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छत्तीसगढ़

हिन्दुस्तान की बात कार्यक्रम में कहा लगातार तरक्की की ओर अग्रसर है छत्तीसगढ़

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रायपुर| कोरोना संकट के बावजूद छत्तीसगढ़ राज्य ने हर सेक्टर में उम्मीद से ज्यादा बेहतर प्रदर्शन किया है। हमारा लक्ष्य हर वर्ग को खुशहाल और समृद्ध बनाने का है। राज्य के संसाधनों का समुचित दोहन करते हुए सभी के सहयोग से हम छत्तीसगढ़ को आर्थिक रूप से समृद्ध और सशक्त बना सकते हैं। यह बाते मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज यहां आयोजित कार्यक्रम ‘‘हिन्दुस्तान की बात‘‘ के दौरान कही। उन्होेंने इस अवसर पर राज्य में शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्योग, पर्यावरण, समाज सेवा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले लोगों को सम्मानित किया। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले ढ़ाई साल में अनेक चुनौतियां आयी, जिसका छत्तीसगढ़ ने बड़े ही हौसले के साथ सामना किया। कोरोना संकट काल में भी छत्तीसगढ़ की तरक्की और विकास का पहिया गतिमान रहा। राज्य की संस्कृति और परंपरा को आगे बढ़ाते हुए सभी को स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार उपलब्ध कराने के लिए सरकार लगातार प्रयासरत है। किसानों की कर्जमाफी हो या उन्हें उनकी उपज का वाजिब मूल्य दिलाने की बात हो, सरकार ने हर क्षेत्र में अपना वायदा पूरा किया है। मध्यम और गरीब वर्ग को राहत देने के लिए बिजली बिल हाफ योजना लागू की गई है। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में हर वर्ग को रोजगार से जोड़ने के लिए पहल की जा रही है। लोगों की आय और क्रय शक्ति बढ़े, इस दिशा में काम हो रहा है। गौठानों में रूरल इंडस्ट्रीयल पार्क स्थापित किए जा रहे हैं, जहां ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को रोजगार देने के लिए प्रसंस्करण इकाईयों की स्थापना के साथ ही अन्य आर्थिक गतिविधियां संचालित की जा रही है। गौठानों में गोधन न्याय योजना के तहत खरीदे गए गोबर से वर्मीकम्पोस्ट बनाने से महिला समूहों को रोजगार मिल रहा है। गोधन न्याय योजना से पशुपालकों और ग्रामीणों को अतिरिक्त आय का जरिया मिला है। कई पशुपालक और ग्रामीण गोबर बेचकर लाखों रूपए कमा रहे हैं। सभी गांवों में गौठान बनाए जा रहे हैं। राज्य में 6 हजार गौठान निर्मित किए जा चुके हैं, जहां गोबर की खरीदी से लेकर आय उपार्जन की गतिविधियां संचालित की जा रही है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों को बढ़ाने के लिए तेलघानी बोर्ड, रजककार कल्याण बोर्ड, लौह शिल्प और चर्म शिल्प बोर्ड का गठन किया गया है।  

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वनांचल क्षेत्रों में लघुवनोंपज की खरीदी की जा रही है। पहले केवल सात लघुवनोपज की खरीदी की जाती थी इसे बढ़ाकर 52 कर दिया गया है। कोराना संकट काल में देश में कुल लघुवनोपज की खरीदी में 74 प्रतिशत लघुवनोपज की खरीदी छत्तीसगढ़ में हुई है। लघुवनोपज के प्रसंस्करण और वेल्यूएडिशन से रोजगार के नए अवसर मिल रहे है। छत्तीसगढ़ में बेराजगारी दर 22 प्रतिशत से घटकर 3 प्रतिशत रह गई है। राजीव गांधी किसान न्याय योजना से किसानों को इनपुट सब्सिडी दी जा रही हैं। पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी की जयंती पर आज 20 अगस्त को राज्य के किसानों को 1522 करोड़ रूपए की दूसरी किश्त की राशि उनके खातों में अंतरित की गई है। इस योजना से राज्य में खेती-किसानी के प्रति रूझान बढ़ा है।  

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मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना काल में छत्तीसगढ़ का जीएसटी कलेक्शन में अच्छा परफॉर्मेंस रहा है। राज्य इस्पात उत्पादन में देश में पहले स्थान पर रहा है। कोराना काल में पूरे देश को आक्सीजन देने का काम छत्तीसगढ़ ने किया, इसमें राज्य के स्टील उद्योगों की सार्थक भागीदारी रही है। नई उद्योग नीति में राज्य में उद्योग विशेषकर कृषि उद्योग एवं वनांचल में उद्योग की स्थापना पर कई तरह की रियायतों का प्रावधान किया गया है। इससे उद्यमी राज्य में उद्योग लगाने के लिए आकर्षित हुए हैं। 

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Bilaspur के नामी LCIT Group of Institutions का छात्रों के साथ भयानक फर्जीवाड़ा : वादे बड़े-बड़े, हकीकत पानी-पानी!

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LCIT Group of College bilaspur

बिलासपुर: LCIT Group of Institutions – Bilaspur, जो हर साल एडमिशन के दौरान बड़े-बड़े वादे और लुभावने दावे करता है, उसकी सच्चाई अब धीरे-धीरे सामने आने लगी है। दावा किया जाता है कि यहां आधुनिक लैब्स, अनुभवी फैकल्टी और विश्वस्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर मिलेगा — लेकिन ग्राउंड रियलिटी कुछ और ही कहानी बयां कर रही है।

बारिश आई, लैब्स ने छलनी बनकर स्वागत किया!
हमें मिले वीडियो में कॉलेज की लैब्स से टपकती छतें साफ़ दिखाई दे रही हैं। जहां स्टूडेंट्स को मशीनों के साथ प्रैक्टिकल करना चाहिए था, वहां अब पानी से बचने के लिए प्लास्टिक की बाल्टियाँ रखी जा रही हैं। सवाल ये उठता है कि जब प्रयोगशालाएं ही सुरक्षित नहीं, तो शिक्षा कितनी सुरक्षित होगी?

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फैकल्टी? बस कागज़ों पर!
सूत्रों के अनुसार, यहां कई फैकल्टी सदस्य केवल ऑन पेपर मौजूद हैं। यानी नाम तो है, पर काम में कहीं नजर नहीं आते। छात्रों का कहना है कि कई विषयों की क्लास ही नियमित नहीं होती।

इंजीनियरिंग प्रिंसिपल भी सिर्फ नाम के!
कहा जा रहा है कि इंजीनियरिंग कॉलेज का प्रिंसिपल भी फुल टाइम नहीं है, बल्कि केवल औपचारिकता निभाने के लिए कागजों पर मौजूद हैं। यह छात्रों के भविष्य के साथ खुला मज़ाक है।

स्टाफ की नियुक्ति पर भी सवाल
बताया जा रहा है कि अधिकांश स्टाफ या तो यहीं के पुराने छात्र हैं या फिर अन्य कॉलेज से किसी वजह से हटाए गए लोग हैं। इससे शिक्षा की गुणवत्ता पर गंभीर प्रश्नचिह्न लग जाता है।

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🎙 बिलासपुर के इस संस्थान की मार्केटिंग चमचमाती है, लेकिन हकीकत में ढहती छतें, दिखावटी स्टाफ और खोखले दावे छात्रों के सपनों के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। ज़रूरत है कि शिक्षा को सिर्फ व्यापार न बनाकर, जिम्मेदारी समझा जाए

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छत्तीसगढ़

CG News: सुरक्षाबलों की बड़ी कामयाबी, घने जंगलों से भारी मात्रा में नक्सल सामग्री बरामद

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बीजापुर के कोमटपल्ली के जंगलों से जवानों ने भारी मात्रा में नक्सल सामग्री बरामद किया है। घने जंगल में पहाड़ों के बीच नक्सलियों ने सामग्री छुपाकर रखा था।

बीजापुर: छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में सुरक्षाबलों के जवानों को बड़ी सफलता मिली है। जवानों ने भारी मात्रा में नक्सल सामग्री बरामद किया है। नक्सलियों ने कोमटपल्ली जंगल-पहाड़ में बड़े चट्टानों के बीच हथियार और अन्य सामान छुपा कर रखा था। जिसे सर्चिंग के दौरान जवानों की संयुक्त टीम ने बरामद किया है।

बरामद किए गए सामग्रियों में गैस वेल्डिंग मशीन मय नोजल, आक्सीजन सिलेण्डर, गैस वेल्डिंग में उपयोग आने वाला पावडर- 8 डिब्बा, इन्वर्टर- 1 नग, स्टेबलाईजर 5 नग, स्टील कंटेनर 3 नग, कमर्सियल मोटर 3 नग, ब्लोवर(धौकनी मशीन)- 2 नग, ग्लेण्डर मोटर- 1 नग, वेल्डिंग राड 200 नग, टुकड़ा लोहे का राड छोटा बड़ा 3- 3 नग, खाली मैग्जीन 3 नग, इलेक्ट्रिक स्वीच- 65 नग, रायफल सिलिंग -08 नग और 2 नग पोच शामिल है।

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छत्तीसगढ़

निर्देश के बाद भी लापरवाही: धड़ल्ले से जल रही पराली, प्रदूषण बढ़ने का मंडरा रहा खतरा

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नगरी में रबि फसल की तैयारी के लिए किसान लगातार खेतों में पराली को आग के हवाले कर रहे हैं। जिसके चलते प्रदूषण का खतरा मंडरा रहा है।

छत्तीसगढ़ के नगरी के किसान इन दिनों रबि फसल की तैयारी में जुट गए हैं। इसी के साथ खेतों में लगातार पराली जलाने का सिलसिला भी शुरू हो गया है। किसान लगातार खेतों में पराली को आग के हवाले कर रहे हैं जिसके चलते प्रदूषण का खतरा मंडरा रहा है। वहीं इन किसानों को पराली जलाने से रोकने वाला भी कोई नहीं है।

दरअसल, जिला प्रशासन ने पैरादान करने का निर्देश दिया था। इसके बाद भी किसान लगातार पराली को आग के हवाले कर रहे हैं। जिसके कारण प्रदूषण फैलने की संभावना बढ़ गई है। नगरी सिहावा के आसपास के गांव के अधिकतर किसान पैरा में जलाते हुए नजर आ रहे है। वहीं विभागीय अधिकारी का उदासीनता के चलते भी किसान बेख़ौफ़ होकर पराली जला रहे हैं।

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