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छत्तीसगढ़

4 नवंबर 2024 को भारतीय रेलवे में रिकार्ड 3 करोड़ यात्रियों ने यात्रा किया

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24 घंटे के भीतर यात्रा किए गए इन यात्रियों की संख्या ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड की जनसंख्या से अधिक है ।

भारतीय रेलवे द्वारा 1 अक्टूबर से आज 11 नवंबर तक 5,489 स्पेशल ट्रेनें चलाई गई हैं।

दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे द्वारा दीपावली एवं छठ पूजा के अवसर पर 07 जोड़ी स्पेशल ट्रेनों का सफल संचालन ।

बिलासपुर – सोमवार यानी 4 नवंबर 2024 को रेलवे ने एक दिन में सर्वाधिक यात्रियों को हैंडल किया । रेलवे में तीन करोड़ यात्री सवार हुए, जो ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड की संयुक्त जनसंख्या से अधिक है । 4 नवंबर 2024 को 120.72 लाख (19.43 लाख आरक्षित और 101.29 लाख बिना आरक्षित) यात्री सफर किये तथा 180 लाख उपनगरीय यात्री रेलवे द्वारा ट्रैक किए गए । यह वर्तमान वर्ष के लिए एक दिन का सबसे बड़ा यात्री आंकड़ा था ।

दुर्गापूजा/दीवाली/छठ की अतिरिक्त भीड़ को सुविधा प्रदान करने के लिए, भारतीय रेलवे द्वारा इस वर्ष 1 अक्टूबर 2024 से 30 नवंबर 2024 के बीच कुल 7,666 विशेष ट्रेन सेवाओं की घोषणा की गई है । पिछले वर्ष इसी अवधि में 4,429 ट्रिप चलाई गई थीं । यह पिछले वर्ष से 73% अधिक है । भारतीय रेलवे द्वारा 1 अक्टूबर से आज 11 नवंबर के बीच 5,489 विशेष ट्रेनें चलाई गई हैं, जिसमें 3 नवंबर को: 207 ट्रेनें, 4 नवंबर को: 203 ट्रेनें, 5 नवंबर को: 171 ट्रेनें, 6 नवंबर को: 164 ट्रेनें, 7 नवंबर को: 164 ट्रेनें, 8 नवंबर को: 164 ट्रेनें, 9 नवंबर को: 160 ट्रेनें, 10 नवंबर को: 161 ट्रेनें एवं 11 नवंबर को: 155 स्पेशल ट्रेनों का परिचालन शामिल है ।

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इसी कड़ी में दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में दीपावली एवं छठ पूजा के अवसर पर यात्रियों की सुविधा एवं यात्रा की बढ़ती मांग को ध्यान में रखते हुए 7 जोड़ी स्पेशल ट्रेनों का परिचालन किया गया । इन स्पेशल ट्रेनों में (1) दुर्ग-पटना-दुर्ग, दीवाली स्पेशल एक फेरे के लिए (2) बिलासपुर-लोकमान्य तिलक टर्मिनल-बिलासपुर, दीवाली स्पेशल एक फेरे के लिए (3) गोंदिया-छपरा-गोंदिया, छठ स्पेशल दो फेरों के लिए (4) गोंदिया-पटना-गोंदिया, छठ स्पेशल दो फेरों के लिए (5) दुर्ग-अमृतसर-दुर्ग, फेस्टिवल स्पेशल दो फेरों के लिए (6) बिलासपुर-हडपसर-बिलासपुर, फेस्टिवल स्पेशल एक फेरे के लिए तथा (7) सनतनगर-रायपुर-सनतनगर, फेस्टिवल स्पेशल ट्रेन शामिल है । इन स्पेशल ट्रेनों में रेल यात्रियों को अधिक से अधिक कन्फर्म बर्थ/सीट की सुविधा उपलब्ध कराई गई, जिससे यात्रियों को अपने गंतव्य तक पहुंचने में सहूलियत मिली ।

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रेलवे ने भीड़ प्रबंधन के तहत प्रमुख स्टेशनों पर विशेष प्रबंध किए, जिससे यात्रियों को सुरक्षित, सुव्यवस्थित एवं सुविधाजनक यात्रा अनुभव प्राप्त हुआ । दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के बिलासपुर, रायपुर, दुर्ग, रायगढ़, गोंदिया, चांपा, नेताजी सुभाषचंद्र बोस इतवारी, अनूपपुर जैसे प्रमुख स्टेशनों पर भीड़ प्रबंधन प्रबंधन हेतु रेलवे सुरक्षा बल, टिकट चेकिंग, कामर्शियल व अन्य रेलवे कर्मचारियों तथा स्काउट एंड गाइड व सिविल डिफेंस के स्वयंसेवकों के साथ सामंजस्य स्थापित करते हुए प्रबंध किया गया ।

दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे द्वारा यात्रियों को निरंतर बेहतर सेवाएँ उपलब्ध कराने की दिशा में यह कदम उठाया गया है, जिससे पर्व के अवसर पर यात्रियों को किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े ।

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Bilaspur के नामी LCIT Group of Institutions का छात्रों के साथ भयानक फर्जीवाड़ा : वादे बड़े-बड़े, हकीकत पानी-पानी!

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LCIT Group of College bilaspur

बिलासपुर: LCIT Group of Institutions – Bilaspur, जो हर साल एडमिशन के दौरान बड़े-बड़े वादे और लुभावने दावे करता है, उसकी सच्चाई अब धीरे-धीरे सामने आने लगी है। दावा किया जाता है कि यहां आधुनिक लैब्स, अनुभवी फैकल्टी और विश्वस्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर मिलेगा — लेकिन ग्राउंड रियलिटी कुछ और ही कहानी बयां कर रही है।

बारिश आई, लैब्स ने छलनी बनकर स्वागत किया!
हमें मिले वीडियो में कॉलेज की लैब्स से टपकती छतें साफ़ दिखाई दे रही हैं। जहां स्टूडेंट्स को मशीनों के साथ प्रैक्टिकल करना चाहिए था, वहां अब पानी से बचने के लिए प्लास्टिक की बाल्टियाँ रखी जा रही हैं। सवाल ये उठता है कि जब प्रयोगशालाएं ही सुरक्षित नहीं, तो शिक्षा कितनी सुरक्षित होगी?

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फैकल्टी? बस कागज़ों पर!
सूत्रों के अनुसार, यहां कई फैकल्टी सदस्य केवल ऑन पेपर मौजूद हैं। यानी नाम तो है, पर काम में कहीं नजर नहीं आते। छात्रों का कहना है कि कई विषयों की क्लास ही नियमित नहीं होती।

इंजीनियरिंग प्रिंसिपल भी सिर्फ नाम के!
कहा जा रहा है कि इंजीनियरिंग कॉलेज का प्रिंसिपल भी फुल टाइम नहीं है, बल्कि केवल औपचारिकता निभाने के लिए कागजों पर मौजूद हैं। यह छात्रों के भविष्य के साथ खुला मज़ाक है।

स्टाफ की नियुक्ति पर भी सवाल
बताया जा रहा है कि अधिकांश स्टाफ या तो यहीं के पुराने छात्र हैं या फिर अन्य कॉलेज से किसी वजह से हटाए गए लोग हैं। इससे शिक्षा की गुणवत्ता पर गंभीर प्रश्नचिह्न लग जाता है।

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🎙 बिलासपुर के इस संस्थान की मार्केटिंग चमचमाती है, लेकिन हकीकत में ढहती छतें, दिखावटी स्टाफ और खोखले दावे छात्रों के सपनों के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। ज़रूरत है कि शिक्षा को सिर्फ व्यापार न बनाकर, जिम्मेदारी समझा जाए

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छत्तीसगढ़

CG News: सुरक्षाबलों की बड़ी कामयाबी, घने जंगलों से भारी मात्रा में नक्सल सामग्री बरामद

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बीजापुर के कोमटपल्ली के जंगलों से जवानों ने भारी मात्रा में नक्सल सामग्री बरामद किया है। घने जंगल में पहाड़ों के बीच नक्सलियों ने सामग्री छुपाकर रखा था।

बीजापुर: छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में सुरक्षाबलों के जवानों को बड़ी सफलता मिली है। जवानों ने भारी मात्रा में नक्सल सामग्री बरामद किया है। नक्सलियों ने कोमटपल्ली जंगल-पहाड़ में बड़े चट्टानों के बीच हथियार और अन्य सामान छुपा कर रखा था। जिसे सर्चिंग के दौरान जवानों की संयुक्त टीम ने बरामद किया है।

बरामद किए गए सामग्रियों में गैस वेल्डिंग मशीन मय नोजल, आक्सीजन सिलेण्डर, गैस वेल्डिंग में उपयोग आने वाला पावडर- 8 डिब्बा, इन्वर्टर- 1 नग, स्टेबलाईजर 5 नग, स्टील कंटेनर 3 नग, कमर्सियल मोटर 3 नग, ब्लोवर(धौकनी मशीन)- 2 नग, ग्लेण्डर मोटर- 1 नग, वेल्डिंग राड 200 नग, टुकड़ा लोहे का राड छोटा बड़ा 3- 3 नग, खाली मैग्जीन 3 नग, इलेक्ट्रिक स्वीच- 65 नग, रायफल सिलिंग -08 नग और 2 नग पोच शामिल है।

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छत्तीसगढ़

निर्देश के बाद भी लापरवाही: धड़ल्ले से जल रही पराली, प्रदूषण बढ़ने का मंडरा रहा खतरा

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नगरी में रबि फसल की तैयारी के लिए किसान लगातार खेतों में पराली को आग के हवाले कर रहे हैं। जिसके चलते प्रदूषण का खतरा मंडरा रहा है।

छत्तीसगढ़ के नगरी के किसान इन दिनों रबि फसल की तैयारी में जुट गए हैं। इसी के साथ खेतों में लगातार पराली जलाने का सिलसिला भी शुरू हो गया है। किसान लगातार खेतों में पराली को आग के हवाले कर रहे हैं जिसके चलते प्रदूषण का खतरा मंडरा रहा है। वहीं इन किसानों को पराली जलाने से रोकने वाला भी कोई नहीं है।

दरअसल, जिला प्रशासन ने पैरादान करने का निर्देश दिया था। इसके बाद भी किसान लगातार पराली को आग के हवाले कर रहे हैं। जिसके कारण प्रदूषण फैलने की संभावना बढ़ गई है। नगरी सिहावा के आसपास के गांव के अधिकतर किसान पैरा में जलाते हुए नजर आ रहे है। वहीं विभागीय अधिकारी का उदासीनता के चलते भी किसान बेख़ौफ़ होकर पराली जला रहे हैं।

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