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रोज जलाभिषेक के साथ करें ‘अमोघ शिव कवच’ का पाठ, सावन में भोलेनाथ होंगे प्रसन्न

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सनातन धर्म में सावन माह का विशेष महत्व है और इस दौरान भगवान भोलेनाथ की विशेष आराधना की जाती है। पौराणिक मान्यता है कि सावन माह में रोज भगवान् शिव  और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। इसके अलावा जलाभिषेक के साथ ‘अमोघ शिव कवच’ का पाठ भी जरूर करना चाहिए। इस ‘अमोघ शिव कवच’ का पाठ रोज करने से जीवन में व्याप्त सभी दुःख, संकट, काल और कष्ट दूर हो जाते हैं –

अमोघ शिव कवच

वज्र-दंष्ट्रं त्रि-नयनं काल-कण्ठमरिन्दमम् ।

सहस्र-करमत्युग्रं वंदे शंभुमुमा-पतिम् ॥

मां पातु देवोऽखिल-देवतात्मा, संसार-कूपे पतितं गंभीरे ।

तन्नाम-दिव्यं वर-मंत्र-मूलं, धुनोतु मे सर्वमघं ह्रदिस्थम् ॥

सर्वत्र मां रक्षतु विश्‍व-मूर्तिर्ज्योतिर्मयानन्द-घनश्‍चिदात्मा ।

अणोरणीयानुरु-शक्‍तिरेकः, स ईश्‍वरः पातु भयादशेषात् ॥

यो भू-स्वरूपेण बिभात विश्‍वं, पायात् स भूमेर्गिरिशोऽष्ट-मूर्तिः ।

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योऽपां स्वरूपेण नृणां करोति, सञ्जीवनं सोऽवतु मां जलेभ्यः ॥

कल्पावसाने भुवनानि दग्ध्वा, सर्वाणि यो नृत्यति भूरि-लीलः ।

स काल-रुद्रोऽवतु मां दवाग्नेर्वात्यादि-भीतेरखिलाच्च तापात् ॥

प्रदीप्त-विद्युत् कनकावभासो, विद्या-वराभीति-कुठार-पाणिः ।

चतुर्मुखस्तत्पुरुषस्त्रिनेत्रः, प्राच्यां स्थितं रक्षतु मामजस्रम् ॥

कुठार-खेटांकुश-पाश-शूल-कपाल-ढक्काक्ष-गुणान् दधानः ।

चतुर्मुखो नील-रुचिस्त्रिनेत्रः, पायादघोरो दिशि दक्षिणस्याम् ॥

कुन्देन्दु-शङ्ख-स्फटिकावभासो, वेदाक्ष-माला वरदाभयांङ्कः ।

त्र्यक्षश्‍चतुर्वक्त्र उरु-प्रभावः, सद्योऽधिजातोऽवस्तु मां प्रतीच्याम् ॥

वराक्ष-माला-भय-टङ्क-हस्तः, सरोज-किञ्जल्क-समान-वर्णः ।

त्रिलोचनश्‍चारु-चतुर्मुखो मां, पायादुदीच्या दिशि वाम-देवः ॥

वेदाभ्येष्टांकुश-पाश-टङ्क-कपाल-ढक्काक्षक-शूल-पाणिः ।

सित-द्युतिः पञ्चमुखोऽवताम् मामीशान-ऊर्ध्वं परम-प्रकाशः ॥

मूर्धानमव्यान् मम चंद्र-मौलिर्भालं ममाव्यादथ भाल-नेत्रः ।

नेत्रे ममाव्याद् भग-नेत्र-हारी, नासां सदा रक्षतु विश्‍व-नाथः ॥

पायाच्छ्रुती मे श्रुति-गीत-कीर्तिः, कपोलमव्यात् सततं कपाली ।

वक्त्रं सदा रक्षतु पञ्चवक्त्रो, जिह्वां सदा रक्षतु वेद-जिह्वः ॥

कण्ठं गिरीशोऽवतु नील-कण्ठः, पाणि-द्वयं पातु पिनाक-पाणिः ।

दोर्मूलमव्यान्मम धर्म-बाहुर्वक्ष-स्थलं दक्ष-मखान्तकोऽव्यात् ॥

ममोदरं पातु गिरीन्द्र-धन्वा, मध्यं ममाव्यान्मदनान्त-कारी ।

हेरम्ब-तातो मम पातु नाभिं, पायात् कटिं धूर्जटिरीश्‍वरो मे ॥

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ऊरु-द्वयं पातु कुबेर-मित्रो, जानु-द्वयं मे जगदीश्‍वरोऽव्यात् ।

जङ्घा-युगं पुङ्गव-केतुरव्यात्, पादौ ममाव्यात् सुर-वन्द्य-पादः ॥

महेश्‍वरः पातु दिनादि-यामे, मां मध्य-यामेऽवतु वाम-देवः ।

त्र्यम्बकः पातु तृतीय-यामे, वृष-ध्वजः पातु दिनांत्य-यामे ॥

पायान्निशादौ शशि-शेखरो मां, गङ्गा-धरो रक्षतु मां निशीथे ।

गौरी-पतिः पातु निशावसाने, मृत्युञ्जयो रक्षतु सर्व-कालम् ॥

अन्तः-स्थितं रक्षतु शङ्करो मां, स्थाणुः सदा पातु बहिः-स्थित माम् ।

तदन्तरे पातु पतिः पशूनां, सदा-शिवो रक्षतु मां समन्तात् ॥

तिष्ठन्तमव्याद् ‍भुवनैकनाथः, पायाद्‍ व्रजन्तं प्रथमाधि-नाथः ।

वेदान्त-वेद्योऽवतु मां निषण्णं, मामव्ययः पातु शिवः शयानम् ॥

मार्गेषु मां रक्षतु नील-कंठः, शैलादि-दुर्गेषु पुर-त्रयारिः ।

अरण्य-वासादि-महा-प्रवासे, पायान्मृग-व्याध उदार-शक्तिः ॥

कल्पान्तकाटोप-पटु-प्रकोप-स्फुटाट्ट-हासोच्चलिताण्ड-कोशः ।

घोरारि-सेनार्णव-दुर्निवार-महा-भयाद् रक्षतु वीर-भद्रः ॥

पत्त्यश्‍व-मातङ्ग-रथावरूथ-सहस्र-लक्षायुत-कोटि-भीषणम् ।

अक्षौहिणीनां शतमाततायिनाश्छिन्द्यान्मृडो घोर-कुठार-धारया ॥

निहन्तु दस्यून् प्रलयानिलार्च्चिर्ज्ज्वलन् त्रिशूलं त्रिपुरांतकस्य ।

शार्दूल-सिंहर्क्ष-वृकादि-हिंस्रान् सन्त्रासयत्वीश-धनुः पिनाकः ॥

दुःस्वप्न-दुःशकुन-दुर्गति-दौर्मनस्य-दुर्भिक्ष-दुर्व्यसन-दुःसह-दुर्यशांसि ।

उत्पात-ताप-विष-भीतिमसद्‍-गुहार्ति-व्याधींश्‍च नाशयतु मे जगतामधीशः ॥

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सीहोर में ब्रिज निर्माण के लिए खुदाई करते समय धंसी मिट्टी, 3 मजदूरों की दबने से मौत

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मध्य प्रदेश के सीहोर में सोमवार (23 दिसंबर) को बड़ी घटना हो गई। ब्रिज निर्माण के लिए खुदाई करते समय अचानक मिट्टी धंस गई। दबने से तीन मजदूरों की मौत हो गई। एक को सुरक्षित निकाल लिया।

मध्य प्रदेश के सीहोर में सोमवार (23 दिसंबर) को बड़ी घटना हो गई। बुधनी में ब्रिज का निर्माण कार्य चल रहा है। पुलिया के पास खुदाई करते समय अचानक मिट्टी धंस गई। मिट्‌टी में दबने से 3 मजदूरों की मौत हो गई। एक को रेस्क्यू टीम ने सुरक्षित निकालकर अस्पताल पहुंचाया है। घटना शाहगंज थाना क्षेत्र के सियागहन गांव की है। पुलिस मामले की जांच में जुट गई है।

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रेस्क्यू कर एक को सुरक्षित बाहर निकाला
शाहगंज थाना क्षेत्र के सियागहन गांव में ब्रिज का निर्माण कार्य चल रहा है। सोमवार को चार मजदूर निर्माण के लिए दूसरी पुलिया के पास से मिट्टी खोद रहे थे। खुदाई के समय अचानक मिट्टी धंस गई। सूचना मिलने पर पुलिस और प्रशासन की टीम पहुंची। रेस्क्यू टीम ने एक मजदूर को सुरक्षित बाहर निकाल लिया। तीन की मौत हो गई।

हादसे में इनकी हुई मौत
पुलिस के मुताबिक, लटेरी (विदिशा) निवासी करण (18) पिता घनश्याम, रामकृष्ण उर्फ रामू (32) पिता मांगीलाल गौड और गुना के रहने वाले भगवान लाल पिता बरसादी गौड़ की मौत हो गई। लटेरी निवासी वीरेंद्र पिता सुखराम गौड (25) को सुरक्षित बाहर निकाला गया। वीरेंद्र को नर्मदापुरम रेफर किया है।

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राजलक्ष्मी कंस्ट्रक्शन करवा रहा निर्माण
प्रशासनिक अधिकारियों के मुताबिक, राजलक्ष्मी कंस्ट्रक्शन पुलिया का निर्माण कार्य करा रहा है। पुलिया सियागहन और मंगरोल गांव को जोड़ती है। पुलिया की रिटेनिंग वॉल बनाते समय पहले से बनी रोड की रिटेनिंग वॉल का स्लैब धंस गया। पोकलेन मशीन से मिट्टी हटाकर चारों मजदूरों को बाहर निकाला गया, लेकिन तीन की मौत हो गई। वीरेंद्र का इलाज चल रहा है।

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इंजीनियर अतुल के बेटे की कस्टडी को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला, 4 साल के बच्चे की तलाश जारी

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Atul Subhash Suicide: एआई इंजीनियर का परिवार बिहार के समस्तीपुर में रहता है। निकिता और अतुल का 4 साल का एक बेटा है। अतुल के पिता पीएम मोदी से पोते की कस्टडी दिलाने की गुहार लगा चुके हैं।

Atul Subhash Suicide: बेंगलुरु के इंजीनियर अतुल सुभाष की मां अंजू मोदी ने अपने 4 साल के पोते की कस्टडी के लिए शुक्रवार (20 दिसंबर) को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की। सुभाष ने अपने सुसाइड नोट और वीडियो में पत्नी निकिता सिंघानिया और ससुराल पक्ष पर उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए थे। जिसके बाद बेंगलुरु पुलिस ने निकिता समेत तीन लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। बता दें कि एआई इंजीनियर अतुल ने पिछले 9 दिसंबर को बेंगलुरु स्थित अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी।

पोते के ठिकाने को लेकर गहरी चिंता
अंजू मोदी ने पोते के ठिकाने का पता लगाने और उसकी कस्टडी सुनिश्चित करने के लिए हैबियस कॉर्पस याचिका दाखिल की है। इसमें दावा है कि न तो सुभाष की अलग रह रही पत्नी निकिता सिंघानिया और न ही उनके परिवार के किसी सदस्य, जो फिलहाल हिरासत में हैं, ने बच्चे के ठिकाने की जानकारी दी है। दूसरी ओर, निकिता ने पुलिस से कहा था कि उसका बेटा फरीदाबाद के एक बोर्डिंग स्कूल में पढ़ाई कर रहा है और उसके चाचा सुशील सिंघानिया की देखरेख में है। लेकिन सुशील ने बच्चे की स्थिति की जानकारी होने से इनकार किया है।

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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों से जवाब मांगा
जस्टिस बीवी नागरथना और जस्टिस एन कोटिस्वर सिंह की बेंच ने उत्तर प्रदेश, हरियाणा और कर्नाटक की सरकारों को नोटिस जारी कर बच्चे की स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 7 जनवरी को होगी।

अतुल सुभाष की आत्महत्या से जुड़ी गिरफ्तारी
इंजीनियर सुभाष की आत्महत्या के मामले में कई गिरफ्तारियां हुई हैं। पत्नी निकिता सिंघानिया, सास निशा सिंघानिया और साले अनुराग सिंघानिया को बेंगलुरु पुलिस ने 16 दिसंबर को गिरफ्तार किया था। पुलिस ने सुभाष के छोड़े गए सुसाइड नोट और वीडियो के आधार पर तीनों पर आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया है। अभी वे न्यायिक हिरासत में हैं।

सिंघानिया फैमिली ने जमानत याचिका लगाई
निकिता सिंघानिया के परिजनों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में इस मामले में अग्रिम जमानत के लिए अपील की है। वरिष्ठ वकील मनीष तिवारी ने सुशील सिंघानिया की उम्र (69 वर्ष) और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का हवाला देते हुए आरोपों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने का दावा किया। जस्टिस आशुतोष श्रीवास्तव ने सुशील को 50 हजार रुपए के निजी मुचलके और सख्त शर्तों के साथ अग्रिम जमानत दी है, जिसमें पुलिस जांच के लिए उपलब्ध रहना और पासपोर्ट सरेंडर करना शामिल है।

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अतुल सुभाष के परिवार की क्या है मांग?

इंजीनियर अतुल सुभाष के परिवार ने आरोप लगाया कि निकिता और उनके परिवार ने झूठे कानूनी मामलों और पैसों की मांग कर अतुल को बुरी तरह प्रताड़ित किया। पिता पवन कुमार और भाई बिकास कुमार ने अतुल की अस्थियों को तब तक न बहाने की कसम खाई है जब तक उन्हें न्याय नहीं मिलता।

भाई बिकास कुमार ने कहा- ‘जो लोग इस घटना के पीछे हैं, उन्हें भी गिरफ्तार किया जाना चाहिए। जब तक हमारे खिलाफ झूठे मामले वापस नहीं लिए जाते, हमें न्याय नहीं मिलेगा। हमारा संघर्ष जारी रहेगा।’

बिकास ने अपने भतीजे की सुरक्षा पर भी चिंता जताई और कहा- ‘मुझे अपने भतीजे (अतुल के बेटे) की सुरक्षा की चिंता है। हमने उसे हाल की तस्वीरों में नहीं देखा है। हम उसके ठिकाने की जानकारी चाहते हैं और उसकी कस्टडी जल्द से जल्द चाहते हैं।’

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10 वंदे भारत स्लीपर ट्रेनें निर्माणाधीन, 200 रेक का निर्माण प्रौद्योगिकी साझेदारों के जिम्मे: अश्विनी वैष्णव

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  • विश्व स्तरीय यात्रा के अनुभव के लिए भारतीय रेल अप्रैल 2018 से केवल एलएचबी कोच बना रहा है; 2004-14 की तुलना में 2014-24 के दौरान निर्मित एलएचबी कोचों की संख्या 16 गुना से अधिक है।
  • “सुगम्य भारत मिशन” के हिस्से के रूप में भारतीय रेल दिव्यांगजनों और कम गतिशीलता वाले यात्रियों को अधिकांश मेल/एक्सप्रेस रेलगाड़ियों और वंदे भारत ट्रेनों में व्यापक सुविधाएं प्रदान करता है।

वर्तमान में देश में लंबी और मध्यम दूरी की यात्रा के लिए 10 वंदे भारत स्लीपर ट्रेनें निर्माणाधीन हैं। पहला प्रोटोटाइप निर्मित हो चुका है और इसका फील्ड ट्रायल किया जाएगा। इसके अलावा, 200 वंदे भारत स्लीपर रेक के निर्माण का काम भी प्रौद्योगिकी भागीदारों को सौंपा गया है। सभी रेलगाड़ियों के उपयोग में आने की समयसीमा उनके सफल परीक्षणों पर निर्भर है। 02 दिसंबर 2024 तक, देश भर में छोटी और मध्यम दूरी की यात्रा के लिए भारतीय रेल के ब्रॉड गेज विद्युतीकृत नेटवर्क पर 136 वंदे भारत रेलगाड़ी सेवाएं जारी हैं।

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रेल, सूचना एवं प्रसारण तथा इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में एक वक्तव्य में कहा कि विश्व स्तरीय यात्रा का अनुभव प्रदान करने के लिए भारतीय रेल के ब्रॉड गेज विद्युतीकृत नेटवर्क पर वर्तमान में चेयर कार वाली 136 वंदे भारत रेल सेवाएं जारी हैं। अक्टूबर 2024 तक वंदे भारत एक्सप्रेस रेलगाड़ियों की कुल क्षमता 100% से अधिक होगी।

एक अन्य प्रश्न के उत्तर में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारतीय रेल की उत्पादन इकाइयां अप्रैल 2018 से केवल एलएचबी कोच बना रही हैं। पिछले कुछ वर्षों में एलएचबी कोच का उत्पादन लगातार बढ़ा है। 2014-24 के दौरान निर्मित एलएचबी कोच की संख्या 2004-14 के दौरान निर्मित (2,337) संख्या से 16 गुना (36,933) अधिक है। भारतीय रेल (आईआर) ने एलएचबी कोचों की भरमार कर दी है जो तकनीकी रूप से बेहतर हैं और इनमें एंटी क्लाइम्बिंग व्यवस्था, विफलता संकेत प्रणाली के साथ एयर सस्पेंशन और कम संक्षारक शेल जैसी विशेषताएं हैं।

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“सुगम्य भारत मिशन” (सुलभ भारत अभियान) के हिस्से के रूप में, भारतीय रेल दिव्यांगजनों और कम गतिशीलता वाले यात्रियों के लिए सुगमता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण प्रगति कर रहा है। दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 के दिशा-निर्देशों के अंतर्गत, रैंप, सुलभ पार्किंग, ब्रेल और स्पर्शनीय संकेत, कम ऊंचाई वाले काउंटर और लिफ्ट/एस्कलेटर जैसी व्यापक सुविधाएँ प्रदान की गई हैं।

नवंबर 2024 तक भारतीय रेल ने 399 स्टेशनों पर 1,512 एस्कलेटर और 609 स्टेशनों पर 1,607 लिफ्टें स्थापित की थीं जो पिछले दशक की तुलना में उल्लेखनीय वृद्धि को दर्शाता है – क्रमशः 9 और 14 गुना की वृद्धि। इसके अलावा, अधिकांश मेल और एक्सप्रेस रेलगाड़ियों में चौड़े प्रवेश द्वार, सुलभ शौचालय और व्हीलचेयर पार्किंग वाले कोच उपलब्ध हैं, जबकि वंदे भारत रेलगाड़ियां दिव्यांगजनों के लिए स्वचालित दरवाजे, निर्धारित स्थान और ब्रेल साइनेज जैसी सुविधाओं के साथ बेहतर सुगमता प्रदान करती हैं।

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