिंद मुक्त ग्राम प्रमाण पत्र प्रक्रिया

बिलासपुर जिले के सभी गांवों में, जहां मोतियाबिंद के मरीजों की पहचान की गई थी, वहां के सरपंच, ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक, सेक्शन प्रभारी, नेत्र सहायक अधिकारी और अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) से पूर्व में मोतियाबिंद मुक्त ग्राम का प्रमाण पत्र लिया गया था। वर्तमान में, इन प्रमाण पत्रों को फिर से सत्यापित किया जा रहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी प्रभावित मरीजों को आवश्यक उपचार मिल चुका है।

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सभी नागरिकों से अपील

सीएमएचओ ने जिले के सभी नागरिकों से अपील की है कि जो व्यक्ति अभी भी दोनों आंखों से मोतियाबिंद से पीड़ित हैं, वे आगामी 7 दिनों के भीतर उप स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, जिला चिकित्सालय, या छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान (सिम्स) से संपर्क करें।

निःशुल्क मोतियाबिंद ऑपरेशन का लाभ

जिले में निःशुल्क मोतियाबिंद ऑपरेशन की सुविधा उपलब्ध है, जिसे जिले के आठ एनजीओ अस्पतालों में भी कराया जा सकता है। इन अस्पतालों में शामिल हैं:

  1. जूनेजा आई हॉस्पिटल
  2. जय अंबे नेत्रालय
  3. मार्क हॉस्पिटल
  4. वेगस हॉस्पिटल
  5. संकल्प आई हॉस्पिटल
  6. श्रीनाथ नेत्रालय
  7. यूनिटी हॉस्पिटल
  8. नोबल हॉस्पिटल, बिलासपुर
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इन अस्पतालों में निःशुल्क ऑपरेशन कराकर मोतियाबिंद से मुक्ति प्राप्त की जा सकती है।

समुदाय का सहयोग महत्वपूर्ण

इस पहल का उद्देश्य जिले को मोतियाबिंद मुक्त घोषित करना है, जिससे सभी नागरिकों को दृष्टिहीनता से बचाया जा सके। इसलिए, सभी ग्रामीणों और शहरवासियों का सहयोग आवश्यक है ताकि जो भी इस समस्या से जूझ रहे हैं, उन्हें समय पर इलाज मिल सके।

बिलासपुर जिले को मोतियाबिंद मुक्त बनाकर, स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और व्यापकता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया जा रहा है।

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Bilaspur के नामी LCIT Group of Institutions का छात्रों के साथ भयानक फर्जीवाड़ा : वादे बड़े-बड़े, हकीकत पानी-पानी!

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LCIT Group of College bilaspur

बिलासपुर: LCIT Group of Institutions – Bilaspur, जो हर साल एडमिशन के दौरान बड़े-बड़े वादे और लुभावने दावे करता है, उसकी सच्चाई अब धीरे-धीरे सामने आने लगी है। दावा किया जाता है कि यहां आधुनिक लैब्स, अनुभवी फैकल्टी और विश्वस्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर मिलेगा — लेकिन ग्राउंड रियलिटी कुछ और ही कहानी बयां कर रही है।

बारिश आई, लैब्स ने छलनी बनकर स्वागत किया!
हमें मिले वीडियो में कॉलेज की लैब्स से टपकती छतें साफ़ दिखाई दे रही हैं। जहां स्टूडेंट्स को मशीनों के साथ प्रैक्टिकल करना चाहिए था, वहां अब पानी से बचने के लिए प्लास्टिक की बाल्टियाँ रखी जा रही हैं। सवाल ये उठता है कि जब प्रयोगशालाएं ही सुरक्षित नहीं, तो शिक्षा कितनी सुरक्षित होगी?

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फैकल्टी? बस कागज़ों पर!
सूत्रों के अनुसार, यहां कई फैकल्टी सदस्य केवल ऑन पेपर मौजूद हैं। यानी नाम तो है, पर काम में कहीं नजर नहीं आते। छात्रों का कहना है कि कई विषयों की क्लास ही नियमित नहीं होती।

इंजीनियरिंग प्रिंसिपल भी सिर्फ नाम के!
कहा जा रहा है कि इंजीनियरिंग कॉलेज का प्रिंसिपल भी फुल टाइम नहीं है, बल्कि केवल औपचारिकता निभाने के लिए कागजों पर मौजूद हैं। यह छात्रों के भविष्य के साथ खुला मज़ाक है।

स्टाफ की नियुक्ति पर भी सवाल
बताया जा रहा है कि अधिकांश स्टाफ या तो यहीं के पुराने छात्र हैं या फिर अन्य कॉलेज से किसी वजह से हटाए गए लोग हैं। इससे शिक्षा की गुणवत्ता पर गंभीर प्रश्नचिह्न लग जाता है।

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🎙 बिलासपुर के इस संस्थान की मार्केटिंग चमचमाती है, लेकिन हकीकत में ढहती छतें, दिखावटी स्टाफ और खोखले दावे छात्रों के सपनों के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। ज़रूरत है कि शिक्षा को सिर्फ व्यापार न बनाकर, जिम्मेदारी समझा जाए

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छत्तीसगढ़

CG News: सुरक्षाबलों की बड़ी कामयाबी, घने जंगलों से भारी मात्रा में नक्सल सामग्री बरामद

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बीजापुर के कोमटपल्ली के जंगलों से जवानों ने भारी मात्रा में नक्सल सामग्री बरामद किया है। घने जंगल में पहाड़ों के बीच नक्सलियों ने सामग्री छुपाकर रखा था।

बीजापुर: छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में सुरक्षाबलों के जवानों को बड़ी सफलता मिली है। जवानों ने भारी मात्रा में नक्सल सामग्री बरामद किया है। नक्सलियों ने कोमटपल्ली जंगल-पहाड़ में बड़े चट्टानों के बीच हथियार और अन्य सामान छुपा कर रखा था। जिसे सर्चिंग के दौरान जवानों की संयुक्त टीम ने बरामद किया है।

बरामद किए गए सामग्रियों में गैस वेल्डिंग मशीन मय नोजल, आक्सीजन सिलेण्डर, गैस वेल्डिंग में उपयोग आने वाला पावडर- 8 डिब्बा, इन्वर्टर- 1 नग, स्टेबलाईजर 5 नग, स्टील कंटेनर 3 नग, कमर्सियल मोटर 3 नग, ब्लोवर(धौकनी मशीन)- 2 नग, ग्लेण्डर मोटर- 1 नग, वेल्डिंग राड 200 नग, टुकड़ा लोहे का राड छोटा बड़ा 3- 3 नग, खाली मैग्जीन 3 नग, इलेक्ट्रिक स्वीच- 65 नग, रायफल सिलिंग -08 नग और 2 नग पोच शामिल है।

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छत्तीसगढ़

निर्देश के बाद भी लापरवाही: धड़ल्ले से जल रही पराली, प्रदूषण बढ़ने का मंडरा रहा खतरा

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नगरी में रबि फसल की तैयारी के लिए किसान लगातार खेतों में पराली को आग के हवाले कर रहे हैं। जिसके चलते प्रदूषण का खतरा मंडरा रहा है।

छत्तीसगढ़ के नगरी के किसान इन दिनों रबि फसल की तैयारी में जुट गए हैं। इसी के साथ खेतों में लगातार पराली जलाने का सिलसिला भी शुरू हो गया है। किसान लगातार खेतों में पराली को आग के हवाले कर रहे हैं जिसके चलते प्रदूषण का खतरा मंडरा रहा है। वहीं इन किसानों को पराली जलाने से रोकने वाला भी कोई नहीं है।

दरअसल, जिला प्रशासन ने पैरादान करने का निर्देश दिया था। इसके बाद भी किसान लगातार पराली को आग के हवाले कर रहे हैं। जिसके कारण प्रदूषण फैलने की संभावना बढ़ गई है। नगरी सिहावा के आसपास के गांव के अधिकतर किसान पैरा में जलाते हुए नजर आ रहे है। वहीं विभागीय अधिकारी का उदासीनता के चलते भी किसान बेख़ौफ़ होकर पराली जला रहे हैं।

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