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छत्तीसगढ़

आज से शुरू होगा धान खरीदी का सबसे बड़ा अभियान, तैयारियां पूर्ण

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14 नवम्बर से 31 जनवरी तक चलेगा अभियान

1.37 लाख किसानों ने धान बेचने कराया पंजीयन

जिले में 140 उपार्जन केन्द्रों में होगी खरीदी, किसानों में उत्साह का माहौल

सीसीटीव्ही कैमरों से होगी धान खरीदी की निगरानी

कलेक्टर ने अधिकारियों को दी हिदायत, धान बेचने में नहीं होनी चाहिए किसानों को दिक्कत
बिलासपुर, 13 नवंबर 2024/राज्य शासन की मंशा के अनुरूप जिले में 14 नवम्बर से समर्थन मूल्य पर धान खरीदी का सबसे बड़ा अभियान शुरू हो रहा है। किसान हित में राज्य सरकार का लगभग ढाई महीने तक चलने वाला यह सबसे बड़ा अभियान होगा। खरीदी 14 नवम्बर से शुरू होकर 31 जनवरी 2025 तक चलेगी। धान खरीदी केन्द्रों से लेकर जिला कार्यालयों तक खरीदी से जुड़ी तमाम प्रशासनिक तैयारियां पूर्ण कर ली गई है। मुख्यमंत्री

विष्णु देव साय जी के निर्देशानुसार किसानों की सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा गया है। कलेक्टर श्री अवनीश शरण ने धान खरीदी से जुड़े सभी अधिकारियों को हिदायत दी है। उन्होंने कहा है कि खरीदी कार्य से जुड़ी हर स्तर की समस्या का तत्काल समाधान निकाला जाये। किसानों को किसी भी स्तर पर परेशानी नहीं होनी चाहिए। 140 उपार्जन केन्द्रों में धान खरीदी होगी। किसानों में धान खरीदी को लेकर उत्साह का माहौल है।

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धान खरीदी केन्द्रों पर गड़बड़ी रोकन के लिए सीसीटीव्ही कैमरों से निगरानी रखी जाएगी। प्रत्येक केन्द्र पर 2-2 कैमरे लगाए जाएंगे, इसके साथ ही धान संग्रहण केन्द्रों और राईस मिल परिसरों में भी कैमरे इंस्टॉल किये जाएंगे। तौल में गड़बड़ी की आशंका को दूर रखने के लिए इलेक्ट्रॉनिक कार्ड बांट का उपयोग किया जाएगा। खाद्य विभाग के अधिकारियों ने आज यहां बताया कि जिले में इस साल धान बेचने के लिए 1 लाख 37 हजार किसानों ने पंजीयन कराये है। जिले में धान खरीदी का अनुमानित लक्ष्य 7.80 लाख मीटरिक टन निर्धारित किया गया है। धान की खरीदी समर्थन मूल्य पर की जायेगी। किसानों से 3100 रू. प्रति क्विंटल की दर और प्रति एकड़ 21 क्विंटल के मान से धान खरीदी की जाएगी।

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धान खरीदी प्रति सप्ताह सोमवार से शुक्रवार तक की जाएगी। शासकीय अवकाश के दिन खरीदी बंद रहेगी। धान में 17 प्रतिशत से ज्यादा नमीं नहीं होनी चाहिए। किसानों को अपना धान सुखाकर एवं अच्छी तरह से साफ करने बेचने लाने का अनुरोध किया गया है। केवल पंजीकृत किसानों से उन्हें जारी टोकन के अनुसार धान खरीदा जाएगा। खरीदी केन्द्रों पर साफ-सफाई के साथ ही कम्प्यूटर, इन्टरनेट, आद्रतामापी, कांटा-बांट, रंग एवं सुतली, कर्मचारी एवं हमाल, चबूतरा, तारपोलिन की व्यवस्था, डनेज, संग्रहण केन्द्रों की दूरी, प्राथमिक उपचार पेटी, किसानों के लिए पानी एवं छाया, एफएक्यू का प्रदर्शन की तैयारी पूर्ण कर प्रतिवेदन जिला कार्यालय को प्राप्त हो गया है।

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Bilaspur के नामी LCIT Group of Institutions का छात्रों के साथ भयानक फर्जीवाड़ा : वादे बड़े-बड़े, हकीकत पानी-पानी!

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LCIT Group of College bilaspur

बिलासपुर: LCIT Group of Institutions – Bilaspur, जो हर साल एडमिशन के दौरान बड़े-बड़े वादे और लुभावने दावे करता है, उसकी सच्चाई अब धीरे-धीरे सामने आने लगी है। दावा किया जाता है कि यहां आधुनिक लैब्स, अनुभवी फैकल्टी और विश्वस्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर मिलेगा — लेकिन ग्राउंड रियलिटी कुछ और ही कहानी बयां कर रही है।

बारिश आई, लैब्स ने छलनी बनकर स्वागत किया!
हमें मिले वीडियो में कॉलेज की लैब्स से टपकती छतें साफ़ दिखाई दे रही हैं। जहां स्टूडेंट्स को मशीनों के साथ प्रैक्टिकल करना चाहिए था, वहां अब पानी से बचने के लिए प्लास्टिक की बाल्टियाँ रखी जा रही हैं। सवाल ये उठता है कि जब प्रयोगशालाएं ही सुरक्षित नहीं, तो शिक्षा कितनी सुरक्षित होगी?

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फैकल्टी? बस कागज़ों पर!
सूत्रों के अनुसार, यहां कई फैकल्टी सदस्य केवल ऑन पेपर मौजूद हैं। यानी नाम तो है, पर काम में कहीं नजर नहीं आते। छात्रों का कहना है कि कई विषयों की क्लास ही नियमित नहीं होती।

इंजीनियरिंग प्रिंसिपल भी सिर्फ नाम के!
कहा जा रहा है कि इंजीनियरिंग कॉलेज का प्रिंसिपल भी फुल टाइम नहीं है, बल्कि केवल औपचारिकता निभाने के लिए कागजों पर मौजूद हैं। यह छात्रों के भविष्य के साथ खुला मज़ाक है।

स्टाफ की नियुक्ति पर भी सवाल
बताया जा रहा है कि अधिकांश स्टाफ या तो यहीं के पुराने छात्र हैं या फिर अन्य कॉलेज से किसी वजह से हटाए गए लोग हैं। इससे शिक्षा की गुणवत्ता पर गंभीर प्रश्नचिह्न लग जाता है।

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🎙 बिलासपुर के इस संस्थान की मार्केटिंग चमचमाती है, लेकिन हकीकत में ढहती छतें, दिखावटी स्टाफ और खोखले दावे छात्रों के सपनों के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। ज़रूरत है कि शिक्षा को सिर्फ व्यापार न बनाकर, जिम्मेदारी समझा जाए

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छत्तीसगढ़

CG News: सुरक्षाबलों की बड़ी कामयाबी, घने जंगलों से भारी मात्रा में नक्सल सामग्री बरामद

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बीजापुर के कोमटपल्ली के जंगलों से जवानों ने भारी मात्रा में नक्सल सामग्री बरामद किया है। घने जंगल में पहाड़ों के बीच नक्सलियों ने सामग्री छुपाकर रखा था।

बीजापुर: छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में सुरक्षाबलों के जवानों को बड़ी सफलता मिली है। जवानों ने भारी मात्रा में नक्सल सामग्री बरामद किया है। नक्सलियों ने कोमटपल्ली जंगल-पहाड़ में बड़े चट्टानों के बीच हथियार और अन्य सामान छुपा कर रखा था। जिसे सर्चिंग के दौरान जवानों की संयुक्त टीम ने बरामद किया है।

बरामद किए गए सामग्रियों में गैस वेल्डिंग मशीन मय नोजल, आक्सीजन सिलेण्डर, गैस वेल्डिंग में उपयोग आने वाला पावडर- 8 डिब्बा, इन्वर्टर- 1 नग, स्टेबलाईजर 5 नग, स्टील कंटेनर 3 नग, कमर्सियल मोटर 3 नग, ब्लोवर(धौकनी मशीन)- 2 नग, ग्लेण्डर मोटर- 1 नग, वेल्डिंग राड 200 नग, टुकड़ा लोहे का राड छोटा बड़ा 3- 3 नग, खाली मैग्जीन 3 नग, इलेक्ट्रिक स्वीच- 65 नग, रायफल सिलिंग -08 नग और 2 नग पोच शामिल है।

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छत्तीसगढ़

निर्देश के बाद भी लापरवाही: धड़ल्ले से जल रही पराली, प्रदूषण बढ़ने का मंडरा रहा खतरा

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नगरी में रबि फसल की तैयारी के लिए किसान लगातार खेतों में पराली को आग के हवाले कर रहे हैं। जिसके चलते प्रदूषण का खतरा मंडरा रहा है।

छत्तीसगढ़ के नगरी के किसान इन दिनों रबि फसल की तैयारी में जुट गए हैं। इसी के साथ खेतों में लगातार पराली जलाने का सिलसिला भी शुरू हो गया है। किसान लगातार खेतों में पराली को आग के हवाले कर रहे हैं जिसके चलते प्रदूषण का खतरा मंडरा रहा है। वहीं इन किसानों को पराली जलाने से रोकने वाला भी कोई नहीं है।

दरअसल, जिला प्रशासन ने पैरादान करने का निर्देश दिया था। इसके बाद भी किसान लगातार पराली को आग के हवाले कर रहे हैं। जिसके कारण प्रदूषण फैलने की संभावना बढ़ गई है। नगरी सिहावा के आसपास के गांव के अधिकतर किसान पैरा में जलाते हुए नजर आ रहे है। वहीं विभागीय अधिकारी का उदासीनता के चलते भी किसान बेख़ौफ़ होकर पराली जला रहे हैं।

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