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छत्तीसगढ़

Panchayat Secretary Regularisation: अनियमित कर्मचारियों के लिए खुशखबरी! मुख्यमंत्री साय ने नियमितीकरण पर लगाई मुहर

Panchayat Secretary Regularisation: अनियमित कर्मचारियों के लिए खुशखबरी! मुख्यमंत्री साय ने नियमितीकरण पर लगाई मुहर

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रायपुर: Panchayat Secretary Regularisation मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज राजधानी रायपुर के सरदार बलबीर सिंह जुनेजा इंडोर स्टेडियम में पंचायत सचिव दिवस के अवसर पर प्रदेश पंचायत सचिव संघ छत्तीसगढ़ द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में शिरकत की। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार पंचायत सचिवों के हितों का पूरा ध्यान रखती है। सरकार बनते ही पंचायत सचिवों की अपेक्षाओं को पूरा किया गया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने घोषणा करते हुए कहा कि प्रदेश पंचायत सचिव संघ द्वारा शासकीयकरण की मांग को पूरा किया जाएगा और इसके क्रियान्वयन के लिए कमेटी का गठन किया जाएगा। मुख्यमंत्री की घोषणा पर संघ के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री का आभार गजमाला से किया।

Panchayat Secretary Regularisation मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि उन्होंने स्वयं भी 5 साल पंच और निर्विरोध सरपंच रहकर जनता की सेवा की है। उन्होंने बताया कि देश का विकास पंचायतों में निहित है और केंद्र या राज्य सरकार की सभी योजनाओं का क्रियान्वयन पंचायतों के माध्यम से ही होता है। सरपंच और सचिव के हाथों में ग्राम के विकास की चाबी होती है। मुख्यमंत्री ने पंचायत सचिवों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देते हुए कहा कि सभी योजनाओं का सफल क्रियान्वयन सचिवों के माध्यम से ही होता है। उन्होंने सचिवों की प्रशंसा करते हुए उनसे और भी अच्छा कार्य करने का संकल्प लेने की अपील की।

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विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया और छोटी सी अवधि में ही मुख्यमंत्री साय द्वारा अनेक घोषणाओं को पूरा करने के लिए उनकी सराहना की। उन्होंने पंचायत सचिवों की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया और कहा कि पंचायत से लेकर संसद तक कार्य करने का अनुभव मुख्यमंत्री साय के पास है।

उपमुख्यमंत्री और पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग मंत्री विजय शर्मा ने कहा कि छत्तीसगढ़ में सरकार बनते ही मोदी जी की गारंटी को पूरा करने का काम मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की सरकार ने किया है। उन्होंने कहा कि पंचायत सचिवों के माध्यम से ही सरकार की योजनाओं का क्रियान्वयन होता है और सरकार की छवि बनती है। सरकार बनते ही पंचायत सचिवों के एरियर्स की राशि का भुगतान किया गया और हड़ताल अवधि के 55 दिनों की राशि का भी भुगतान किया गया।

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महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े ने कहा कि सचिव संघ की मांगों को सरकार ने हमेशा पूरा किया है और ग्राम सचिवों के माध्यम से ही ग्राम की समस्याओं और मांगों को ऊपर तक पहुंचाया जाता है। केंद्र और राज्य सरकार की सभी योजनाएं पंचायत सचिवों के माध्यम से ही जमीनी स्तर तक पहुंचती हैं।

सांसद दुर्ग विजय बघेल ने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की सरकार को सुशासन की सरकार बताया और कहा कि मुख्यमंत्री सभी की मांगों को संवेदनशीलता से सुनते हैं और पूरा करते हैं। उन्होंने पंचायत सचिवों की महत्वपूर्ण भूमिका की सराहना की और सरकार की योजनाओं को गांव-गांव तक पहुँचाने में उनके योगदान को रेखांकित किया। इस अवसर पर पंचायत सचिव संघ के अध्यक्ष उपेंद्र सिंह पैंकरा और अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।

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Bilaspur के नामी LCIT Group of Institutions का छात्रों के साथ भयानक फर्जीवाड़ा : वादे बड़े-बड़े, हकीकत पानी-पानी!

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LCIT Group of College bilaspur

बिलासपुर: LCIT Group of Institutions – Bilaspur, जो हर साल एडमिशन के दौरान बड़े-बड़े वादे और लुभावने दावे करता है, उसकी सच्चाई अब धीरे-धीरे सामने आने लगी है। दावा किया जाता है कि यहां आधुनिक लैब्स, अनुभवी फैकल्टी और विश्वस्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर मिलेगा — लेकिन ग्राउंड रियलिटी कुछ और ही कहानी बयां कर रही है।

बारिश आई, लैब्स ने छलनी बनकर स्वागत किया!
हमें मिले वीडियो में कॉलेज की लैब्स से टपकती छतें साफ़ दिखाई दे रही हैं। जहां स्टूडेंट्स को मशीनों के साथ प्रैक्टिकल करना चाहिए था, वहां अब पानी से बचने के लिए प्लास्टिक की बाल्टियाँ रखी जा रही हैं। सवाल ये उठता है कि जब प्रयोगशालाएं ही सुरक्षित नहीं, तो शिक्षा कितनी सुरक्षित होगी?

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फैकल्टी? बस कागज़ों पर!
सूत्रों के अनुसार, यहां कई फैकल्टी सदस्य केवल ऑन पेपर मौजूद हैं। यानी नाम तो है, पर काम में कहीं नजर नहीं आते। छात्रों का कहना है कि कई विषयों की क्लास ही नियमित नहीं होती।

इंजीनियरिंग प्रिंसिपल भी सिर्फ नाम के!
कहा जा रहा है कि इंजीनियरिंग कॉलेज का प्रिंसिपल भी फुल टाइम नहीं है, बल्कि केवल औपचारिकता निभाने के लिए कागजों पर मौजूद हैं। यह छात्रों के भविष्य के साथ खुला मज़ाक है।

स्टाफ की नियुक्ति पर भी सवाल
बताया जा रहा है कि अधिकांश स्टाफ या तो यहीं के पुराने छात्र हैं या फिर अन्य कॉलेज से किसी वजह से हटाए गए लोग हैं। इससे शिक्षा की गुणवत्ता पर गंभीर प्रश्नचिह्न लग जाता है।

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🎙 बिलासपुर के इस संस्थान की मार्केटिंग चमचमाती है, लेकिन हकीकत में ढहती छतें, दिखावटी स्टाफ और खोखले दावे छात्रों के सपनों के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। ज़रूरत है कि शिक्षा को सिर्फ व्यापार न बनाकर, जिम्मेदारी समझा जाए

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छत्तीसगढ़

CG News: सुरक्षाबलों की बड़ी कामयाबी, घने जंगलों से भारी मात्रा में नक्सल सामग्री बरामद

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बीजापुर के कोमटपल्ली के जंगलों से जवानों ने भारी मात्रा में नक्सल सामग्री बरामद किया है। घने जंगल में पहाड़ों के बीच नक्सलियों ने सामग्री छुपाकर रखा था।

बीजापुर: छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में सुरक्षाबलों के जवानों को बड़ी सफलता मिली है। जवानों ने भारी मात्रा में नक्सल सामग्री बरामद किया है। नक्सलियों ने कोमटपल्ली जंगल-पहाड़ में बड़े चट्टानों के बीच हथियार और अन्य सामान छुपा कर रखा था। जिसे सर्चिंग के दौरान जवानों की संयुक्त टीम ने बरामद किया है।

बरामद किए गए सामग्रियों में गैस वेल्डिंग मशीन मय नोजल, आक्सीजन सिलेण्डर, गैस वेल्डिंग में उपयोग आने वाला पावडर- 8 डिब्बा, इन्वर्टर- 1 नग, स्टेबलाईजर 5 नग, स्टील कंटेनर 3 नग, कमर्सियल मोटर 3 नग, ब्लोवर(धौकनी मशीन)- 2 नग, ग्लेण्डर मोटर- 1 नग, वेल्डिंग राड 200 नग, टुकड़ा लोहे का राड छोटा बड़ा 3- 3 नग, खाली मैग्जीन 3 नग, इलेक्ट्रिक स्वीच- 65 नग, रायफल सिलिंग -08 नग और 2 नग पोच शामिल है।

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छत्तीसगढ़

निर्देश के बाद भी लापरवाही: धड़ल्ले से जल रही पराली, प्रदूषण बढ़ने का मंडरा रहा खतरा

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नगरी में रबि फसल की तैयारी के लिए किसान लगातार खेतों में पराली को आग के हवाले कर रहे हैं। जिसके चलते प्रदूषण का खतरा मंडरा रहा है।

छत्तीसगढ़ के नगरी के किसान इन दिनों रबि फसल की तैयारी में जुट गए हैं। इसी के साथ खेतों में लगातार पराली जलाने का सिलसिला भी शुरू हो गया है। किसान लगातार खेतों में पराली को आग के हवाले कर रहे हैं जिसके चलते प्रदूषण का खतरा मंडरा रहा है। वहीं इन किसानों को पराली जलाने से रोकने वाला भी कोई नहीं है।

दरअसल, जिला प्रशासन ने पैरादान करने का निर्देश दिया था। इसके बाद भी किसान लगातार पराली को आग के हवाले कर रहे हैं। जिसके कारण प्रदूषण फैलने की संभावना बढ़ गई है। नगरी सिहावा के आसपास के गांव के अधिकतर किसान पैरा में जलाते हुए नजर आ रहे है। वहीं विभागीय अधिकारी का उदासीनता के चलते भी किसान बेख़ौफ़ होकर पराली जला रहे हैं।

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