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श्रावस्ती में भीषण हादसा: XUV कार और टेंपो की आमने-सामने से टक्कर, 5 की मौके पर मौत

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Shravasti Road Accident: उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती में भीषण हादसा हो गया। शनिवार (30 नवंबर) को तेज रफ्तार दौड़ रही XUV कार ने सामने से आ रहे टेंपो को टक्कर मार दी। दोनों वाहन गड्‌ढे में पलट गए। हादसे में 5 की मौत हो गई।

Shravasti Road Accident: उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती में भीषण हादसा हो गया। शनिवार (30 नवंबर) को नेशनल हाईवे पर दौड़ रही तेज रफ्तार XUV कार ने सामने से आ रहे टेंपो को टक्कर मार दी। टक्कर के बाद दोनों वाहन सड़क किनारे गड्‌ढे में पलट गए। हादसे में 5 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। 6 लोग गंभीर रूप से घायल हैं। पुलिस ने घायलों को अस्पताल में भर्ती करवाया। शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है। एक्सीडेंट नेशनल हाईवे में मोहनीपुर के पास हुआ।

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हादसे में इनकी हुई मौत
बलरामपुर की तरफ से आ रही तेज रफ्तार XUV ने वीरपुर से इकौना जा रहे टेंपों को टक्कर मार दी। टक्कर के बाद कार और टेंपो सड़क किनार गड्‌ढे में जाकर पलट गए। एक्सीडेंट में टेंपो सवार 9 में से 5 लोगों की मौके पर मौत हो गई। आस-पास के लोग भागकर मौके पर पहुंचे। टेंपो में फंसे शवों और घायलों को बाहर निकाला। पुलिस को सूचना दी। हादसे में रफीक पुत्र इदरीस, ननके यादव (45) पुत्र मंगल प्रसाद, लल्लन पाण्डेय पुत्र सूबेदार पांडेय सहित अन्य दो की मौत हुई है। दो लोगों की शिनाख्त अभी तक नहीं हो पाई है।

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6 लोग गंभीर, सीएम ने लिया संज्ञान
पुलिस के मुताबिक, टेंपों सवार 9 में से 5 की मौत हो गई। 6 गंभीर हैं। एक्सयूवी कार सवार दोनों घायल हैं। मृतकों के परिजनों को सूचना दे दी है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने सड़क हादसे का संज्ञान लिया। सीएम ने मृतकों के परिजनों के प्रति शोक संवेदना व्यक्त की। सीएम ने अधिकारियों को तत्काल मौके पर पहुंच कर राहत कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं।

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Bilaspur के नामी LCIT Group of Institutions का छात्रों के साथ भयानक फर्जीवाड़ा : वादे बड़े-बड़े, हकीकत पानी-पानी!

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LCIT Group of College bilaspur

बिलासपुर: LCIT Group of Institutions – Bilaspur, जो हर साल एडमिशन के दौरान बड़े-बड़े वादे और लुभावने दावे करता है, उसकी सच्चाई अब धीरे-धीरे सामने आने लगी है। दावा किया जाता है कि यहां आधुनिक लैब्स, अनुभवी फैकल्टी और विश्वस्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर मिलेगा — लेकिन ग्राउंड रियलिटी कुछ और ही कहानी बयां कर रही है।

बारिश आई, लैब्स ने छलनी बनकर स्वागत किया!
हमें मिले वीडियो में कॉलेज की लैब्स से टपकती छतें साफ़ दिखाई दे रही हैं। जहां स्टूडेंट्स को मशीनों के साथ प्रैक्टिकल करना चाहिए था, वहां अब पानी से बचने के लिए प्लास्टिक की बाल्टियाँ रखी जा रही हैं। सवाल ये उठता है कि जब प्रयोगशालाएं ही सुरक्षित नहीं, तो शिक्षा कितनी सुरक्षित होगी?

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फैकल्टी? बस कागज़ों पर!
सूत्रों के अनुसार, यहां कई फैकल्टी सदस्य केवल ऑन पेपर मौजूद हैं। यानी नाम तो है, पर काम में कहीं नजर नहीं आते। छात्रों का कहना है कि कई विषयों की क्लास ही नियमित नहीं होती।

इंजीनियरिंग प्रिंसिपल भी सिर्फ नाम के!
कहा जा रहा है कि इंजीनियरिंग कॉलेज का प्रिंसिपल भी फुल टाइम नहीं है, बल्कि केवल औपचारिकता निभाने के लिए कागजों पर मौजूद हैं। यह छात्रों के भविष्य के साथ खुला मज़ाक है।

स्टाफ की नियुक्ति पर भी सवाल
बताया जा रहा है कि अधिकांश स्टाफ या तो यहीं के पुराने छात्र हैं या फिर अन्य कॉलेज से किसी वजह से हटाए गए लोग हैं। इससे शिक्षा की गुणवत्ता पर गंभीर प्रश्नचिह्न लग जाता है।

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🎙 बिलासपुर के इस संस्थान की मार्केटिंग चमचमाती है, लेकिन हकीकत में ढहती छतें, दिखावटी स्टाफ और खोखले दावे छात्रों के सपनों के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। ज़रूरत है कि शिक्षा को सिर्फ व्यापार न बनाकर, जिम्मेदारी समझा जाए

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सामान्य श्रेणी में सुविधाओं का विस्तार: 370 ट्रेनों में जुड़ेंगे 1000 नए GS कोच

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  • बीते तीन माह में ही भारतीय रेल ने हासिल की यह महत्वपूर्ण उपलब्धि
  • नवंबर तक करीब 370 नियमित ट्रेनों में जुड़ेंगे ऐसे 1000 से ज्यादा GS कोच
  • रेलवे की इस पहल से रोजाना करीब एक लाख अतिरिक्त यात्री करेंगे GS में सफर
  • आगामी दो साल में नोन एसी श्रेणी के ऐसे 10 हजार से ज्यादा कोच बेड़े से जुड़ेंगे
  • सामान्य श्रेणी के यात्रियों की सुविधाओं में विस्तार रेलवे की सर्वोच्च प्राथमिकता

रेल यात्रा के प्रति आमजनों की लगातार बढ़ती रुचि और आकर्षण के मद्देनजर रेलवे भी तदनुरूप सुविधाओं के विस्तार को गति दे रहा है। इस क्रम में रेलवे ने बीते तीन माह में ही विभिन्न ट्रेनों में सामान्य श्रेणी (जीएस) के करीब छह सौ नये अतिरिक्त कोच जोड़े हैं। ये सभी कोच नियमित ट्रेनों में जोड़े गए हैं। इतना ही नहीं, चालू नवंबर माह के अंत तक जीएस श्रेणी के ऐसे एक हजार से ज्यादा कोच करीब 370 नियमित ट्रेनों में जोड़ दिए जााएंगे। एक अनुमान के मुताबिक रेलवे के बेड़े में इन नये जीएस कोचों के जुड़ने से रोजाना करीब एक लाख यात्री लाभान्वित होंगे। इनके अलावा आगामी दो वर्षों में बड़ी संख्या में नोन एसी श्रेणी के कोचों को रेलवे के बेड़े में शामिल करने की योजना पर तेजी से काम चल रहा है।

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रेलवे बोर्ड ने सामान्य श्रेणी के रेल यात्रियों की नई सुविधाओं के बारे में यहां विस्तार से जानकारी दी है। रेलवे बोर्ड के कार्यकारी निदेशक (सूचना व प्रचार) दिलीप कुमार ने बताया कि सामान्य श्रेणी के यात्री रेलवे की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में शामिल हैं। इस श्रेणी के यात्रियों को अधिकतम सुविधा मुहैया कराने की दिशा में रेलवे विभिन्न दिशाओं में कार्य कर रहा है। इसके तहत बीते जुलाई से अक्टूबर के तीन माह के दौरान जीएस श्रेणी के कुल 1000 नये GS कोचों का ट्रेनों में जोड़ा जाएगा । साथ ही इन नवनिर्मित कोचोंं को 370 नियमित ट्रेनों में जोड़ा गया है। इससे रोजाना हजारों अतिरिक्त यात्रियों को लाभ मिल रहा है। । इन डिब्बों के शामिल होने से रोजाना करीब एक लाख अतिरिक्त सवारी रेल यात्रा के सफर का लाभ उठा पाएंगे।

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कार्यकारी निदेशक ने बताया कि सामान्य श्रेणी के यात्रियों की सुविधाओं के मद्देनजर नये जीएस कोचों का निर्माण तेजी से चल रहा है। उन्होंने कहा कि अगले दो वर्षों में रेलवे के बेड़े में ऐसे गैर-वातानुकूलित सामान्य श्रेणी के 10 हजार से ज्यादा जीएस कोचों को शामिल कर लिया जाएगा। इनमें छह हजार से ज्यादा जीएस कोच होंगे, जबकि बाकी डिब्बे स्लीपर श्रेणी के होंगे। इतनी बड़ी संख्या में नॉन एसी कोचों के शामिल होने से सामान्य श्रेणी के करीब आठ लाख अतिरिक्त यात्री रोजाना रेल यात्रा का सफर कर पाएंगे। जीएस श्रेणी के ये नवनिर्मित तमाम कोच एलएचबी के होंगे । ये सफर को आरामदायक और सुविधाजनक बनाने के साथ-साथ सुरक्षित और द्रुत बनाने में भी मदद करेगी। पारंपरिक आईसीएफ़ रेल डिब्बों के मुकाबले ये नये एलएचबी कोच अपेक्षाकृत हल्के और मजबूत हैं। हादसे की स्थिति में इन कोचों में नुकसान भी कम से कम होगा।

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रेलवे ट्रैक पर पड़ा था पत्थर, हादसा होने से बाल-बाल बची वंदे भारत एक्सप्रेस, विशाखापट्नम से दुर्ग जा रही थी ट्रेन

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नेशनल डेस्कः विशाखापट्नम से दुर्ग आ रही वंदे भारत एक्सप्रेस ओडिशा के नुआपाड़ा रोड में हादसे का शिकार होने से बाल-बाल बची। वंदे भारत एक्सप्रेस सोमवार रात करीब 10 बजे विशाखापट्टनम से दुर्ग जा रही थी।

इस बीच ट्रेन के लोको पायलट ने रेलवे ट्रैक पर एक बड़ा पत्थर देखा और ट्रेन को रेलवे लेवल क्रॉसिंग गेट से लगभग 100 मीटर पहले ही रोक दिया। ट्रेन रोकने के बाद लोको पायलट ने इस बारे में स्टेशन मास्टर को सूचित किया। रेलवे के कर्मचारी तत्काल मौके पर पहुंचे और ट्रैक से पत्थर को हटा दिया, जिसके बाद करीब एक घंटे बाद ट्रेन की आवाजाही सामान्य हो सकी। नुआपाड़ा पुलिस स्टेशन से एक टीम भी मौके पर पहुंची और मामले की जांच शुरु कर दी कि ट्रैक पर पत्थर किसने और क्यों रखा था? लोको पायलट की सतकर्ता की वजह से एक बड़ी दुर्घटना टल गई। इसके बाद ट्रेन यात्रियों ने भी राहत की सांस ली।

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