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छत्तीसगढ़

नेचुरल ब्यूटी का अनुभव करने के लिए झरनों से घिरी भारत की ये खास जगहें—आज ही प्लान बनाएं

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ट्रेवल न्यूज़ डेस्क,नेचुरल ब्यूटी की बात की जाए तो भारत में इतनी खूबसूरत जगहें हैं कि आपका मन बस वहीं पर रह जाने का करने लगेगा. इन्हीं जगहों में से एक है महाराष्ट्र राज्य का भंडारदरा.

जहां की नेचुरल ब्यूटी में आप खो जाएंगे. वैसे तो महाराष्ट्र का सबसे फेमस शहर मुंबई है और यहां की ऊंची-ऊंची इमारतें देख नए इंसान का तो सर ही चकरा जाएगा, लेकिन जब आप भंडारदरा जाएंगे तो हर तरफ हरियाली भरे खूबसूरत दृश्य, पहाड़ों से बहते झरने और स्वच्छ नदियां देख आपका दिल खुश हो जाएगा. इसके अलावा भी यहां पर बहुत कुछ है जो पर्यटकों को लुभाने के लिए काफी है.महाराष्ट्र को मुंबई शहर और यहां के स्वादिष्ट खानपान, अनोखी संस्कृति के लिए तो जाना ही जाती है. इसके अलावा नेचुरल ब्यूटी के मामले में भी महाराष्ट्र का कोई जवाब नहीं है. यहां पहुंचने, रहने और खाने में भी असुविधा नहीं होती है, क्योंकि यह एक ऐसी जगह है जो ज्यादातर मुख्य मार्गों से जुड़ी हुई है. तो चलिए जान लेते हैं कि भंडारदरा में घूमने के लिए क्या-क्या है.

भंडारदरा में ये हैं ब्यूटीफुल नेचुरल प्लेस
भंडारदरा प्रकृति प्रेमियों के लिए आकर्षण की जगह तो है ही, इसके अलावा जो लोग इतिहास से जुड़ी जानकारियों में रुचि रखते हैं, उनके लिए भी यह जगह परफेक्ट डेस्टिनेशन साबित होगी. महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले (वर्तमान अहिल्या नगर) में मौजूद गांव भंडारदरा खूबसूरती से भरा हुआ है. यहां पर आप भंडारदरा झील विजिट कर सकते हैं और किनारे पर कैंपिंग करके म्यूजिक, डांस, टेस्टी फूड का लुत्फ उठा सकते हैं. इसके अलावा विल्सन बांध पर घूमना आपके लिए किसी हैरानी भरे अनुभव से कम नहीं होगा. वहीं आप रंधा गांव का धरना, आर्थर झील, कलसुबाई चोटी (जो पहाड़ों के बीच मनोरम जगह है) आदि को अपनी ट्रिप की बकेट लिस्ट में शामिल कर सकते हैं.

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ये हैं यहां पर ऐतिहासिक जगहें
अगर आपको इतिहास में काफी दिलचस्पी है तो रतनगढ़ किला जा सकते हैं. यहां पर जाने के लिए रतनवाड़ी गांव से ट्रैकिंग का रास्ता है जिसका एक्सपीरियंस भी शानदार रहेगा. जानकारी के मुताबिक ये किला करीब 400 साल पुराना है और इतिहास के साथ ही यहां की खूबसूरती भी आपको लुभाएगी. इसके अलावा आप हरिश्चंद्रगढ़ का किला घूम सकते हैं जो मराठा राजाओं की बहादुरी को बयां करता है.

इस जगह नेचुरल ब्यूटी के साथ मिलेगी आध्यात्मिक शांति
रतनवाड़ी गांव जो कलसुबाई चोटी के पास बसा हुआ है. यहां पर घाटी में बने झोपड़ीनुमा कच्चे मकानों और नेचुरल ब्यूटी के सीन कमाल के होते हैं तो वहीं यहां आप अमृतेश्वर शिव मंदिर विजिट कर सकते हैं जो करीब एक हजार साल पुराना माना जाता है.

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कैसे पहुंचे और कितना आएगा खर्च
दिल्ली से भंडारदरा पहुंचने के लिए आपको नासिक की फ्लाइट लेनी होगा यहां पहुंचने में दो से सवा दो घंटे लगते हैं. यहां से आपको 90 किलोमीटर का सफर तय करना होगा. आप बस, टैक्सी या फिर साझा जीप रेंट पर लेकर जा सकती हैं. इसके अलावा आप ट्रेन से इगतपुरी या नासिक रेलवे स्टेशन पहुंच सकते हैं और यहां से ट्रेन ले सकते हैं. इगतपुरी से यह जगह 45 किलोमीटर पड़ती है और नासिक से इसकी दूरी करीब 75 किलोमीटर है. इसके अलावा आप बस के जरिए भी यहां पहुंच सकते हैं. भंडारदरा जाने की बात करें तो अगर आप किफायती तरीके से यह ट्रिप पूरी करना चाहते हैं तो करीब 10 हजार रुपये खर्च होंगे. हालांकि ट्रेन या फिर फ्लाइट की टिकट के दाम इसमें शामिल नहीं होंगे.

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Bilaspur के नामी LCIT Group of Institutions का छात्रों के साथ भयानक फर्जीवाड़ा : वादे बड़े-बड़े, हकीकत पानी-पानी!

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LCIT Group of College bilaspur

बिलासपुर: LCIT Group of Institutions – Bilaspur, जो हर साल एडमिशन के दौरान बड़े-बड़े वादे और लुभावने दावे करता है, उसकी सच्चाई अब धीरे-धीरे सामने आने लगी है। दावा किया जाता है कि यहां आधुनिक लैब्स, अनुभवी फैकल्टी और विश्वस्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर मिलेगा — लेकिन ग्राउंड रियलिटी कुछ और ही कहानी बयां कर रही है।

बारिश आई, लैब्स ने छलनी बनकर स्वागत किया!
हमें मिले वीडियो में कॉलेज की लैब्स से टपकती छतें साफ़ दिखाई दे रही हैं। जहां स्टूडेंट्स को मशीनों के साथ प्रैक्टिकल करना चाहिए था, वहां अब पानी से बचने के लिए प्लास्टिक की बाल्टियाँ रखी जा रही हैं। सवाल ये उठता है कि जब प्रयोगशालाएं ही सुरक्षित नहीं, तो शिक्षा कितनी सुरक्षित होगी?

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फैकल्टी? बस कागज़ों पर!
सूत्रों के अनुसार, यहां कई फैकल्टी सदस्य केवल ऑन पेपर मौजूद हैं। यानी नाम तो है, पर काम में कहीं नजर नहीं आते। छात्रों का कहना है कि कई विषयों की क्लास ही नियमित नहीं होती।

इंजीनियरिंग प्रिंसिपल भी सिर्फ नाम के!
कहा जा रहा है कि इंजीनियरिंग कॉलेज का प्रिंसिपल भी फुल टाइम नहीं है, बल्कि केवल औपचारिकता निभाने के लिए कागजों पर मौजूद हैं। यह छात्रों के भविष्य के साथ खुला मज़ाक है।

स्टाफ की नियुक्ति पर भी सवाल
बताया जा रहा है कि अधिकांश स्टाफ या तो यहीं के पुराने छात्र हैं या फिर अन्य कॉलेज से किसी वजह से हटाए गए लोग हैं। इससे शिक्षा की गुणवत्ता पर गंभीर प्रश्नचिह्न लग जाता है।

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🎙 बिलासपुर के इस संस्थान की मार्केटिंग चमचमाती है, लेकिन हकीकत में ढहती छतें, दिखावटी स्टाफ और खोखले दावे छात्रों के सपनों के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। ज़रूरत है कि शिक्षा को सिर्फ व्यापार न बनाकर, जिम्मेदारी समझा जाए

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छत्तीसगढ़

CG News: सुरक्षाबलों की बड़ी कामयाबी, घने जंगलों से भारी मात्रा में नक्सल सामग्री बरामद

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बीजापुर के कोमटपल्ली के जंगलों से जवानों ने भारी मात्रा में नक्सल सामग्री बरामद किया है। घने जंगल में पहाड़ों के बीच नक्सलियों ने सामग्री छुपाकर रखा था।

बीजापुर: छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में सुरक्षाबलों के जवानों को बड़ी सफलता मिली है। जवानों ने भारी मात्रा में नक्सल सामग्री बरामद किया है। नक्सलियों ने कोमटपल्ली जंगल-पहाड़ में बड़े चट्टानों के बीच हथियार और अन्य सामान छुपा कर रखा था। जिसे सर्चिंग के दौरान जवानों की संयुक्त टीम ने बरामद किया है।

बरामद किए गए सामग्रियों में गैस वेल्डिंग मशीन मय नोजल, आक्सीजन सिलेण्डर, गैस वेल्डिंग में उपयोग आने वाला पावडर- 8 डिब्बा, इन्वर्टर- 1 नग, स्टेबलाईजर 5 नग, स्टील कंटेनर 3 नग, कमर्सियल मोटर 3 नग, ब्लोवर(धौकनी मशीन)- 2 नग, ग्लेण्डर मोटर- 1 नग, वेल्डिंग राड 200 नग, टुकड़ा लोहे का राड छोटा बड़ा 3- 3 नग, खाली मैग्जीन 3 नग, इलेक्ट्रिक स्वीच- 65 नग, रायफल सिलिंग -08 नग और 2 नग पोच शामिल है।

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छत्तीसगढ़

निर्देश के बाद भी लापरवाही: धड़ल्ले से जल रही पराली, प्रदूषण बढ़ने का मंडरा रहा खतरा

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नगरी में रबि फसल की तैयारी के लिए किसान लगातार खेतों में पराली को आग के हवाले कर रहे हैं। जिसके चलते प्रदूषण का खतरा मंडरा रहा है।

छत्तीसगढ़ के नगरी के किसान इन दिनों रबि फसल की तैयारी में जुट गए हैं। इसी के साथ खेतों में लगातार पराली जलाने का सिलसिला भी शुरू हो गया है। किसान लगातार खेतों में पराली को आग के हवाले कर रहे हैं जिसके चलते प्रदूषण का खतरा मंडरा रहा है। वहीं इन किसानों को पराली जलाने से रोकने वाला भी कोई नहीं है।

दरअसल, जिला प्रशासन ने पैरादान करने का निर्देश दिया था। इसके बाद भी किसान लगातार पराली को आग के हवाले कर रहे हैं। जिसके कारण प्रदूषण फैलने की संभावना बढ़ गई है। नगरी सिहावा के आसपास के गांव के अधिकतर किसान पैरा में जलाते हुए नजर आ रहे है। वहीं विभागीय अधिकारी का उदासीनता के चलते भी किसान बेख़ौफ़ होकर पराली जला रहे हैं।

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