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हो गया Vinesh Phogat की किस्मत का फैसला, सिल्वर मेडल पर Olympic कमेटी ने जारी किया स्टेटमेंट

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India News (इंडिया न्यूज), Olympic Committee on Vinesh Phogat Siver Medal: भारतीय महिला पहलवान विनेश फोगाट ने पेरिस ओलंपिक 2024 के महिलाओं के 50 किलोग्राम वर्ग के फाइनल से अयोग्य ठहराए जाने पर खेल पंचाट न्यायालय में याचिका दायर किया था।

जिसको लेकर अब खेल पंचाट न्यायालय ने शुक्रवार (9 अगस्त) को कहा कि महिलाओं के 50 किलोग्राम वर्ग के फाइनल से अयोग्य ठहराए जाने के बारे में विनेश फोगट द्वारा की गई याचिका पर फैसला चल रहे पेरिस ओलंपिक 2024 के अंत से पहले आ जाएगा। दरअसल, सिर्फ 100 ग्राम अधिक रहने की वजह से विनेश को अयोग्य ठहराया गया था। जो विनेश के लिए दिल तोड़ने वाला क्षण था, जिसने बाद में खेल छोड़ने का फैसला किया।

खेल पंचाट न्यायालय ने सुनाया अपना फैसला

बता दें कि, खेल पंचाट न्यायालय ने अपने बयान में कहा कि नवीनतम अपडेट के अनुसार प्रक्रिया जारी है और मामले को एकमात्र मध्यस्थ डॉ. एनाले बेनेट को भेज दिया गया है। बयान के अनुसार भारतीय पहलवान विनेश फोगट (आवेदक) द्वारा 7 अगस्त 2024 को 16:45 CEST पर CAS एड हॉक डिवीजन में एक आवेदन दायर किया गया था। जिसमें ओलंपिक गेम्स पेरिस 2024 में महिला फ़्रीस्टाइल 50 किग्रा प्रतियोगिता के स्वर्ण पदक मैच से पहले उनके दूसरे वजन में असफल होने के कारण यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग द्वारा उनकी जगह किसी और को नियुक्त करने के निर्णय के संबंध में बताया गया था। जो उसी दिन 18:15 CEST पर शुरू होने वाला था।

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दरअसल, आवेदक ने शुरू में CAS एड हॉक डिवीजन से चुनौतीपूर्ण निर्णय को रद्द करने और अंतिम मैच से पहले एक और वजन करने का आदेश देने के साथ-साथ यह घोषणा करने का निर्णय मांगा था कि उन्हें फाइनल में भाग लेने के लिए पात्र और योग्य घोषित किया जाए। हालांकि, उन्होंने तत्काल अंतरिम उपायों का अनुरोध नहीं किया। CAS एड हॉक डिवीजन प्रक्रिया तेज़ है, लेकिन एक घंटे के भीतर योग्यता पर निर्णय जारी करना संभव नहीं था। यह ध्यान में रखते हुए कि प्रतिवादी UWW को पहले सुनना होगा।

विनेश ने किया रजत पदक देने का मांग

गौरतलब है कि आवेदक ने पुष्टि की है कि वह चुनौती दिए गए निर्णय को रद्द करने की मांग करती है और वह (साझा) रजत पदक से सम्मानित होने का अनुरोध करती है। मामले को माननीय डॉ. एनाबेले बेनेट एसी एससी (एयूएस) के पास भेजा गया है। जो एकमात्र मध्यस्थ के रूप में बैठी हैं, जो आज पक्षों के साथ सुनवाई करेंगी। ओलंपिक खेलों के खत्म होने से पहले एकमात्र मध्यस्थ का फैसला जारी होने की उम्मीद है। विनेश फोगाट ने पेरिस ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन किया, जहां उन्होंने पहले दौर में युई सुसाकी को हराकर एक मजबूत बयान दिया। अगले दौर में उन्होंने अगले दौर में ओक्साना लिवाच को और सेमीफाइनल में चिली की युस्नेलिस गुज़मैन को हराया। फिर उन्हें यूएसए की सारा हिल्डेब्रांट के खिलाफ फाइनल से पहले अयोग्य घोषित कर दिया गया।

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Bilaspur के नामी LCIT Group of Institutions का छात्रों के साथ भयानक फर्जीवाड़ा : वादे बड़े-बड़े, हकीकत पानी-पानी!

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LCIT Group of College bilaspur

बिलासपुर: LCIT Group of Institutions – Bilaspur, जो हर साल एडमिशन के दौरान बड़े-बड़े वादे और लुभावने दावे करता है, उसकी सच्चाई अब धीरे-धीरे सामने आने लगी है। दावा किया जाता है कि यहां आधुनिक लैब्स, अनुभवी फैकल्टी और विश्वस्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर मिलेगा — लेकिन ग्राउंड रियलिटी कुछ और ही कहानी बयां कर रही है।

बारिश आई, लैब्स ने छलनी बनकर स्वागत किया!
हमें मिले वीडियो में कॉलेज की लैब्स से टपकती छतें साफ़ दिखाई दे रही हैं। जहां स्टूडेंट्स को मशीनों के साथ प्रैक्टिकल करना चाहिए था, वहां अब पानी से बचने के लिए प्लास्टिक की बाल्टियाँ रखी जा रही हैं। सवाल ये उठता है कि जब प्रयोगशालाएं ही सुरक्षित नहीं, तो शिक्षा कितनी सुरक्षित होगी?

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फैकल्टी? बस कागज़ों पर!
सूत्रों के अनुसार, यहां कई फैकल्टी सदस्य केवल ऑन पेपर मौजूद हैं। यानी नाम तो है, पर काम में कहीं नजर नहीं आते। छात्रों का कहना है कि कई विषयों की क्लास ही नियमित नहीं होती।

इंजीनियरिंग प्रिंसिपल भी सिर्फ नाम के!
कहा जा रहा है कि इंजीनियरिंग कॉलेज का प्रिंसिपल भी फुल टाइम नहीं है, बल्कि केवल औपचारिकता निभाने के लिए कागजों पर मौजूद हैं। यह छात्रों के भविष्य के साथ खुला मज़ाक है।

स्टाफ की नियुक्ति पर भी सवाल
बताया जा रहा है कि अधिकांश स्टाफ या तो यहीं के पुराने छात्र हैं या फिर अन्य कॉलेज से किसी वजह से हटाए गए लोग हैं। इससे शिक्षा की गुणवत्ता पर गंभीर प्रश्नचिह्न लग जाता है।

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🎙 बिलासपुर के इस संस्थान की मार्केटिंग चमचमाती है, लेकिन हकीकत में ढहती छतें, दिखावटी स्टाफ और खोखले दावे छात्रों के सपनों के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। ज़रूरत है कि शिक्षा को सिर्फ व्यापार न बनाकर, जिम्मेदारी समझा जाए

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165 किलोमीटर की रफ्तार से टकराया तूफान… सेंट्रल अमेरिका में सारा ने मचाई ऐसी तबाही, लोग करने लगे त्राहिमाम

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165 किलोमीटर की रफ्तार से टकराया तूफान... सेंट्रल अमेरिका में सारा ने मचाई ऐसी तबाही, लोग करने लगे त्राहिमाम

नई दिल्ली. ट्रॉपिकल स्टॉर्म सारा ने हाल के दिनों में मध्य अमेरिका में भारी तबाही मचाई है. यह तूफान गुरुवार दोपहर को कैरेबियन सागर में बना था. यह अटलांटिक तूफान मौसम का 18वां तूफान है और इस महीने का तीसरा.

इस मौसम में इतने सारे उष्णकटिबंधीय तूफान (ट्रॉपिकल स्टॉर्म) और चक्रवात बनने का कारण कैरेबियन सागर और मैक्सिको की खाड़ी का औसत से अधिक गर्म होना है, जिससे इन सिस्टम के डेवलपमेंट और तेजी को अधिक एनर्जी मिलती है.

अपने बनने के बाद से, सारा समुद्री तूफान ने होंडुरास, कोस्टा रिका, निकारागुआ, बेलीज और ग्वाटेमाला को बुरी तरह से प्रभावित किया है, जिससे भारी बारिश, बड़े पैमाने पर बाढ़ और लैंडस्लाइड हुआ है. तूफान की धीमी गति ने नुकसान को और बढ़ा दिया है, जिससे इसका असर लंबे समय तक बना रह सकता है. हालांकि, सारा की ताकत कम हो रही है; गुरुवार को इसकी स्थायी हवाएं 45 मील प्रति घंटे की थीं, लेकिन अंदरूनी इलाकों में जाने के बाद यह थोड़ी कमजोर हो गई, और रविवार तक हवाएं 40 मील प्रति घंटे की रह गईं.

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राष्ट्रीय तूफान केंद्र के अनुसार, सारा के सोमवार को युकाटन प्रायद्वीप के दक्षिणी क्षेत्र की ओर उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ते हुए निम्न दबाव के क्षेत्र में बदलने की उम्मीद है. 15 नवंबर की रात से लगातार बारिश हो रही है और 16 नवंबर को भी सैन पेड्रो सुला शहर में यह बारिश जारी रही, जहां तूफान की वजह से एक नदी का पुल बह गया, जिससे एक पूरे समुदाय का संपर्क मुख्य शहर से कट गया. मियामी स्थित नेशनल हरिकेन सेंटर के अनुसार, इस वीकेंड में इस क्षेत्र में जानलेवा फ्लैश फ्लडिंग और लैंडस्लाइड हो सकता है.

वेदर सिस्टम ने 14 नवंबर देर रात होंडुरास-निकारागुआ सीमा पर काबो ग्रासियस ए डिओस से लगभग 105 मील (165 किलोमीटर) पश्चिम-उत्तर-पश्चिम में लैंडफॉल किया था. हरिकेन सेंटर ने उम्मीद जताई कि तूफान शनिवार और रविवार को “थोड़ी तेज गति से पश्चिम-उत्तर-पश्चिम की ओर” बढ़ते हुए होंडुरास की खाड़ी में प्रवेश करेगा और फिर बेलीज में लैंडफॉल करेगा.

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टीचिंग छोड़ शुरू किया खाना बनाना, आज हैं देश की सबसे अमीर महिला यूट्यूबर, हर दिन की कमाई लाखों में

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नई दिल्ली. निशा मधुलिका का नाम आज भारतीय डिजिटल मीडिया में प्रेरणादायक कहानियों में सबसे आगे है. एक समय में शिक्षिका रहीं निशा ने यूट्यूब की दुनिया में “Nisha Madhulika” चैनल के जरिए अपनी अलग पहचान बनाई है.

उत्तर प्रदेश में एक साधारण परिवार में जन्मी निशा मधुलिका ने अपने जीवन की शुरुआत शिक्षिका के रूप में की थी और अपने पति एम.एस. गुप्ता के साथ उनके व्यापार में भी सहयोग किया. बाद में वह अपने पति के साथ नोएडा शिफ्ट हो गईं और यहीं से उनके यूट्यूब करियर की शुरुआत हुई.

निशा ने 2009 में अपना यूट्यूब चैनल शुरू किया, जिसमें वह सरल और पारंपरिक भारतीय शाकाहारी रेसिपी बनाती हैं. हिंदी भाषा में वीडियो बनाकर उन्होंने देश-विदेश में लाखों दर्शकों को अपने चैनल से जोड़ा है. आज उनके चैनल पर 14.5 मिलियन सब्सक्राइबर्स हैं और उन्होंने 2,300 से अधिक वीडियो पोस्ट किए हैं. सरल भाषा और आसान विधियों से खाना बनाना सिखाने के कारण उनके वीडियो हर आयु वर्ग के लोगों में लोकप्रिय हैं. उनके वीडियो में स्नैक्स से लेकर मिठाई और रोजमर्रा के खाने तक की रेसिपीज़ शामिल हैं, जो आसानी से उपलब्ध सामग्री का उपयोग करके बनती हैं.

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सबसे अमीर महिला यूट्यूबर
निशा मधुलिका के चैनल को भारत में सबसे बड़े यूट्यूब फूड चैनलों में से एक माना जाता है. उनकी नेट वर्थ लगभग 43 करोड़ रुपये आंकी गई है, और वह हर महीने लाखों रुपये कमा रही हैं. निशा को 2017 में सोशल मीडिया समिट एंड अवॉर्ड्स में टॉप यूट्यूब कुकिंग कंटेंट क्रिएटर के खिताब से सम्मानित किया गया था, जो उनके योगदान और सफलता को दर्शाता है. कुछ खबरों के अनुसार, वह देश की सबसे अमीर महिला यूट्यूबर भी हैं.

दर्शकों से जुड़ाव जरूरी
उनका कहना है कि यूट्यूब पर सफल होने के लिए नियमितता और अपने दर्शकों के साथ जुड़ाव बनाए रखना जरूरी है. उनका यह विश्वास कि “हर घर में स्वाद और आनंद लाने” का उनका मिशन, उन्हें आगे बढ़ाता है. निशा मधुलिका का यह सफर केवल एक चैनल या बिजनेस तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उन महिलाओं के लिए भी प्रेरणा है, जो अपने पैशन को फॉलो कर यूट्यूब जैसी डिजिटल माध्यमों में पहचान बनाना चाहती हैं. निशा का यूट्यूब चैनल केवल रेसिपी सिखाने का प्लेटफॉर्म नहीं है, बल्कि एक ऐसा मंच बन चुका है जहाँ लोग उनकी सादगी और सरलता के कारण जुड़ते हैं.

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