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छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ के 5 अस्पतालों को राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन प्रमाण-पत्र

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covid19 hospital raipur

रायपुर| उत्कृष्ट स्वास्थ्य सेवा और मरीजों को बेहतर इलाज उपलब्ध कराने वाले छत्तीसगढ़ के एक सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र और चार प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों को केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक (NQAS- National Quality Assurance Standard) प्रमाण-पत्र प्रदान किया गया है। केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की विशेषज्ञों की टीम द्वारा इन अस्पतालों में मरीजों के लिए उपलब्ध सेवाओं की गुणवत्ता के वर्चुअल परीक्षण के बाद राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक प्रमाण-पत्र के लिए चयन किया गया है। केंद्र सरकार द्वारा अब तक प्रदेश के 28 सरकारी अस्पतालों को एनक्यूएएस प्रमाण-पत्र प्रदान किया जा चुका है। इनमें 14 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सात सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और सात जिला अस्पताल शामिल हैं।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री श्री टी.एस. सिंहदेव ने समर्पित स्वास्थ्य सेवाओं के लिए उत्कृष्टता प्रमाण-पत्र हासिल करने वाले सभी अस्पतालों के अधिकारियों-कर्मचारियों को बधाई दी है। उन्होंने भरोसा जताया है कि ये अस्पताल आगे भी अपनी उत्कृष्टता बरकरार रखते हुए मरीजों की सेवा करेंगे। मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री ने इस उपलब्धि के लिए स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. आलोक शुक्ला, संचालक स्वास्थ्य सेवाएं नीरज बंसोड़ और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की संचालक डॉ. प्रियंका शुक्ला सहित संबंधित जिलों के मैदानी अधिकारियों को भी बधाई दी है। उन्होंने कहा कि राज्य शासन के स्वास्थ्य विभाग और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, छत्तीसगढ़ द्वारा अस्पतालों में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने के लिए लगातार कदम उठाए जा रहे हैं।

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भारत सरकार के केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा दुर्ग जिले के पाटन सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, बिलासपुर के गांधी चौक स्थित शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, कोरबा जिले के मोरगा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, राजनांदगांव जिले के रामाटोला प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र और धमतरी जिले के चटौद प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र को राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन प्रमाण पत्र प्रदान किया गया है।

राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन प्रमाण-पत्र प्रदान करने के पूर्व विशेषज्ञों की टीम द्वारा सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र व शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में दस मानकों (ओपीडी, लेबोरेटरी, प्रसव कक्ष, आईपीडी, आपातकाल सेवा, रेडियोलॉजी, फार्मेसी व स्टोर, जनरल एडमिन, ऑपरेशन थियेटर एवं एनबीएसयू) तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में छह मानकों – ओपीडी, आई.पी.डी, लेबोरेट्री, प्रसव कक्ष, राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों के क्रियान्वयन और जनरल एडमिन व्यवस्था का मूल्यांकन किया जाता है। मूल्यांकन में खरा उतरने वाले अस्पतालों को ही केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा गुणवत्ता प्रमाण-पत्र जारी किए जाते हैं।

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विशेषज्ञों द्वारा मरीजों के लिए अस्पताल में उपलब्ध सेवाओं की गुणवत्ता के परीक्षण में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र रामाटोला, जिला राजनांदगांव को 94.53 प्रतिशत, शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, जिला बिलासपुर (गांधी चौक) को 91.78 प्रतिशत, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पाटन, जिला दुर्ग 85.70 प्रतिशत, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र चटौद, जिला धमतरी को 85.53 प्रतिशत और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र मोरगा, जिला कोरबा को 84.71 प्रतिशत अंक मिले हैं।

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Bilaspur के नामी LCIT Group of Institutions का छात्रों के साथ भयानक फर्जीवाड़ा : वादे बड़े-बड़े, हकीकत पानी-पानी!

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LCIT Group of College bilaspur

बिलासपुर: LCIT Group of Institutions – Bilaspur, जो हर साल एडमिशन के दौरान बड़े-बड़े वादे और लुभावने दावे करता है, उसकी सच्चाई अब धीरे-धीरे सामने आने लगी है। दावा किया जाता है कि यहां आधुनिक लैब्स, अनुभवी फैकल्टी और विश्वस्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर मिलेगा — लेकिन ग्राउंड रियलिटी कुछ और ही कहानी बयां कर रही है।

बारिश आई, लैब्स ने छलनी बनकर स्वागत किया!
हमें मिले वीडियो में कॉलेज की लैब्स से टपकती छतें साफ़ दिखाई दे रही हैं। जहां स्टूडेंट्स को मशीनों के साथ प्रैक्टिकल करना चाहिए था, वहां अब पानी से बचने के लिए प्लास्टिक की बाल्टियाँ रखी जा रही हैं। सवाल ये उठता है कि जब प्रयोगशालाएं ही सुरक्षित नहीं, तो शिक्षा कितनी सुरक्षित होगी?

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फैकल्टी? बस कागज़ों पर!
सूत्रों के अनुसार, यहां कई फैकल्टी सदस्य केवल ऑन पेपर मौजूद हैं। यानी नाम तो है, पर काम में कहीं नजर नहीं आते। छात्रों का कहना है कि कई विषयों की क्लास ही नियमित नहीं होती।

इंजीनियरिंग प्रिंसिपल भी सिर्फ नाम के!
कहा जा रहा है कि इंजीनियरिंग कॉलेज का प्रिंसिपल भी फुल टाइम नहीं है, बल्कि केवल औपचारिकता निभाने के लिए कागजों पर मौजूद हैं। यह छात्रों के भविष्य के साथ खुला मज़ाक है।

स्टाफ की नियुक्ति पर भी सवाल
बताया जा रहा है कि अधिकांश स्टाफ या तो यहीं के पुराने छात्र हैं या फिर अन्य कॉलेज से किसी वजह से हटाए गए लोग हैं। इससे शिक्षा की गुणवत्ता पर गंभीर प्रश्नचिह्न लग जाता है।

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🎙 बिलासपुर के इस संस्थान की मार्केटिंग चमचमाती है, लेकिन हकीकत में ढहती छतें, दिखावटी स्टाफ और खोखले दावे छात्रों के सपनों के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। ज़रूरत है कि शिक्षा को सिर्फ व्यापार न बनाकर, जिम्मेदारी समझा जाए

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छत्तीसगढ़

CG News: सुरक्षाबलों की बड़ी कामयाबी, घने जंगलों से भारी मात्रा में नक्सल सामग्री बरामद

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बीजापुर के कोमटपल्ली के जंगलों से जवानों ने भारी मात्रा में नक्सल सामग्री बरामद किया है। घने जंगल में पहाड़ों के बीच नक्सलियों ने सामग्री छुपाकर रखा था।

बीजापुर: छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में सुरक्षाबलों के जवानों को बड़ी सफलता मिली है। जवानों ने भारी मात्रा में नक्सल सामग्री बरामद किया है। नक्सलियों ने कोमटपल्ली जंगल-पहाड़ में बड़े चट्टानों के बीच हथियार और अन्य सामान छुपा कर रखा था। जिसे सर्चिंग के दौरान जवानों की संयुक्त टीम ने बरामद किया है।

बरामद किए गए सामग्रियों में गैस वेल्डिंग मशीन मय नोजल, आक्सीजन सिलेण्डर, गैस वेल्डिंग में उपयोग आने वाला पावडर- 8 डिब्बा, इन्वर्टर- 1 नग, स्टेबलाईजर 5 नग, स्टील कंटेनर 3 नग, कमर्सियल मोटर 3 नग, ब्लोवर(धौकनी मशीन)- 2 नग, ग्लेण्डर मोटर- 1 नग, वेल्डिंग राड 200 नग, टुकड़ा लोहे का राड छोटा बड़ा 3- 3 नग, खाली मैग्जीन 3 नग, इलेक्ट्रिक स्वीच- 65 नग, रायफल सिलिंग -08 नग और 2 नग पोच शामिल है।

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छत्तीसगढ़

निर्देश के बाद भी लापरवाही: धड़ल्ले से जल रही पराली, प्रदूषण बढ़ने का मंडरा रहा खतरा

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नगरी में रबि फसल की तैयारी के लिए किसान लगातार खेतों में पराली को आग के हवाले कर रहे हैं। जिसके चलते प्रदूषण का खतरा मंडरा रहा है।

छत्तीसगढ़ के नगरी के किसान इन दिनों रबि फसल की तैयारी में जुट गए हैं। इसी के साथ खेतों में लगातार पराली जलाने का सिलसिला भी शुरू हो गया है। किसान लगातार खेतों में पराली को आग के हवाले कर रहे हैं जिसके चलते प्रदूषण का खतरा मंडरा रहा है। वहीं इन किसानों को पराली जलाने से रोकने वाला भी कोई नहीं है।

दरअसल, जिला प्रशासन ने पैरादान करने का निर्देश दिया था। इसके बाद भी किसान लगातार पराली को आग के हवाले कर रहे हैं। जिसके कारण प्रदूषण फैलने की संभावना बढ़ गई है। नगरी सिहावा के आसपास के गांव के अधिकतर किसान पैरा में जलाते हुए नजर आ रहे है। वहीं विभागीय अधिकारी का उदासीनता के चलते भी किसान बेख़ौफ़ होकर पराली जला रहे हैं।

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