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हर बार एस्टेरॉयड्स के खतरों से कैसे बच जाती है पृथ्वी? कौन करता है रक्षा

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Danger of Asteroids and Comets: 
हमारे ग्रह पर मौजूद बड़े क्रेटर इस बात की शिद्दत से याद दिलाते हैं एस्टेरॉयड्स और कॉमेट (धूमकेतु) समय-समय पर पृथ्वी से टकराते रहे हैं. सवाल यह है कि कब हमारे ग्रह को अंतरिक्ष से होने वाले हमले का सामना करना पड़ेगा.

जैसा कि अक्सर कहा जाता है कभी न कभी तो यह होना है. लेकिन फिलहाल नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन यानी नासा के पास धरती को एस्टेरॉयड्स और कॉमेट से बचाने की योजना तैयार है. लेकिन यह एक ऐसा खतरा है जिसे मानवता ने अंततः गंभीरता से लेना शुरू कर दिया है और इस पर ध्यान दिया जा रहा है.

डबल एस्टेरॉयड्स रिडायरेक्शन टेस्ट (डीएआरटी) की सफलता से प्रेरित होकर नासा ने हाल ही में एक नई प्लैनेटरी डिफेंस स्ट्रैटेजी एंड एक्शन प्लान जारी किया है. इसमें नासा ने चेतावनी देने के लिए संभावित खतरनाक वस्तुओं को खोजने, पहचानने और फिर उन्हें दूर धकेलने के अपने प्रयासों का वर्णन किया है. अमेरिकी एजेंसी की यह 10-वर्षीय रणनीति पृथ्वी के निकट एस्टेरॉयड्स और कॉमेट के साथ विनाशकारी मुठभेड़ से बचाने के प्रयासों को आगे बढ़ाने पर केंद्रित है.

तबाही रोकने की पर्याप्त तकनीक
नासा के प्लैनेटरी डिफेंस ऑफिसर लिंडले जॉनसन ने कहा, “पृथ्वी पर एस्टेरॉयड्स के प्रभाव से विनाशकारी तबाही की आशंका है. और यह एकमात्र प्राकृतिक आपदा है जिसे मानवता के पास पूरी तरह से रोकने के लिए पर्याप्त तकनीक है.” “नासा की इस रणनीति के जारी होने से अगले 10 वर्षों के लिए नासा के इरादे मजबूत हो गए हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि एजेंसी सभी के लाभ के लिए हमारे ग्रह की रक्षा के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम करे.”

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नासा ने प्लैनेटरी डिफेंस स्ट्रैटेजी एंड एक्शन प्लान 18 अप्रैल, 2023 को जारी किया था. यह एक अन्य दस्तावेज का अनुसरण करता है जिसे 3 अप्रैल को व्हाइट हाउस ऑफिस ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी पॉलिसी, “नेशनल प्रिपेयर्डनेस स्ट्रैटेजी” द्वारा जारी किया गया था. पृथ्वी को खतरों से बचाने और ग्रहों की रक्षा के लिए कार्य योजना” प्रत्येक रिपोर्ट प्रभाव के खतरों का पता लगाने, लक्षणों का ब्योरा और प्रतिक्रियाओं को बढ़ाने के साथ-साथ सरकारी एजेंसियों के बीच रणनीतियों के समन्वय के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग में सुधार करने पर केंद्रित है.

जिस पर ध्यान केंद्रित करना चाहता है नासा
नासा सभी नियर अर्थ ऑब्जेक्ट्स (एनईओ) की एक पूर्ण सूची बनाने की दिशा में काम कर रहा है. एनईओ सर्वेक्षण से यह पता लगाना है और प्रयासों में सुधार करना है, जो पृथ्वी पर खतरा पैदा कर सकते हैं. स्पेस
एजेंसी ने का डबल एस्टेरॉयड्स रिडायरेक्शन टेस्ट (डीएआरटी) मिशन पूरा किया. यह दुनिया का पहला ग्रह रक्षा परीक्षण मिशन था जिसने अंतरिक्ष यान का उपयोग करके एस्टेरॉयड्स डिफ्लेक्शन की एक विधि का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया. अमेरिकी सरकारी एजेंसी ने ​​NEO तैयारियों और प्रतिक्रिया योजना को बढ़ाने का काम किया. इसके लिए उसने अगले 10 वर्षों के भीतर सभी उद्देश्यों को पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया है. नासा का आकलन है कि नियर अर्थ ऑब्जेक्ट्स (एनईओ) का व्यास 10 मीटर (33 फीट) से लेकर 10,000 मीटर (33,000 फीट) से अधिक है और यह पृथ्वी की कक्षा के 42 मिलियन किमी (30 मिलियन मील) के भीतर आता है.

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एस्टेरॉयड्स को मोड़ने में सक्षम
दशकों से, वैज्ञानिक और अन्य जानकार मानवता को किसी बिंदु पर निश्चित रूप से क्या होगा इसकी तैयारी करने की आवश्यकता पर जोर दे रहे हैं. अपोलो अंतरिक्ष यात्री रस्टी श्वेकार्ट ने ग्रहों की रक्षा के बारे में कई बार बात की है. करीब एक दशक पहले उन्होंने इस बात पर जोर दिया था कि एस्टेरॉयड्स को मोड़ने के लिए आवश्यक तकनीक पहले से ही मौजूद है. रस्टी श्वेकार्ट ने कहा, “खतरा पैदा करने वाले अधिकांश एस्टेरॉयड्स को डिफ्लेक्ट करने के लिए हमें किसी बड़े टेक्नालॉजी विकास कार्यक्रम में जाने की जरूरत नहीं है.”

समन्वय और सहयोग जरूरी
उन्होंने यह भी कहा कि दुनिया भर के देशों के बीच समन्वय और सहयोग आवश्यक है, और शायद टेक्नालॉजी की तुलना में इसे व्यवस्थित करना और भी कठिन होगा. श्वेकार्ट ने कहा, “भविष्य में हम पर एस्टेरॉयड्स की मार पड़ने का सबसे संभावित कारण नौकरशाही है, न कि तकनीक. यह एक दुस्साहसिक बयान है, लेकिन अगर हम इसे पार कर सकते हैं और अपना काम सही ढंग से कर सकते हैं तो हमें भविष्य में कभी भी ऐसे एस्टेरॉयड्स से नहीं टकराना चाहिए जो पृथ्वी पर जीवन को खतरे में डाल सकता है.”

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सीहोर में ब्रिज निर्माण के लिए खुदाई करते समय धंसी मिट्टी, 3 मजदूरों की दबने से मौत

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मध्य प्रदेश के सीहोर में सोमवार (23 दिसंबर) को बड़ी घटना हो गई। ब्रिज निर्माण के लिए खुदाई करते समय अचानक मिट्टी धंस गई। दबने से तीन मजदूरों की मौत हो गई। एक को सुरक्षित निकाल लिया।

मध्य प्रदेश के सीहोर में सोमवार (23 दिसंबर) को बड़ी घटना हो गई। बुधनी में ब्रिज का निर्माण कार्य चल रहा है। पुलिया के पास खुदाई करते समय अचानक मिट्टी धंस गई। मिट्‌टी में दबने से 3 मजदूरों की मौत हो गई। एक को रेस्क्यू टीम ने सुरक्षित निकालकर अस्पताल पहुंचाया है। घटना शाहगंज थाना क्षेत्र के सियागहन गांव की है। पुलिस मामले की जांच में जुट गई है।

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रेस्क्यू कर एक को सुरक्षित बाहर निकाला
शाहगंज थाना क्षेत्र के सियागहन गांव में ब्रिज का निर्माण कार्य चल रहा है। सोमवार को चार मजदूर निर्माण के लिए दूसरी पुलिया के पास से मिट्टी खोद रहे थे। खुदाई के समय अचानक मिट्टी धंस गई। सूचना मिलने पर पुलिस और प्रशासन की टीम पहुंची। रेस्क्यू टीम ने एक मजदूर को सुरक्षित बाहर निकाल लिया। तीन की मौत हो गई।

हादसे में इनकी हुई मौत
पुलिस के मुताबिक, लटेरी (विदिशा) निवासी करण (18) पिता घनश्याम, रामकृष्ण उर्फ रामू (32) पिता मांगीलाल गौड और गुना के रहने वाले भगवान लाल पिता बरसादी गौड़ की मौत हो गई। लटेरी निवासी वीरेंद्र पिता सुखराम गौड (25) को सुरक्षित बाहर निकाला गया। वीरेंद्र को नर्मदापुरम रेफर किया है।

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राजलक्ष्मी कंस्ट्रक्शन करवा रहा निर्माण
प्रशासनिक अधिकारियों के मुताबिक, राजलक्ष्मी कंस्ट्रक्शन पुलिया का निर्माण कार्य करा रहा है। पुलिया सियागहन और मंगरोल गांव को जोड़ती है। पुलिया की रिटेनिंग वॉल बनाते समय पहले से बनी रोड की रिटेनिंग वॉल का स्लैब धंस गया। पोकलेन मशीन से मिट्टी हटाकर चारों मजदूरों को बाहर निकाला गया, लेकिन तीन की मौत हो गई। वीरेंद्र का इलाज चल रहा है।

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इंजीनियर अतुल के बेटे की कस्टडी को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला, 4 साल के बच्चे की तलाश जारी

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Atul Subhash Suicide: एआई इंजीनियर का परिवार बिहार के समस्तीपुर में रहता है। निकिता और अतुल का 4 साल का एक बेटा है। अतुल के पिता पीएम मोदी से पोते की कस्टडी दिलाने की गुहार लगा चुके हैं।

Atul Subhash Suicide: बेंगलुरु के इंजीनियर अतुल सुभाष की मां अंजू मोदी ने अपने 4 साल के पोते की कस्टडी के लिए शुक्रवार (20 दिसंबर) को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की। सुभाष ने अपने सुसाइड नोट और वीडियो में पत्नी निकिता सिंघानिया और ससुराल पक्ष पर उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए थे। जिसके बाद बेंगलुरु पुलिस ने निकिता समेत तीन लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। बता दें कि एआई इंजीनियर अतुल ने पिछले 9 दिसंबर को बेंगलुरु स्थित अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी।

पोते के ठिकाने को लेकर गहरी चिंता
अंजू मोदी ने पोते के ठिकाने का पता लगाने और उसकी कस्टडी सुनिश्चित करने के लिए हैबियस कॉर्पस याचिका दाखिल की है। इसमें दावा है कि न तो सुभाष की अलग रह रही पत्नी निकिता सिंघानिया और न ही उनके परिवार के किसी सदस्य, जो फिलहाल हिरासत में हैं, ने बच्चे के ठिकाने की जानकारी दी है। दूसरी ओर, निकिता ने पुलिस से कहा था कि उसका बेटा फरीदाबाद के एक बोर्डिंग स्कूल में पढ़ाई कर रहा है और उसके चाचा सुशील सिंघानिया की देखरेख में है। लेकिन सुशील ने बच्चे की स्थिति की जानकारी होने से इनकार किया है।

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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों से जवाब मांगा
जस्टिस बीवी नागरथना और जस्टिस एन कोटिस्वर सिंह की बेंच ने उत्तर प्रदेश, हरियाणा और कर्नाटक की सरकारों को नोटिस जारी कर बच्चे की स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 7 जनवरी को होगी।

अतुल सुभाष की आत्महत्या से जुड़ी गिरफ्तारी
इंजीनियर सुभाष की आत्महत्या के मामले में कई गिरफ्तारियां हुई हैं। पत्नी निकिता सिंघानिया, सास निशा सिंघानिया और साले अनुराग सिंघानिया को बेंगलुरु पुलिस ने 16 दिसंबर को गिरफ्तार किया था। पुलिस ने सुभाष के छोड़े गए सुसाइड नोट और वीडियो के आधार पर तीनों पर आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया है। अभी वे न्यायिक हिरासत में हैं।

सिंघानिया फैमिली ने जमानत याचिका लगाई
निकिता सिंघानिया के परिजनों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में इस मामले में अग्रिम जमानत के लिए अपील की है। वरिष्ठ वकील मनीष तिवारी ने सुशील सिंघानिया की उम्र (69 वर्ष) और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का हवाला देते हुए आरोपों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने का दावा किया। जस्टिस आशुतोष श्रीवास्तव ने सुशील को 50 हजार रुपए के निजी मुचलके और सख्त शर्तों के साथ अग्रिम जमानत दी है, जिसमें पुलिस जांच के लिए उपलब्ध रहना और पासपोर्ट सरेंडर करना शामिल है।

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अतुल सुभाष के परिवार की क्या है मांग?

इंजीनियर अतुल सुभाष के परिवार ने आरोप लगाया कि निकिता और उनके परिवार ने झूठे कानूनी मामलों और पैसों की मांग कर अतुल को बुरी तरह प्रताड़ित किया। पिता पवन कुमार और भाई बिकास कुमार ने अतुल की अस्थियों को तब तक न बहाने की कसम खाई है जब तक उन्हें न्याय नहीं मिलता।

भाई बिकास कुमार ने कहा- ‘जो लोग इस घटना के पीछे हैं, उन्हें भी गिरफ्तार किया जाना चाहिए। जब तक हमारे खिलाफ झूठे मामले वापस नहीं लिए जाते, हमें न्याय नहीं मिलेगा। हमारा संघर्ष जारी रहेगा।’

बिकास ने अपने भतीजे की सुरक्षा पर भी चिंता जताई और कहा- ‘मुझे अपने भतीजे (अतुल के बेटे) की सुरक्षा की चिंता है। हमने उसे हाल की तस्वीरों में नहीं देखा है। हम उसके ठिकाने की जानकारी चाहते हैं और उसकी कस्टडी जल्द से जल्द चाहते हैं।’

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10 वंदे भारत स्लीपर ट्रेनें निर्माणाधीन, 200 रेक का निर्माण प्रौद्योगिकी साझेदारों के जिम्मे: अश्विनी वैष्णव

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  • विश्व स्तरीय यात्रा के अनुभव के लिए भारतीय रेल अप्रैल 2018 से केवल एलएचबी कोच बना रहा है; 2004-14 की तुलना में 2014-24 के दौरान निर्मित एलएचबी कोचों की संख्या 16 गुना से अधिक है।
  • “सुगम्य भारत मिशन” के हिस्से के रूप में भारतीय रेल दिव्यांगजनों और कम गतिशीलता वाले यात्रियों को अधिकांश मेल/एक्सप्रेस रेलगाड़ियों और वंदे भारत ट्रेनों में व्यापक सुविधाएं प्रदान करता है।

वर्तमान में देश में लंबी और मध्यम दूरी की यात्रा के लिए 10 वंदे भारत स्लीपर ट्रेनें निर्माणाधीन हैं। पहला प्रोटोटाइप निर्मित हो चुका है और इसका फील्ड ट्रायल किया जाएगा। इसके अलावा, 200 वंदे भारत स्लीपर रेक के निर्माण का काम भी प्रौद्योगिकी भागीदारों को सौंपा गया है। सभी रेलगाड़ियों के उपयोग में आने की समयसीमा उनके सफल परीक्षणों पर निर्भर है। 02 दिसंबर 2024 तक, देश भर में छोटी और मध्यम दूरी की यात्रा के लिए भारतीय रेल के ब्रॉड गेज विद्युतीकृत नेटवर्क पर 136 वंदे भारत रेलगाड़ी सेवाएं जारी हैं।

यह भी पढ़ें   राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्का- विराट को भी मिला न्योता 22 जनवरी को आयोध्या पहुचेंगे सेलेब्स

रेल, सूचना एवं प्रसारण तथा इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में एक वक्तव्य में कहा कि विश्व स्तरीय यात्रा का अनुभव प्रदान करने के लिए भारतीय रेल के ब्रॉड गेज विद्युतीकृत नेटवर्क पर वर्तमान में चेयर कार वाली 136 वंदे भारत रेल सेवाएं जारी हैं। अक्टूबर 2024 तक वंदे भारत एक्सप्रेस रेलगाड़ियों की कुल क्षमता 100% से अधिक होगी।

एक अन्य प्रश्न के उत्तर में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारतीय रेल की उत्पादन इकाइयां अप्रैल 2018 से केवल एलएचबी कोच बना रही हैं। पिछले कुछ वर्षों में एलएचबी कोच का उत्पादन लगातार बढ़ा है। 2014-24 के दौरान निर्मित एलएचबी कोच की संख्या 2004-14 के दौरान निर्मित (2,337) संख्या से 16 गुना (36,933) अधिक है। भारतीय रेल (आईआर) ने एलएचबी कोचों की भरमार कर दी है जो तकनीकी रूप से बेहतर हैं और इनमें एंटी क्लाइम्बिंग व्यवस्था, विफलता संकेत प्रणाली के साथ एयर सस्पेंशन और कम संक्षारक शेल जैसी विशेषताएं हैं।

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“सुगम्य भारत मिशन” (सुलभ भारत अभियान) के हिस्से के रूप में, भारतीय रेल दिव्यांगजनों और कम गतिशीलता वाले यात्रियों के लिए सुगमता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण प्रगति कर रहा है। दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 के दिशा-निर्देशों के अंतर्गत, रैंप, सुलभ पार्किंग, ब्रेल और स्पर्शनीय संकेत, कम ऊंचाई वाले काउंटर और लिफ्ट/एस्कलेटर जैसी व्यापक सुविधाएँ प्रदान की गई हैं।

नवंबर 2024 तक भारतीय रेल ने 399 स्टेशनों पर 1,512 एस्कलेटर और 609 स्टेशनों पर 1,607 लिफ्टें स्थापित की थीं जो पिछले दशक की तुलना में उल्लेखनीय वृद्धि को दर्शाता है – क्रमशः 9 और 14 गुना की वृद्धि। इसके अलावा, अधिकांश मेल और एक्सप्रेस रेलगाड़ियों में चौड़े प्रवेश द्वार, सुलभ शौचालय और व्हीलचेयर पार्किंग वाले कोच उपलब्ध हैं, जबकि वंदे भारत रेलगाड़ियां दिव्यांगजनों के लिए स्वचालित दरवाजे, निर्धारित स्थान और ब्रेल साइनेज जैसी सुविधाओं के साथ बेहतर सुगमता प्रदान करती हैं।

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