छत्तीसगढ़
आज से छत्तीसगढ़ के नक्शे में जुड़ जाएंगे दो और नए जिले

रायपुर। CM भूपेश बघेल 3 सितम्बर को राज्य दो और नये जिलों का शुभारंभ करेंगे। इसके साथ ही राज्य के 30 वें जिलेे सारंगढ़-बिलाईगढ़ तथा 31वंे जिले के रूप में खैरागढ़-छुईखदान-गंडई अस्तित्व में आ जाएगा। छत्तीसगढ़ राज्य के लिए यह बेहद महत्वपूर्ण उपलब्धि है कि दो दिनों के अंतराल में तीन नये जिलों की सौगात जनता को मिली है। इन नये जिलों के बन जाने से शासन-प्रशासन की लोगों तक पहुंच और मजबूत होगी, जिससे इन क्षेत्रों में विकास कार्यों को तीव्र गति मिलेगी।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सारंगढ़ और खैरागढ़ में आयोजित कार्यक्रम के दौरान उक्त दोनों जिलों का शुभारंभ करने के साथ ही इन नवगठित जिलों में विकास एवं निर्माण कार्यों के लिए 931 करोड़ 37 लाख रूपए की सौगात देंगे। मुख्यमंत्री बघेल सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले के शुभारंभ अवसर पर 512.29 करोड़ के विकास कार्यो का भूमिपूजन एवं 54.52 करोड़ के विकास कार्यो का लोकार्पण करेंगे, जबकि खैरागढ़-छुईखदान-गंडई जिले के शुभारंभ कार्यक्रम में 364 करोड़ 56 लाख रूपए के विकास कार्यो की सौगात के साथ ही 213 हितग्राहियों को शासन की विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत 37 लाख 48 हजार रूपए की सामग्री एवं अनुदान सहायता राशि वितरण होगा।
नवगठित जिला सारंगढ़-बिलाईगढ़ का जिला मुख्यालय सारंगढ़, रायगढ़ से रायपुर राष्ट्रीय राज्य मार्ग क्रमांक 200 पर स्थित है। यहां रियासत कालीन समय से हवाई पट्टी स्थित है। जिला मुख्यालय सारंगढ़ छत्तीसगढ़ गठन के पूर्व से तहसील मुख्यालय एवं अनुविभागीय अधिकारी राजस्व मुख्यालय है। ज्ञात हो कि बिलासपुर संभाग के अंतर्गत आने वाले जिला रायगढ़ के उप खण्ड सारंगढ़, तहसील सारंगढ़ एवं बरमकेला तथा रायपुर संभाग के अंतर्गत आने वाले जिला बलौदाबाजार-भाटापारा के उप खण्ड-बिलाईगढ़ तथा तहसील बिलाईगढ़ को शामिल करते हुए नये जिले सारंगढ़-बिलाईगढ़ का गठन किया गया है, जिसमें तीन तहसील सारंगढ़, बरमकेला एवं बिलाईगढ़ एवं उप तहसील कोसीर तथा भटगांव शामिल होंगे। नवगठित जिले में तीन जनपद पंचायत सारंगढ़, बरमकेला व बिलाईगढ़ शामिल हैं। इस नवगठित जिलेे की सीमाएं उत्तर में रायगढ़, दक्षिण में महासमुंद जिले तथा पूर्व में उड़ीसा के बरगढ़ और पश्चिम में बलौदा बाजार तथा उत्तर-पश्चिम में जांजगीर-चाम्पा जिले से लगी हुई है।
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार यहां की कुल जनसंख्या 6 लाख 17 हजार 252 है। 759 ग्राम, 349 ग्राम पंचायत, 5 नगरीय निकाय है। जिसके अंतर्गत 20 राजस्व निरीक्षक मंडल शामिल है जिनमें सारंगढ़, हरदी, सालर, कोसीर, छिंद, गोड़म, उलखर, बरमकेला, गोबरसिंघा, देवगांव, डोंगरीपाली, सरिया, बिलाईगढ़, पवनी, गोविंदवन, जमगहन, भटगांव, गिरसा, बिलासपुर एवं सरसीवा शामिल है। जिसका कुल राजस्व क्षेत्रफल 01 लाख 65 हजार 14 है एवं 2518 राजस्व प्रकरण की संख्या है। वर्तमान में नवीन जिला सारंगढ़-बिलाईगढ़ में 1406 स्कूल, 7 कालेज, 33 बैंक, 3 परियोजना, 141 स्वास्थ्य केन्द्र, 10 थाना एवं 2 चौकी स्थापित है।
नवगठित खैरागढ़-छुईखदान-गण्डई दुर्ग संभाग के अंतर्गत होगा। इसकी जनसंख्या 3 लाख 68 हजार 444 है। कुल ग्रामों की संख्या 494 तथा 3 नगरीय निकाय हैं। दो उप खण्ड खैरागढ़ एवं गण्डई-छुईखदान होंगे। तीन तहसील गण्डई, छुईखदान, खैरागढ़ होंगे, वहीं 2 विकासखण्ड छुईखदान एवं खैरागढ़, 16 राजस्व निरीक्षक मंडल होंगे। इस नवीन जिले में 107 पटवारी हल्का, 221 ग्राम पंचायतें है। इस नवीन जिले के उत्तर में कबीरधाम जिला, दक्षिण में तहसील डोंगरगढ़, तहसील राजनांदगांव, पूर्व में तहसील साजा एवं धमधा और पश्चिम में तहसील लांजी जिला- बालाघाट (मध्यप्रदेश) की सीमाएं लगी है।
नया जिला बन जाने से यहां के नागरिकों को काफी राहत मिलेगी और कई महत्वपूर्ण कार्य आसानी से होंगे। प्रशासनिक विकेन्द्रीकरण होने का फायदा आम जनता को मिलेगा। बुनियादी सुविधाएं शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, खाद्यान्न लोगों तक आसानी से उपलब्ध होगी और सुविधाओं का विस्तार होगा। वहीं शासन की लोककल्याणकारी योजनाओं का क्रियान्वयन दूरस्थ अंचलों तक आसानी होगा। रोड कनेक्टिविटी, पुल-पुलिया के निर्माण से सुदूर वनांचल के क्षेत्रों में आवागमन की सुविधा बढ़ेगी।
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Bilaspur के नामी LCIT Group of Institutions का छात्रों के साथ भयानक फर्जीवाड़ा : वादे बड़े-बड़े, हकीकत पानी-पानी!

बिलासपुर: LCIT Group of Institutions – Bilaspur, जो हर साल एडमिशन के दौरान बड़े-बड़े वादे और लुभावने दावे करता है, उसकी सच्चाई अब धीरे-धीरे सामने आने लगी है। दावा किया जाता है कि यहां आधुनिक लैब्स, अनुभवी फैकल्टी और विश्वस्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर मिलेगा — लेकिन ग्राउंड रियलिटी कुछ और ही कहानी बयां कर रही है।
बारिश आई, लैब्स ने छलनी बनकर स्वागत किया!
हमें मिले वीडियो में कॉलेज की लैब्स से टपकती छतें साफ़ दिखाई दे रही हैं। जहां स्टूडेंट्स को मशीनों के साथ प्रैक्टिकल करना चाहिए था, वहां अब पानी से बचने के लिए प्लास्टिक की बाल्टियाँ रखी जा रही हैं। सवाल ये उठता है कि जब प्रयोगशालाएं ही सुरक्षित नहीं, तो शिक्षा कितनी सुरक्षित होगी?

फैकल्टी? बस कागज़ों पर!
सूत्रों के अनुसार, यहां कई फैकल्टी सदस्य केवल ऑन पेपर मौजूद हैं। यानी नाम तो है, पर काम में कहीं नजर नहीं आते। छात्रों का कहना है कि कई विषयों की क्लास ही नियमित नहीं होती।
इंजीनियरिंग प्रिंसिपल भी सिर्फ नाम के!
कहा जा रहा है कि इंजीनियरिंग कॉलेज का प्रिंसिपल भी फुल टाइम नहीं है, बल्कि केवल औपचारिकता निभाने के लिए कागजों पर मौजूद हैं। यह छात्रों के भविष्य के साथ खुला मज़ाक है।

स्टाफ की नियुक्ति पर भी सवाल
बताया जा रहा है कि अधिकांश स्टाफ या तो यहीं के पुराने छात्र हैं या फिर अन्य कॉलेज से किसी वजह से हटाए गए लोग हैं। इससे शिक्षा की गुणवत्ता पर गंभीर प्रश्नचिह्न लग जाता है।
🎙 बिलासपुर के इस संस्थान की मार्केटिंग चमचमाती है, लेकिन हकीकत में ढहती छतें, दिखावटी स्टाफ और खोखले दावे छात्रों के सपनों के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। ज़रूरत है कि शिक्षा को सिर्फ व्यापार न बनाकर, जिम्मेदारी समझा जाए
छत्तीसगढ़
CG News: सुरक्षाबलों की बड़ी कामयाबी, घने जंगलों से भारी मात्रा में नक्सल सामग्री बरामद

बीजापुर के कोमटपल्ली के जंगलों से जवानों ने भारी मात्रा में नक्सल सामग्री बरामद किया है। घने जंगल में पहाड़ों के बीच नक्सलियों ने सामग्री छुपाकर रखा था।
बीजापुर: छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में सुरक्षाबलों के जवानों को बड़ी सफलता मिली है। जवानों ने भारी मात्रा में नक्सल सामग्री बरामद किया है। नक्सलियों ने कोमटपल्ली जंगल-पहाड़ में बड़े चट्टानों के बीच हथियार और अन्य सामान छुपा कर रखा था। जिसे सर्चिंग के दौरान जवानों की संयुक्त टीम ने बरामद किया है।
बरामद किए गए सामग्रियों में गैस वेल्डिंग मशीन मय नोजल, आक्सीजन सिलेण्डर, गैस वेल्डिंग में उपयोग आने वाला पावडर- 8 डिब्बा, इन्वर्टर- 1 नग, स्टेबलाईजर 5 नग, स्टील कंटेनर 3 नग, कमर्सियल मोटर 3 नग, ब्लोवर(धौकनी मशीन)- 2 नग, ग्लेण्डर मोटर- 1 नग, वेल्डिंग राड 200 नग, टुकड़ा लोहे का राड छोटा बड़ा 3- 3 नग, खाली मैग्जीन 3 नग, इलेक्ट्रिक स्वीच- 65 नग, रायफल सिलिंग -08 नग और 2 नग पोच शामिल है।
छत्तीसगढ़
निर्देश के बाद भी लापरवाही: धड़ल्ले से जल रही पराली, प्रदूषण बढ़ने का मंडरा रहा खतरा

नगरी में रबि फसल की तैयारी के लिए किसान लगातार खेतों में पराली को आग के हवाले कर रहे हैं। जिसके चलते प्रदूषण का खतरा मंडरा रहा है।
छत्तीसगढ़ के नगरी के किसान इन दिनों रबि फसल की तैयारी में जुट गए हैं। इसी के साथ खेतों में लगातार पराली जलाने का सिलसिला भी शुरू हो गया है। किसान लगातार खेतों में पराली को आग के हवाले कर रहे हैं जिसके चलते प्रदूषण का खतरा मंडरा रहा है। वहीं इन किसानों को पराली जलाने से रोकने वाला भी कोई नहीं है।
दरअसल, जिला प्रशासन ने पैरादान करने का निर्देश दिया था। इसके बाद भी किसान लगातार पराली को आग के हवाले कर रहे हैं। जिसके कारण प्रदूषण फैलने की संभावना बढ़ गई है। नगरी सिहावा के आसपास के गांव के अधिकतर किसान पैरा में जलाते हुए नजर आ रहे है। वहीं विभागीय अधिकारी का उदासीनता के चलते भी किसान बेख़ौफ़ होकर पराली जला रहे हैं।
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