Connect with us

छत्तीसगढ़

14 जिलों में की जाएगी कोदो-कुटकी की समर्थन मूल्य पर खरीदी की व्यवस्था

avatar

Published

on

रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि राज्य के 14 जिले जहां कोदो-कुटकी का उत्पादन होता है, वहां राज्य सरकार द्वारा समर्थन मूल्य पर कोदो-कुटकी की खरीदी की व्यवस्था की जाएगी और इन जिलों के गौठानों में कोदो के प्रसंस्करण केंद्र भी स्थापित किए जाएंगे और प्रसंस्कृत कोदो की मार्केटिंग की भी अच्छी व्यवस्था की जाएगी। कोदो-कुटकी का उत्पादन करने वाले जिलों में बस्तर संभाग के 7 जिले, सरगुजा संभाग के 5 जिले और राजनांदगांव तथा कवर्धा जिले शामिल हैं।

मुख्यमंत्री आज यहां अपने निवास में कांकेर, कोण्डागांव, बस्तर जिले से आए हल्बा और भतरा सहित विभिन्न आदिवासी समाजों के प्रतिनिधि मंडल से चर्चा कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने उनसे यह आग्रह भी किया कि वे अपनी सामाजिक बैठक में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के बारे में चर्चा करें। यदि किसी के बच्चे पढ़ाई के लायक हैं तो समाज के मुखिया उन्हें पढ़ाई के लिए प्रेरित करें। इलाज की जरूरत होने पर उनका इलाज कराने में मदद करें और बच्चों के रोजगार के लिए भी पहल करें। मुख्यमंत्री ने प्रतिनिधिमंडल की मांग पर बस्तर संभाग में जहां स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल प्रारंभ हुए हैं, वहां हॉस्टल खोलने की घोषणा करते हुए कहा कि इससे इन स्कूलों में दूर गांवों से आने वाले बच्चों को आवासीय सुविधा मिलेगी।

यह भी पढ़ें   मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सोंटा खाकर निभाई परंपरा

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रतिनिधि मंडल से चर्चा के दौरान कहा है कि राज्य सरकार आदिवासियों के हित संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार का प्रयास है कि आदिवासियों के जीवन में परिवर्तन आए, उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार के बेहतर से बेहतर अवसर मिलें। बघेल ने कहा कि जीवन स्तर में परिवर्तन लाने के लिए राज्य सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं के माध्यम से उनकी आय में वृद्धि के प्रयास लगातार किए जा रहे हैं।

किसानों की कर्ज माफी, 2500 रूपए में धान खरीदी, लघु वनोपजों की समर्थन मूल्य पर खरीदी और प्रसंस्करण, तेंदूपत्ता संग्रहण दर बढ़ाकर चार हजार रूपए प्रति मानक बोरा करने सहित अनेक योजनाएं प्रारंभ की गई हैं, जिनसे किसानों की आय में वृद्धि हुई। राजीव गांधी किसान ने योजना में नौ हजार रूपए प्रति एकड़ इनपुट सब्सिडी देने, गोधन न्याय योजना के माध्यम से भी लोगों की आय में वृद्धि का प्रयास किया जा रहा है। राज्य सरकार ने कोदो-कुटकी का समर्थन मूल्य घोषित किया है, इनकी बिक्री की व्यवस्था भी राज्य सरकार द्वारा की जा रही है।

यह भी पढ़ें   कोरबा: 80 पुलिसकर्मियों का तबादला, SP ने जारी किया आदेश

आदिवासी समाज के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के दौरान उद्योग मंत्री कवासी लखमा, संसदीय सचिव शिशुपाल सोरी, विधायक चंदन कश्यप और संतराम नेताम सहित अनेक जनप्रतिनिधि उपस्थित थे। मुख्यमंत्री के आमंत्रण पर कांकेर, कोंडागांव और बस्तर जिले के भतरा और हल्बा जनजातियों के प्रतिनिधियों के साथ विभिन्न समाजों के प्रतिनिधि मुख्यमंत्री निवास पहुंचे थे। कार्यक्रम को उद्योग मंत्री सहित विधायकों ने भी सम्बोधित किया।

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

blog

Bilaspur के नामी LCIT Group of Institutions का छात्रों के साथ भयानक फर्जीवाड़ा : वादे बड़े-बड़े, हकीकत पानी-पानी!

avatar

Published

on

LCIT Group of College bilaspur

बिलासपुर: LCIT Group of Institutions – Bilaspur, जो हर साल एडमिशन के दौरान बड़े-बड़े वादे और लुभावने दावे करता है, उसकी सच्चाई अब धीरे-धीरे सामने आने लगी है। दावा किया जाता है कि यहां आधुनिक लैब्स, अनुभवी फैकल्टी और विश्वस्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर मिलेगा — लेकिन ग्राउंड रियलिटी कुछ और ही कहानी बयां कर रही है।

बारिश आई, लैब्स ने छलनी बनकर स्वागत किया!
हमें मिले वीडियो में कॉलेज की लैब्स से टपकती छतें साफ़ दिखाई दे रही हैं। जहां स्टूडेंट्स को मशीनों के साथ प्रैक्टिकल करना चाहिए था, वहां अब पानी से बचने के लिए प्लास्टिक की बाल्टियाँ रखी जा रही हैं। सवाल ये उठता है कि जब प्रयोगशालाएं ही सुरक्षित नहीं, तो शिक्षा कितनी सुरक्षित होगी?

यह भी पढ़ें   राजीव गांधी किसान न्याय योजना से किसान हो रहे खुशहाल, धान की जगह सूरजमुखी की खेती कर किसान ले रहे लाभ

फैकल्टी? बस कागज़ों पर!
सूत्रों के अनुसार, यहां कई फैकल्टी सदस्य केवल ऑन पेपर मौजूद हैं। यानी नाम तो है, पर काम में कहीं नजर नहीं आते। छात्रों का कहना है कि कई विषयों की क्लास ही नियमित नहीं होती।

इंजीनियरिंग प्रिंसिपल भी सिर्फ नाम के!
कहा जा रहा है कि इंजीनियरिंग कॉलेज का प्रिंसिपल भी फुल टाइम नहीं है, बल्कि केवल औपचारिकता निभाने के लिए कागजों पर मौजूद हैं। यह छात्रों के भविष्य के साथ खुला मज़ाक है।

स्टाफ की नियुक्ति पर भी सवाल
बताया जा रहा है कि अधिकांश स्टाफ या तो यहीं के पुराने छात्र हैं या फिर अन्य कॉलेज से किसी वजह से हटाए गए लोग हैं। इससे शिक्षा की गुणवत्ता पर गंभीर प्रश्नचिह्न लग जाता है।

यह भी पढ़ें   बड़ी खबर : उदयपुर नवसंकल्प शिविर के लिए छत्तीसगढ़ के कई नेता कमेटी में हुए शामिल

🎙 बिलासपुर के इस संस्थान की मार्केटिंग चमचमाती है, लेकिन हकीकत में ढहती छतें, दिखावटी स्टाफ और खोखले दावे छात्रों के सपनों के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। ज़रूरत है कि शिक्षा को सिर्फ व्यापार न बनाकर, जिम्मेदारी समझा जाए

Continue Reading

छत्तीसगढ़

CG News: सुरक्षाबलों की बड़ी कामयाबी, घने जंगलों से भारी मात्रा में नक्सल सामग्री बरामद

avatar

Published

on

बीजापुर के कोमटपल्ली के जंगलों से जवानों ने भारी मात्रा में नक्सल सामग्री बरामद किया है। घने जंगल में पहाड़ों के बीच नक्सलियों ने सामग्री छुपाकर रखा था।

बीजापुर: छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में सुरक्षाबलों के जवानों को बड़ी सफलता मिली है। जवानों ने भारी मात्रा में नक्सल सामग्री बरामद किया है। नक्सलियों ने कोमटपल्ली जंगल-पहाड़ में बड़े चट्टानों के बीच हथियार और अन्य सामान छुपा कर रखा था। जिसे सर्चिंग के दौरान जवानों की संयुक्त टीम ने बरामद किया है।

बरामद किए गए सामग्रियों में गैस वेल्डिंग मशीन मय नोजल, आक्सीजन सिलेण्डर, गैस वेल्डिंग में उपयोग आने वाला पावडर- 8 डिब्बा, इन्वर्टर- 1 नग, स्टेबलाईजर 5 नग, स्टील कंटेनर 3 नग, कमर्सियल मोटर 3 नग, ब्लोवर(धौकनी मशीन)- 2 नग, ग्लेण्डर मोटर- 1 नग, वेल्डिंग राड 200 नग, टुकड़ा लोहे का राड छोटा बड़ा 3- 3 नग, खाली मैग्जीन 3 नग, इलेक्ट्रिक स्वीच- 65 नग, रायफल सिलिंग -08 नग और 2 नग पोच शामिल है।

यह भी पढ़ें   छत्तीसगढ़: 4 शराबियों ने ड्यूटी पर तैनात पुलिस आरक्षक की बेल्ट से की बेदम पिटाई
Continue Reading

छत्तीसगढ़

निर्देश के बाद भी लापरवाही: धड़ल्ले से जल रही पराली, प्रदूषण बढ़ने का मंडरा रहा खतरा

avatar

Published

on

नगरी में रबि फसल की तैयारी के लिए किसान लगातार खेतों में पराली को आग के हवाले कर रहे हैं। जिसके चलते प्रदूषण का खतरा मंडरा रहा है।

छत्तीसगढ़ के नगरी के किसान इन दिनों रबि फसल की तैयारी में जुट गए हैं। इसी के साथ खेतों में लगातार पराली जलाने का सिलसिला भी शुरू हो गया है। किसान लगातार खेतों में पराली को आग के हवाले कर रहे हैं जिसके चलते प्रदूषण का खतरा मंडरा रहा है। वहीं इन किसानों को पराली जलाने से रोकने वाला भी कोई नहीं है।

दरअसल, जिला प्रशासन ने पैरादान करने का निर्देश दिया था। इसके बाद भी किसान लगातार पराली को आग के हवाले कर रहे हैं। जिसके कारण प्रदूषण फैलने की संभावना बढ़ गई है। नगरी सिहावा के आसपास के गांव के अधिकतर किसान पैरा में जलाते हुए नजर आ रहे है। वहीं विभागीय अधिकारी का उदासीनता के चलते भी किसान बेख़ौफ़ होकर पराली जला रहे हैं।

यह भी पढ़ें   छत्तीसगढ़: आज 295 नए कोरोना मरीज, 4 लोगों की मौत
Continue Reading
Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement

Trending