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कान्तिदेवी जैन स्मृति व्याख्यमाला: भारतीय संस्कृति और विद्वता की वैश्विक गूंज, दुनियाभर से दिल्ली पहुंचे हिन्दी प्रेमी

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नई दिल्ली। कान्तिदेवी जैन स्मृति त्रिदिवसीय अंतरराष्ट्रीय व्याख्यमाला के पंचम संस्करण का दूसरा दिन भारतीय संस्कृति और उसकी वैश्विक छाप पर केंद्रित रहा। इस अवसर पर भारतवंशी संस्कृति के पुरोधा एवं पूर्व राज्यसभा सदस्य डॉ. कर्ण सिंह ने अपने संदेश में भारतवंशियों की विद्वता और योग्यता को विश्वभर में सम्मान दिलाने पर गर्व व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “भारतवंशियों ने विश्व के विभिन्न कोनों में जाकर अपनी संस्कृति और विद्वता का लोहा मनवाया है, और यह कार्य निरंतर जारी है।” उन्होंने श्रीमती कान्तिदेवी जैन के स्मृति ट्रस्ट को भारतीय संस्कृति के संरक्षण और प्रचार के लिए बधाई दी।

पूर्व राज्यसभा सदस्य डॉ. कर्ण सिंह द्वारा भेजे गए विशेष शुभकामना संदेश में कहा गया है कि यह जानकर अत्यंत प्रसन्नता हुई कि कांति देवी जैन की स्मृति में स्थापित ट्रस्ट द्वारा प्रतिवर्ष अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तीन दिवसीय व्याख्यमाला का आयोजन किया जाता है। इसमें संपूर्ण विश्व के विद्वान भाग लेकर अपने विचार रखते हैं। इस वर्ष पंचम व्याख्यान माला में आपने मुझे मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया, इसके लिए मैं आपका आभारी हूं। समाज सेवा में अग्रणीय भूमिका निभाने वाली श्रीमती कांति देवी जैन को नमन।

डॉ. कर्ण सिंह ने आगे लिखा है कि, मुझे यह जानकर गर्व की अनुभूति हुई है कि इस प्रतिष्ठित व्याख्यान माला में विगत वर्षों में 30 से अधिक देशों के 6000 से अधिक बुद्धिजीवी भाग ले चुके हैं। अनेक देशों में यात्रा के दौरान मुझे अनुभूति हुई कि भारत की संस्कृति ने विदेशों में अमिट छाप छोड़ी है। हमने वसुदेव कुटुंबकम का केवल संदेश ही नहीं दिया, बल्कि उसको आत्मसात भी किया है। भारत वंशियों ने विश्व के कोने-कोने में जाकर अपनी प्रतिभा, योग्यता व विद्वता का लोहा मनवाया साथ ही भारतीय संस्कृति को वहां पर स्थापित भी किया। यह कार्य निरंतर चल रहा है मैं इस महत्वपूर्ण कार्य में लगे सभी विद्वानों का अभिनंदन करता हूं। मैं इस महत्वपूर्ण व्याख्यान माला की सफलता की कामना करते हुए ईश्वर से प्रार्थना करूंगा कि चाणक्य वार्ता परिवार इसी प्रकार निरंतर भारतीय संस्कृति के प्रचार प्रसार में अपना योगदान देता रहे।

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भारत अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक केंद्र गुरुग्राम, चाणक्य वार्ता, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, केंद्रीय विश्वविद्यालय ओडिशा, डॉ हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर, हंसराज कालेज दिल्ली विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में कांति देवी जैन स्मृति त्रिदिवसीय अंतरराष्ट्रीय व्याख्यमाला का पंचम संस्करण का नई दिल्ली में आयोजन किया गया है। जहां पूरी दुनिया से हिन्दी प्रेमी दिल्ली पहुंचे हुए हैं।

मुख्य अतिथि के रूप में राज्यसभा के पूर्व महासचिव और पूर्व रक्षा सचिव डॉ. योगेंद्र नारायण ने भारतीय संस्कृति की चार शाखाओं—संवैधानिक, सामाजिक, पारिवारिक और व्यक्तिगत—की महत्ता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “भारतीय संस्कृति देश के संविधान में समाहित है, जो समानता, न्याय, और सम्मान की भावना को बढ़ावा देती है। पारिवारिक संस्कृति में बच्चों को संस्कार सिखाए जाते हैं, जबकि व्यक्तिगत संस्कृति हमें आपसी मदद और आदर-सत्कार की सीख देती है।”

यूक्रेन से डॉ यूरी बोलरविकिन ने कहा कि मैंने दिल्ली से हिंदी की पढ़ाई की और आज यूक्रेन में हिंदी पढ़ा रहा हूँ। उन्होंने कहा कि यूक्रेन में बहुत समय बाद आधुनिक भारत के बारे में पढ़ाया जा सका। उन्होंने कहा कि यूक्रेन में 70 प्रतिशत लडकिया ही भाषा विज्ञान पढ़ती है। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति प्राचीन संस्कृति है। यही ऐसा देश है जिसकी संस्कृति सदियों से बिना बदलाव के विकसित होती आ रही हैं।

ओमान से डॉ परमजीत ओबराय ने कहा कि ओमान की 75 लाख की जनसंख्या है। बाहर से आने- जाने वालों की जनसंख्या घटती- बढ़ती रहती है। हिंदी, संस्कार, संस्कृति उसकी आधारशिला भारतीय संस्कृति से मिलती- जुलती है। ओमान के लोग धार्मिक, ईमानदार, मददगार होते हैं। मानवता व विनम्रता इनकी रग- रग में बसी है। यहा भिखारी नही है। मध्यम वर्गीय परिवारों को सरकारी सुविधाएं मुहहैया होती है। गुस्सा उनकी परंपरा में नही है।

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त्रिनिनाद से आशा मोर ने कहा कि यहा 45 फीसदी भारतीय मूल के और 45 प्रतिशत अफ्रीका मूल के लोग हैं। यहा सभी धर्मों व जातियों के लोग रहते हैं। सभी मिलजुलकर त्यौहारो को मनाते हैं। हिन्दू व ईसाई एक दूसरे से शादी भी करते हैं। दिवाली, रामलीला, दुर्गा पूजा, गणेश उत्सव,नवरात्र, पितृपक्ष मनाए जाते हैं।

दक्षिणी अफ्रीका से उषा देवी शुक्ला ने कहा कि यहा भारतीय मूल के हर प्रदेशों के लोग भारतीय संस्कृति व परंपरा साथ लेकर आये थे। सनातन धर्म परंपरा, पूजा, भाषा लेकर आए। 164साल बाद भी यहा भारतीय संस्कृति व मूल्य जीवित है। यहा कहा जाता है कि राम का नाम लिए जा अपना काम किये जा। हरि सो भजे सो हरि का होय।

कार्यक्रम अध्यक्ष मिथिल पी राव ने कहा कि भारतीय दूसरे देशों में भारत के एम्बेसडर का काम करते हैं। दूसरे देश में जाकर स्थापित होना बहुत बड़ी चुनौती है। भारतवंशियों ने विदेशों में भारतीय संस्कृति का प्रसार व प्रचार किया है।
कार्यक्रम का सफल संचालन धर्मपाल महेंद्र जैन ने किया जबकि डॉ अमित जैन ने अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक केंद्र गुरुग्राम के बारे में विस्तार से जानकारी दी एवं सभी का स्वागत किया। धन्यवाद ज्ञापन आर पी तोमर ने किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से अवनीश कुमार, ईश्वर करुण, अमित गुप्ता, डॉ रविता पाठक, प्रिंस जैन, विश्वास कुमार रुड़की, अमर सिंघल, आशुतोष, विश्वमित्र गोस्वामी, रमाकांत दीक्षित, विद्यावती, जगबीर सिंह, नटवर सिंह, अल्पनादास, अनुपमा अग्रवाल, डॉ धर्मेंद्र अस्थाना, उमेश आदि ने भाग लिया।

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सीहोर में ब्रिज निर्माण के लिए खुदाई करते समय धंसी मिट्टी, 3 मजदूरों की दबने से मौत

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मध्य प्रदेश के सीहोर में सोमवार (23 दिसंबर) को बड़ी घटना हो गई। ब्रिज निर्माण के लिए खुदाई करते समय अचानक मिट्टी धंस गई। दबने से तीन मजदूरों की मौत हो गई। एक को सुरक्षित निकाल लिया।

मध्य प्रदेश के सीहोर में सोमवार (23 दिसंबर) को बड़ी घटना हो गई। बुधनी में ब्रिज का निर्माण कार्य चल रहा है। पुलिया के पास खुदाई करते समय अचानक मिट्टी धंस गई। मिट्‌टी में दबने से 3 मजदूरों की मौत हो गई। एक को रेस्क्यू टीम ने सुरक्षित निकालकर अस्पताल पहुंचाया है। घटना शाहगंज थाना क्षेत्र के सियागहन गांव की है। पुलिस मामले की जांच में जुट गई है।

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रेस्क्यू कर एक को सुरक्षित बाहर निकाला
शाहगंज थाना क्षेत्र के सियागहन गांव में ब्रिज का निर्माण कार्य चल रहा है। सोमवार को चार मजदूर निर्माण के लिए दूसरी पुलिया के पास से मिट्टी खोद रहे थे। खुदाई के समय अचानक मिट्टी धंस गई। सूचना मिलने पर पुलिस और प्रशासन की टीम पहुंची। रेस्क्यू टीम ने एक मजदूर को सुरक्षित बाहर निकाल लिया। तीन की मौत हो गई।

हादसे में इनकी हुई मौत
पुलिस के मुताबिक, लटेरी (विदिशा) निवासी करण (18) पिता घनश्याम, रामकृष्ण उर्फ रामू (32) पिता मांगीलाल गौड और गुना के रहने वाले भगवान लाल पिता बरसादी गौड़ की मौत हो गई। लटेरी निवासी वीरेंद्र पिता सुखराम गौड (25) को सुरक्षित बाहर निकाला गया। वीरेंद्र को नर्मदापुरम रेफर किया है।

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राजलक्ष्मी कंस्ट्रक्शन करवा रहा निर्माण
प्रशासनिक अधिकारियों के मुताबिक, राजलक्ष्मी कंस्ट्रक्शन पुलिया का निर्माण कार्य करा रहा है। पुलिया सियागहन और मंगरोल गांव को जोड़ती है। पुलिया की रिटेनिंग वॉल बनाते समय पहले से बनी रोड की रिटेनिंग वॉल का स्लैब धंस गया। पोकलेन मशीन से मिट्टी हटाकर चारों मजदूरों को बाहर निकाला गया, लेकिन तीन की मौत हो गई। वीरेंद्र का इलाज चल रहा है।

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इंजीनियर अतुल के बेटे की कस्टडी को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला, 4 साल के बच्चे की तलाश जारी

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Atul Subhash Suicide: एआई इंजीनियर का परिवार बिहार के समस्तीपुर में रहता है। निकिता और अतुल का 4 साल का एक बेटा है। अतुल के पिता पीएम मोदी से पोते की कस्टडी दिलाने की गुहार लगा चुके हैं।

Atul Subhash Suicide: बेंगलुरु के इंजीनियर अतुल सुभाष की मां अंजू मोदी ने अपने 4 साल के पोते की कस्टडी के लिए शुक्रवार (20 दिसंबर) को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की। सुभाष ने अपने सुसाइड नोट और वीडियो में पत्नी निकिता सिंघानिया और ससुराल पक्ष पर उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए थे। जिसके बाद बेंगलुरु पुलिस ने निकिता समेत तीन लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। बता दें कि एआई इंजीनियर अतुल ने पिछले 9 दिसंबर को बेंगलुरु स्थित अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी।

पोते के ठिकाने को लेकर गहरी चिंता
अंजू मोदी ने पोते के ठिकाने का पता लगाने और उसकी कस्टडी सुनिश्चित करने के लिए हैबियस कॉर्पस याचिका दाखिल की है। इसमें दावा है कि न तो सुभाष की अलग रह रही पत्नी निकिता सिंघानिया और न ही उनके परिवार के किसी सदस्य, जो फिलहाल हिरासत में हैं, ने बच्चे के ठिकाने की जानकारी दी है। दूसरी ओर, निकिता ने पुलिस से कहा था कि उसका बेटा फरीदाबाद के एक बोर्डिंग स्कूल में पढ़ाई कर रहा है और उसके चाचा सुशील सिंघानिया की देखरेख में है। लेकिन सुशील ने बच्चे की स्थिति की जानकारी होने से इनकार किया है।

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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों से जवाब मांगा
जस्टिस बीवी नागरथना और जस्टिस एन कोटिस्वर सिंह की बेंच ने उत्तर प्रदेश, हरियाणा और कर्नाटक की सरकारों को नोटिस जारी कर बच्चे की स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 7 जनवरी को होगी।

अतुल सुभाष की आत्महत्या से जुड़ी गिरफ्तारी
इंजीनियर सुभाष की आत्महत्या के मामले में कई गिरफ्तारियां हुई हैं। पत्नी निकिता सिंघानिया, सास निशा सिंघानिया और साले अनुराग सिंघानिया को बेंगलुरु पुलिस ने 16 दिसंबर को गिरफ्तार किया था। पुलिस ने सुभाष के छोड़े गए सुसाइड नोट और वीडियो के आधार पर तीनों पर आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया है। अभी वे न्यायिक हिरासत में हैं।

सिंघानिया फैमिली ने जमानत याचिका लगाई
निकिता सिंघानिया के परिजनों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में इस मामले में अग्रिम जमानत के लिए अपील की है। वरिष्ठ वकील मनीष तिवारी ने सुशील सिंघानिया की उम्र (69 वर्ष) और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का हवाला देते हुए आरोपों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने का दावा किया। जस्टिस आशुतोष श्रीवास्तव ने सुशील को 50 हजार रुपए के निजी मुचलके और सख्त शर्तों के साथ अग्रिम जमानत दी है, जिसमें पुलिस जांच के लिए उपलब्ध रहना और पासपोर्ट सरेंडर करना शामिल है।

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अतुल सुभाष के परिवार की क्या है मांग?

इंजीनियर अतुल सुभाष के परिवार ने आरोप लगाया कि निकिता और उनके परिवार ने झूठे कानूनी मामलों और पैसों की मांग कर अतुल को बुरी तरह प्रताड़ित किया। पिता पवन कुमार और भाई बिकास कुमार ने अतुल की अस्थियों को तब तक न बहाने की कसम खाई है जब तक उन्हें न्याय नहीं मिलता।

भाई बिकास कुमार ने कहा- ‘जो लोग इस घटना के पीछे हैं, उन्हें भी गिरफ्तार किया जाना चाहिए। जब तक हमारे खिलाफ झूठे मामले वापस नहीं लिए जाते, हमें न्याय नहीं मिलेगा। हमारा संघर्ष जारी रहेगा।’

बिकास ने अपने भतीजे की सुरक्षा पर भी चिंता जताई और कहा- ‘मुझे अपने भतीजे (अतुल के बेटे) की सुरक्षा की चिंता है। हमने उसे हाल की तस्वीरों में नहीं देखा है। हम उसके ठिकाने की जानकारी चाहते हैं और उसकी कस्टडी जल्द से जल्द चाहते हैं।’

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10 वंदे भारत स्लीपर ट्रेनें निर्माणाधीन, 200 रेक का निर्माण प्रौद्योगिकी साझेदारों के जिम्मे: अश्विनी वैष्णव

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  • विश्व स्तरीय यात्रा के अनुभव के लिए भारतीय रेल अप्रैल 2018 से केवल एलएचबी कोच बना रहा है; 2004-14 की तुलना में 2014-24 के दौरान निर्मित एलएचबी कोचों की संख्या 16 गुना से अधिक है।
  • “सुगम्य भारत मिशन” के हिस्से के रूप में भारतीय रेल दिव्यांगजनों और कम गतिशीलता वाले यात्रियों को अधिकांश मेल/एक्सप्रेस रेलगाड़ियों और वंदे भारत ट्रेनों में व्यापक सुविधाएं प्रदान करता है।

वर्तमान में देश में लंबी और मध्यम दूरी की यात्रा के लिए 10 वंदे भारत स्लीपर ट्रेनें निर्माणाधीन हैं। पहला प्रोटोटाइप निर्मित हो चुका है और इसका फील्ड ट्रायल किया जाएगा। इसके अलावा, 200 वंदे भारत स्लीपर रेक के निर्माण का काम भी प्रौद्योगिकी भागीदारों को सौंपा गया है। सभी रेलगाड़ियों के उपयोग में आने की समयसीमा उनके सफल परीक्षणों पर निर्भर है। 02 दिसंबर 2024 तक, देश भर में छोटी और मध्यम दूरी की यात्रा के लिए भारतीय रेल के ब्रॉड गेज विद्युतीकृत नेटवर्क पर 136 वंदे भारत रेलगाड़ी सेवाएं जारी हैं।

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रेल, सूचना एवं प्रसारण तथा इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में एक वक्तव्य में कहा कि विश्व स्तरीय यात्रा का अनुभव प्रदान करने के लिए भारतीय रेल के ब्रॉड गेज विद्युतीकृत नेटवर्क पर वर्तमान में चेयर कार वाली 136 वंदे भारत रेल सेवाएं जारी हैं। अक्टूबर 2024 तक वंदे भारत एक्सप्रेस रेलगाड़ियों की कुल क्षमता 100% से अधिक होगी।

एक अन्य प्रश्न के उत्तर में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारतीय रेल की उत्पादन इकाइयां अप्रैल 2018 से केवल एलएचबी कोच बना रही हैं। पिछले कुछ वर्षों में एलएचबी कोच का उत्पादन लगातार बढ़ा है। 2014-24 के दौरान निर्मित एलएचबी कोच की संख्या 2004-14 के दौरान निर्मित (2,337) संख्या से 16 गुना (36,933) अधिक है। भारतीय रेल (आईआर) ने एलएचबी कोचों की भरमार कर दी है जो तकनीकी रूप से बेहतर हैं और इनमें एंटी क्लाइम्बिंग व्यवस्था, विफलता संकेत प्रणाली के साथ एयर सस्पेंशन और कम संक्षारक शेल जैसी विशेषताएं हैं।

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“सुगम्य भारत मिशन” (सुलभ भारत अभियान) के हिस्से के रूप में, भारतीय रेल दिव्यांगजनों और कम गतिशीलता वाले यात्रियों के लिए सुगमता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण प्रगति कर रहा है। दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 के दिशा-निर्देशों के अंतर्गत, रैंप, सुलभ पार्किंग, ब्रेल और स्पर्शनीय संकेत, कम ऊंचाई वाले काउंटर और लिफ्ट/एस्कलेटर जैसी व्यापक सुविधाएँ प्रदान की गई हैं।

नवंबर 2024 तक भारतीय रेल ने 399 स्टेशनों पर 1,512 एस्कलेटर और 609 स्टेशनों पर 1,607 लिफ्टें स्थापित की थीं जो पिछले दशक की तुलना में उल्लेखनीय वृद्धि को दर्शाता है – क्रमशः 9 और 14 गुना की वृद्धि। इसके अलावा, अधिकांश मेल और एक्सप्रेस रेलगाड़ियों में चौड़े प्रवेश द्वार, सुलभ शौचालय और व्हीलचेयर पार्किंग वाले कोच उपलब्ध हैं, जबकि वंदे भारत रेलगाड़ियां दिव्यांगजनों के लिए स्वचालित दरवाजे, निर्धारित स्थान और ब्रेल साइनेज जैसी सुविधाओं के साथ बेहतर सुगमता प्रदान करती हैं।

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