छत्तीसगढ़
राज्य सरकार एव स्थानीय प्रशासन से परिणाममूलक समयबद्ध लक्ष्य हासिल करने की अपेक्षा बेमानी : पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल

बिलासपुर| पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि बिना फंड के दिवालिया हो चुकी,भू माफियाओं के इशारे पर चलने वाली राज्य सरकार एव स्थानीय प्रशासन से परिणाममूलक समयबद्ध लक्ष्य हासिल करने की अपेक्षा जनता ने खो दी है। बिलासपुर में स्मार्ट सिटी की घोषणा के बाद शहर के नियोजित विकास की सुव्यवस्थित तस्वीर और क्रियान्वयन की रूपरेखा पर कार्य आरंभ किया गया था लेकिन नगर निगम और स्थानीय प्रशासन की लच्चर और खानापूर्ति कार्य पद्धति शहर विकास के कार्यों को पूर्ण करने के बजाय पीछे की ओर ढकेल रही है।
राज्य सरकार के पास नगरीय निकायों को देने के लिए पैसा नहीं है तो दूसरी तरफ केंद्र सरकार के तरफ मिली राशि से मनमाने खर्च किया जा रहा है। लोक निर्माण विभाग की सड़क पर बिना अनापत्ति लिए और बिना अनुमति के स्मार्ट सिटी के फंड से करोड़ों रुपए खर्च कर दिया जाना मनमर्जी का प्रमाण है। खर्च की जा रही राशि का स्मार्ट सिटी लिमिटेड बिलासपुर के द्वारा किये गए ख़र्च हिसाब किताब भी पता नहीं है। नई सरकार को बने तीन वर्ष पूरे होने को आए ,नए कार्यो की शुरआत दूर लंबित कार्यों को पूरा करना और मूलभूत सुविधाओं और सेवाओं की उपलब्धता करा पाने में स्थानीय प्रशासन स्मार्ट सिटी लिमिटेड और राज्य सरकार लक्ष्य से कोसों दूर है।
अग्रवाल ने कहा कि बिलासपुर शहर के लोगों को विशेषकर विद्यार्थियों को ज्ञान विज्ञान और अंतरिक्ष जगत की गतिविधियों से अवगत कराने के उद्देश्य से प्रदेश का पहला तारामंडल स्वयं नगरीय प्रशासन मंत्री रहते हुए हुए कार्य योजना को स्वीकृत कराया था जिसमें रायपुर से भी अधिक क्षमता आधारित सुविधाएं शुरू की किया जाना प्रस्तावित किया गया लेकिन सार्वजनिक स्थलों पर आवारा पशुओं के रोका छेका के बजाय जनता के हित में चालू की गई परियोजनाओं पर रोका छेका का करने का काम कांग्रेस की सरकार ने पिछले वर्षों में किया है, जिसका दुष्परिणाम प्रदेश की जनता को झेलना पड़ रहा है।
🕹️बिलासपुर में प्रदेश का सबसे बड़ा प्लेनेटोरियम ऑक्सीजोन व्यापार विहार के निकट
🕹️लागत- 6 करोड़
🕹️अनुमानित व्यय- 8 करोड़
🕹️दर्शक क्षमता- 200
🕹️निर्माणाधीन एरिया – 4 एकड़
🕹️सुविधाए-ओपन गार्डन के साथ लेक्चर हाल
-आर्ट गैलरी कैफिटेरिया
-शहरी सामाजिक वानिकी अंतर्गत परिसर में सघन वृक्षारोपण
-सौंदर्यीकरण सहित तालाब निर्माण
🕹️कार्य पूर्णता विधि -अक्टूबर 2020
🕹️स्टेटस – अधूरा, तालाब निर्माण शेष, सिविल वर्क अधूरा, इंटीरियर फिनिशिंग बाकी, अप्रोच रोड निर्माणाधीन, अर्बन फॉरेस्ट्री कार्य शेष,तकनीकी कार्य शेष।
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ज्ञान विज्ञान की गतिविधियों के प्रचार प्रसार के लिए निर्माणाधीन प्लेनेटोरियम केंद्र में निर्माण के दौरान ही अव्यवस्था का शिकार हो चली है। अनुबंध की समय सीमा बीत जाने के बाद भी सिविल वर्क का कार्य एवं अन्य कार्य शेष है। परिसर में बनाई गई सीसी रोड में दरार पड़ने लगी है। ऑक्सी जोन में लगाए गए पेड़ पौधों की सुरक्षा के लिए व्यापक इंतजाम नहीं हैं। सौंदर्यीकरण का कार्य अधूरा हैं। प्रस्तावित तालाब का तो पता नहीं है, तालाब के सौंदर्यीकरण की बातें केवल कागजो में है, प्रवेश द्वार के बाहर सीसी रोड की ऊंचाई बढ़ाए जाने से परिसर की बाउंड्री वाल बहुत छोटी हो गई है।
तारामंडल अक्टूबर 2020 में आरंभ हो जाना था आज भी वह आधी अधूरी अवस्था में है। विलंब के कारण प्रोजेक्ट की कास्ट बढ़ती जा रही है। प्लेनेटोरियम तक पहुंच मार्ग नहीं बन पाया है। चारों ओर गंदगी और कचरों ढेर से लोगो मे बीमारी फैलने का डर है। केंद्र तक पहुंचने में बरसात के दिनों में जलभराव की समस्या आम है। नागरिक गण और पर्यटकों, विद्यार्थियों के लिए ज्ञान विज्ञान और खगोल भौतिकी के मूलभूत तथ्यो का मनोरंजन के साधन से शिक्षण देने का उद्देश्य लक्ष्य से कोसों दूर दिखाई देता है बल्कि जनता की गाढ़ी कमाई के पैसे की बर्बादी सहज ही देखी जा सकती है।
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Bilaspur के नामी LCIT Group of Institutions का छात्रों के साथ भयानक फर्जीवाड़ा : वादे बड़े-बड़े, हकीकत पानी-पानी!

बिलासपुर: LCIT Group of Institutions – Bilaspur, जो हर साल एडमिशन के दौरान बड़े-बड़े वादे और लुभावने दावे करता है, उसकी सच्चाई अब धीरे-धीरे सामने आने लगी है। दावा किया जाता है कि यहां आधुनिक लैब्स, अनुभवी फैकल्टी और विश्वस्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर मिलेगा — लेकिन ग्राउंड रियलिटी कुछ और ही कहानी बयां कर रही है।
बारिश आई, लैब्स ने छलनी बनकर स्वागत किया!
हमें मिले वीडियो में कॉलेज की लैब्स से टपकती छतें साफ़ दिखाई दे रही हैं। जहां स्टूडेंट्स को मशीनों के साथ प्रैक्टिकल करना चाहिए था, वहां अब पानी से बचने के लिए प्लास्टिक की बाल्टियाँ रखी जा रही हैं। सवाल ये उठता है कि जब प्रयोगशालाएं ही सुरक्षित नहीं, तो शिक्षा कितनी सुरक्षित होगी?

फैकल्टी? बस कागज़ों पर!
सूत्रों के अनुसार, यहां कई फैकल्टी सदस्य केवल ऑन पेपर मौजूद हैं। यानी नाम तो है, पर काम में कहीं नजर नहीं आते। छात्रों का कहना है कि कई विषयों की क्लास ही नियमित नहीं होती।
इंजीनियरिंग प्रिंसिपल भी सिर्फ नाम के!
कहा जा रहा है कि इंजीनियरिंग कॉलेज का प्रिंसिपल भी फुल टाइम नहीं है, बल्कि केवल औपचारिकता निभाने के लिए कागजों पर मौजूद हैं। यह छात्रों के भविष्य के साथ खुला मज़ाक है।

स्टाफ की नियुक्ति पर भी सवाल
बताया जा रहा है कि अधिकांश स्टाफ या तो यहीं के पुराने छात्र हैं या फिर अन्य कॉलेज से किसी वजह से हटाए गए लोग हैं। इससे शिक्षा की गुणवत्ता पर गंभीर प्रश्नचिह्न लग जाता है।
🎙 बिलासपुर के इस संस्थान की मार्केटिंग चमचमाती है, लेकिन हकीकत में ढहती छतें, दिखावटी स्टाफ और खोखले दावे छात्रों के सपनों के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। ज़रूरत है कि शिक्षा को सिर्फ व्यापार न बनाकर, जिम्मेदारी समझा जाए
छत्तीसगढ़
CG News: सुरक्षाबलों की बड़ी कामयाबी, घने जंगलों से भारी मात्रा में नक्सल सामग्री बरामद

बीजापुर के कोमटपल्ली के जंगलों से जवानों ने भारी मात्रा में नक्सल सामग्री बरामद किया है। घने जंगल में पहाड़ों के बीच नक्सलियों ने सामग्री छुपाकर रखा था।
बीजापुर: छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में सुरक्षाबलों के जवानों को बड़ी सफलता मिली है। जवानों ने भारी मात्रा में नक्सल सामग्री बरामद किया है। नक्सलियों ने कोमटपल्ली जंगल-पहाड़ में बड़े चट्टानों के बीच हथियार और अन्य सामान छुपा कर रखा था। जिसे सर्चिंग के दौरान जवानों की संयुक्त टीम ने बरामद किया है।
बरामद किए गए सामग्रियों में गैस वेल्डिंग मशीन मय नोजल, आक्सीजन सिलेण्डर, गैस वेल्डिंग में उपयोग आने वाला पावडर- 8 डिब्बा, इन्वर्टर- 1 नग, स्टेबलाईजर 5 नग, स्टील कंटेनर 3 नग, कमर्सियल मोटर 3 नग, ब्लोवर(धौकनी मशीन)- 2 नग, ग्लेण्डर मोटर- 1 नग, वेल्डिंग राड 200 नग, टुकड़ा लोहे का राड छोटा बड़ा 3- 3 नग, खाली मैग्जीन 3 नग, इलेक्ट्रिक स्वीच- 65 नग, रायफल सिलिंग -08 नग और 2 नग पोच शामिल है।
छत्तीसगढ़
निर्देश के बाद भी लापरवाही: धड़ल्ले से जल रही पराली, प्रदूषण बढ़ने का मंडरा रहा खतरा

नगरी में रबि फसल की तैयारी के लिए किसान लगातार खेतों में पराली को आग के हवाले कर रहे हैं। जिसके चलते प्रदूषण का खतरा मंडरा रहा है।
छत्तीसगढ़ के नगरी के किसान इन दिनों रबि फसल की तैयारी में जुट गए हैं। इसी के साथ खेतों में लगातार पराली जलाने का सिलसिला भी शुरू हो गया है। किसान लगातार खेतों में पराली को आग के हवाले कर रहे हैं जिसके चलते प्रदूषण का खतरा मंडरा रहा है। वहीं इन किसानों को पराली जलाने से रोकने वाला भी कोई नहीं है।
दरअसल, जिला प्रशासन ने पैरादान करने का निर्देश दिया था। इसके बाद भी किसान लगातार पराली को आग के हवाले कर रहे हैं। जिसके कारण प्रदूषण फैलने की संभावना बढ़ गई है। नगरी सिहावा के आसपास के गांव के अधिकतर किसान पैरा में जलाते हुए नजर आ रहे है। वहीं विभागीय अधिकारी का उदासीनता के चलते भी किसान बेख़ौफ़ होकर पराली जला रहे हैं।
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