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छत्तीसगढ़

युवाओं को सांस्कृतिक गतिविधियों से जोड़ने युवा उत्सव 2022-23 का होगा आयोजन

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बेमेतरा| प्रदेश के युवाओं को सांस्कृतिक गतिविधियों से जोड़ने एवं उनकी प्रतिभा को निखारने के उद्देश्य से युवा उत्सव 2022-23 का आयोजन किया जा रहा है। युवा उत्सव का आयोजन विकासखण्ड, जिला, संभाग और राज्य स्तर पर किया जाएगा। विकासखण्ड युवा उत्सव का आयोजन 15 नवंबर 2022 तक, जिला स्तरीय युवा उत्सव का आयोजन 16 नवंबर से 10 दिसंबर तक, संभाग स्तरीय युवा उत्सव का आयोजन 11 दिसंबर से 31 दिसंबर तक और राज्य स्तरीय युवा उत्सव का आयोजन 12 से 14 जनवरी 2023 तक किया जाएगा। युवा उत्सव का आयोजन दो आयु वर्ग 15 से 40 वर्ष तक एवं 40 वर्ष से अधिक आयु वर्ग में किया जाएगा।


युवा उत्सव का आयोजन खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा किया जा रहा है। आयोजन के संबंध में खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देशों के अनुसार युवा वर्ग में 18 विधाओं में प्रतियोगिताएं होंगी। इन विधाओं में लोकनृत्य, लोकगीत, एकांकी नाटक (हिन्दी, अंग्रेजी भाषा, छत्तीसगढ़ी), शास्त्रीय गायन हिन्दुस्तानी शैली, शास्त्रीय गायन कर्नाटक शैली, सितार वादन (शास्त्रीय वादन), बांसुरी वादन (शास्त्रीय वादन), तबला वादन (शास्त्रीय वादन), वीणा वादन (शास्त्रीय वादन), मृदगंम वादन(शास्त्रीय वादन), हारमोनियम वादन (सुगम वादन), गिटार वादन (भारतीय एवं पाश्चात्य संगीत), मणीपुरी (शास्त्रीय नृत्य), ओडिसी (शास्त्रीय नृत्य), भरतनाट्यम (शास्त्रीय नृत्य), कत्थक (शास्त्रीय नृत्य), कुचीपुड़ी (शास्त्रीय नृत्य), वक्तृत्व कला (शास्त्रीय नृत्य) शामिल हैं।

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उपरोक्त विधाओं के अतिरिक्त पारंपरिक एवं अन्य गतिविधियां भी आयोजन में सम्मिलित होंगी। इनमें सुआ, पंथी, करमा नाचा, सरहुल नाचा, बस्तरिहा लोकनृत्य, राउत नाचा, फुगड़ी, भौंरा, गेड़ी दौड़, रॉक बैंड (सीधे राज्य स्तर पर सम्मिलित किया जाएगा), पारंपरिक वेशभूषा (विविध वेशभूषा) प्रतियोगिता, फूड फेस्टिवल-छत्तीसगढ़ी व्यंजनों के आधार पर प्रतियोगिता, चित्रकला प्रतियोगिता-छत्तीसगढ़ के लोक संस्कृति के चित्रण के आधार पर, कबड्डी, खो-खो, कुश्ती, मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के द्वारा की गई घोषणानुसार राज्य के लोक साहित्य को भी शामिल किया गया है। छत्तीसगढ़ राज्य विविध संस्कृति एवं विविध बोलियों वाला प्रदेश है, अतः जिला स्तर पर स्थानीय लोक कला (जैसे-पेंटिंग, हैण्डीक्राप्ट, भित्तीचित्र एवं अन्य), लोक भाषा का साहित्य जैसे गोंडी, हल्बी, कुडूक आदि एवं अन्य सभी लोक भाषा के जो भी लोक कलाकार प्रस्तुति देना चाहें, यदि वे छत्तीसगढ़ की संस्कृति का प्रतिनिधित्व करते हों, उन सभी को जिला स्तर पर शामिल किया जाएगा। बौद्धिक श्रेणी में वाद-विवाद (तात्कालिक एवं समसमायिक विषयक), क्विज, निबंध प्रतियोगिताएं होंगी।

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Bilaspur के नामी LCIT Group of Institutions का छात्रों के साथ भयानक फर्जीवाड़ा : वादे बड़े-बड़े, हकीकत पानी-पानी!

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LCIT Group of College bilaspur

बिलासपुर: LCIT Group of Institutions – Bilaspur, जो हर साल एडमिशन के दौरान बड़े-बड़े वादे और लुभावने दावे करता है, उसकी सच्चाई अब धीरे-धीरे सामने आने लगी है। दावा किया जाता है कि यहां आधुनिक लैब्स, अनुभवी फैकल्टी और विश्वस्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर मिलेगा — लेकिन ग्राउंड रियलिटी कुछ और ही कहानी बयां कर रही है।

बारिश आई, लैब्स ने छलनी बनकर स्वागत किया!
हमें मिले वीडियो में कॉलेज की लैब्स से टपकती छतें साफ़ दिखाई दे रही हैं। जहां स्टूडेंट्स को मशीनों के साथ प्रैक्टिकल करना चाहिए था, वहां अब पानी से बचने के लिए प्लास्टिक की बाल्टियाँ रखी जा रही हैं। सवाल ये उठता है कि जब प्रयोगशालाएं ही सुरक्षित नहीं, तो शिक्षा कितनी सुरक्षित होगी?

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फैकल्टी? बस कागज़ों पर!
सूत्रों के अनुसार, यहां कई फैकल्टी सदस्य केवल ऑन पेपर मौजूद हैं। यानी नाम तो है, पर काम में कहीं नजर नहीं आते। छात्रों का कहना है कि कई विषयों की क्लास ही नियमित नहीं होती।

इंजीनियरिंग प्रिंसिपल भी सिर्फ नाम के!
कहा जा रहा है कि इंजीनियरिंग कॉलेज का प्रिंसिपल भी फुल टाइम नहीं है, बल्कि केवल औपचारिकता निभाने के लिए कागजों पर मौजूद हैं। यह छात्रों के भविष्य के साथ खुला मज़ाक है।

स्टाफ की नियुक्ति पर भी सवाल
बताया जा रहा है कि अधिकांश स्टाफ या तो यहीं के पुराने छात्र हैं या फिर अन्य कॉलेज से किसी वजह से हटाए गए लोग हैं। इससे शिक्षा की गुणवत्ता पर गंभीर प्रश्नचिह्न लग जाता है।

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🎙 बिलासपुर के इस संस्थान की मार्केटिंग चमचमाती है, लेकिन हकीकत में ढहती छतें, दिखावटी स्टाफ और खोखले दावे छात्रों के सपनों के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। ज़रूरत है कि शिक्षा को सिर्फ व्यापार न बनाकर, जिम्मेदारी समझा जाए

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छत्तीसगढ़

CG News: सुरक्षाबलों की बड़ी कामयाबी, घने जंगलों से भारी मात्रा में नक्सल सामग्री बरामद

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बीजापुर के कोमटपल्ली के जंगलों से जवानों ने भारी मात्रा में नक्सल सामग्री बरामद किया है। घने जंगल में पहाड़ों के बीच नक्सलियों ने सामग्री छुपाकर रखा था।

बीजापुर: छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में सुरक्षाबलों के जवानों को बड़ी सफलता मिली है। जवानों ने भारी मात्रा में नक्सल सामग्री बरामद किया है। नक्सलियों ने कोमटपल्ली जंगल-पहाड़ में बड़े चट्टानों के बीच हथियार और अन्य सामान छुपा कर रखा था। जिसे सर्चिंग के दौरान जवानों की संयुक्त टीम ने बरामद किया है।

बरामद किए गए सामग्रियों में गैस वेल्डिंग मशीन मय नोजल, आक्सीजन सिलेण्डर, गैस वेल्डिंग में उपयोग आने वाला पावडर- 8 डिब्बा, इन्वर्टर- 1 नग, स्टेबलाईजर 5 नग, स्टील कंटेनर 3 नग, कमर्सियल मोटर 3 नग, ब्लोवर(धौकनी मशीन)- 2 नग, ग्लेण्डर मोटर- 1 नग, वेल्डिंग राड 200 नग, टुकड़ा लोहे का राड छोटा बड़ा 3- 3 नग, खाली मैग्जीन 3 नग, इलेक्ट्रिक स्वीच- 65 नग, रायफल सिलिंग -08 नग और 2 नग पोच शामिल है।

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छत्तीसगढ़

निर्देश के बाद भी लापरवाही: धड़ल्ले से जल रही पराली, प्रदूषण बढ़ने का मंडरा रहा खतरा

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नगरी में रबि फसल की तैयारी के लिए किसान लगातार खेतों में पराली को आग के हवाले कर रहे हैं। जिसके चलते प्रदूषण का खतरा मंडरा रहा है।

छत्तीसगढ़ के नगरी के किसान इन दिनों रबि फसल की तैयारी में जुट गए हैं। इसी के साथ खेतों में लगातार पराली जलाने का सिलसिला भी शुरू हो गया है। किसान लगातार खेतों में पराली को आग के हवाले कर रहे हैं जिसके चलते प्रदूषण का खतरा मंडरा रहा है। वहीं इन किसानों को पराली जलाने से रोकने वाला भी कोई नहीं है।

दरअसल, जिला प्रशासन ने पैरादान करने का निर्देश दिया था। इसके बाद भी किसान लगातार पराली को आग के हवाले कर रहे हैं। जिसके कारण प्रदूषण फैलने की संभावना बढ़ गई है। नगरी सिहावा के आसपास के गांव के अधिकतर किसान पैरा में जलाते हुए नजर आ रहे है। वहीं विभागीय अधिकारी का उदासीनता के चलते भी किसान बेख़ौफ़ होकर पराली जला रहे हैं।

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