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छत्तीसगढ़

गोधन न्याय योजना से जिले में जैविक खेती पद्धति को मिल रहा बढ़ावा, बाजार से कम दर पर उपलब्ध है समितियों में वर्मी और सुपर कम्पोस्ट खाद

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बिलासपुर 09 जुलाई 2021।

शासन की महत्वाकांक्षी योजना ‘‘नरवा, गरूवा, घुरूवा एवं बाड़ी’’ के तहत गोठानों की गतिविधियों में विस्तार करते हुए गोधन न्याय योजना से सुराजी ग्रामों में बने 102 गौठानों में पशुपालकों एवं गोबर विक्रेताओं से गोबर क्रय किया जा रहा है जिसके कारण गांव, गरीब एवं किसानों को आर्थिक सहायता के साथ-साथ गौ संरक्षण में लाभ मिल रहा है एवं फसलों के अकस्मात चराई से भी निजात मिल रही है। छत्तीसगढ़ शासन की इस योजना से गौपालक प्रोत्साहित हो रहे है।

गोधन न्याय योजना के तहत गौठानों में निर्मित वर्मी एवं सुपर कम्पोस्ट खाद की शासन द्वारा निर्धारित विक्रय दर खुले बाजार की अपेक्षा कम है, जिससे कम कीमत पर उच्च गुणवत्ता युक्त खाद किसानों के लिए उपलब्ध है।

जिले के सभी किसान निश्चिंत होकर गौठानों में उत्पादित वर्मी कम्पोस्ट खाद एवं सुपर कम्पोस्ट खाद क्रय कर खेतों में उपयोग कर सकते है क्योंकि शासन द्वारा संचालित लैब में गुणवत्ता परीक्षण किये जाने के उपरांत ही गौठानों से पैकिंग कर सहकारी समितियों के माध्यम से खाद का विक्रय किया जा रहा है। वर्तमान में वर्मी खाद का उठाव सोसाईटी के माध्यम से परमिट में कृषकों द्वारा उठाव किया जा रहा है। जो किसान वर्मी खाद खरीदना चाहते है वे निकटतम सहकारी समिति या ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी से संपर्क कर प्राप्त कर सकते है।

उप संचालक कृषि शशांक शिंदे ने बताया कि वर्तमान में जिले में खरीफ की बोनी का रकबा 1,79,000 हेक्टयेर है, जिसमें से 53,000 हेक्टयेर रकबे में धान की बोनी हो चुकी है साथ ही धान के साथ-साथ अन्य सुगंधित धान, मक्का, दलहन एवं तिलहन फसलों की बोनी का कार्य द्रुतगति से प्रगति पर है। वर्तमान में गौधन न्याय योजना अंतर्गत जिले के 102 गौठानों में कृषि विभाग के तकनीकी मागदर्शन में महिला स्व-सहायता समूहों के माध्यम से उच्चगुणवत्ता युक्त 16700 क्विंटल वर्मी खाद एवं 13500 क्विंटल सुपर कम्पोस्ट खाद का उत्पादन किया जा चुका है। जिसमें से 10297.41 क्विंटल वर्मी खाद एवं 3500 क्विंटल सुपर कम्पोस्ट खाद का क्रय जिले के 9000 कृषकों द्वारा किया गया हैं। शासन द्वारा निर्धारित दर पर वर्मी कम्पोस्ट 10 रू. प्रति कि.ग्रा. तथा सुपर कम्पोस्ट 6 रू. प्रति कि.ग्रा. दर से सहकारी समितियों के माध्यम से विक्रय किया जा रहा है जिससे ग्रामीण क्षेत्र के सैकड़ों महिलाओं को रोजगार प्राप्त हो रहा है।


वर्मी कम्पोस्ट खाद में 1.5 प्रतिशत नत्रजन, 0.7 प्रतिशत फास्फोरस तथा 0.8 प्रतिशत पोटेशियम उपलब्ध होता है जिससे भूमि की उपजाऊ क्षमता तथा जल संधारण की क्षमता में वृद्धि होती है। भूमि में वर्मी कम्पोस्ट का उपयोग करने से छोटे-छोटे केंचुओं के अण्डे भी खेतों में पहुंच जाते हैं, जिससे भूमि के प्राकृतिक रंध्रों के साथ कार्बनिक क्षमता में वृद्धि होती है एवं ज्यादा मात्रा में उत्पादन के साथ-साथ गुणवत्ता युक्त पैदावार प्राप्त होती है।

धान फसल में 75 प्रतिशत रासायनिक खाद के साथ 250 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर वर्मी कम्पोस्ट खाद का उपयोग करना लाभप्रद होता है। सभी किसान धान स्वर्णा, महामाया जैसे किस्मों के लिए 163 कि.ग्रा. युरिया 281 कि.ग्रा. एस.एस.पी. एवं 50 कि.ग्रा. पोटाश के साथ 250 कि.ग्रा. वर्मी कम्पोस्ट खाद का उपयोग प्रति हेक्टेयर खेतों में कर सकते है। साथ ही इस प्रकार सुगंधित एवं पतला धान फसल में 98 कि.ग्रा. यूरिया 234 कि.ग्रा. एस.एस.पी. तथा 63 कि.ग्रा. पोटाश के साथ 250 कि.ग्रा. वर्मी कम्पोस्ट खाद का उपयोग प्रति हेक्टेयर खेतों में कर सकते है। इसी तरह से सब्जी उत्पादक किसान रासायनिक खाद के 75 प्रतिशत मात्रा के साथ 500 कि.ग्रा. वर्मी कम्पोस्ट खाद का उपयोग प्रति हेक्टेयर सब्जी फसल में कर सकते है। वर्मी खाद का उपयोग बोनी के समय बेसल डोज के रूप में किया जाता है। साथ ही रोपा लगाने वाले किसान रोपा के समय में तथा रोपा के 30 दिन पश्चात् यूरिया के दूसरे डोज के समय में भी इसका उपयोग कर सकते है।

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Bilaspur के नामी LCIT Group of Institutions का छात्रों के साथ भयानक फर्जीवाड़ा : वादे बड़े-बड़े, हकीकत पानी-पानी!

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LCIT Group of College bilaspur

बिलासपुर: LCIT Group of Institutions – Bilaspur, जो हर साल एडमिशन के दौरान बड़े-बड़े वादे और लुभावने दावे करता है, उसकी सच्चाई अब धीरे-धीरे सामने आने लगी है। दावा किया जाता है कि यहां आधुनिक लैब्स, अनुभवी फैकल्टी और विश्वस्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर मिलेगा — लेकिन ग्राउंड रियलिटी कुछ और ही कहानी बयां कर रही है।

बारिश आई, लैब्स ने छलनी बनकर स्वागत किया!
हमें मिले वीडियो में कॉलेज की लैब्स से टपकती छतें साफ़ दिखाई दे रही हैं। जहां स्टूडेंट्स को मशीनों के साथ प्रैक्टिकल करना चाहिए था, वहां अब पानी से बचने के लिए प्लास्टिक की बाल्टियाँ रखी जा रही हैं। सवाल ये उठता है कि जब प्रयोगशालाएं ही सुरक्षित नहीं, तो शिक्षा कितनी सुरक्षित होगी?

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फैकल्टी? बस कागज़ों पर!
सूत्रों के अनुसार, यहां कई फैकल्टी सदस्य केवल ऑन पेपर मौजूद हैं। यानी नाम तो है, पर काम में कहीं नजर नहीं आते। छात्रों का कहना है कि कई विषयों की क्लास ही नियमित नहीं होती।

इंजीनियरिंग प्रिंसिपल भी सिर्फ नाम के!
कहा जा रहा है कि इंजीनियरिंग कॉलेज का प्रिंसिपल भी फुल टाइम नहीं है, बल्कि केवल औपचारिकता निभाने के लिए कागजों पर मौजूद हैं। यह छात्रों के भविष्य के साथ खुला मज़ाक है।

स्टाफ की नियुक्ति पर भी सवाल
बताया जा रहा है कि अधिकांश स्टाफ या तो यहीं के पुराने छात्र हैं या फिर अन्य कॉलेज से किसी वजह से हटाए गए लोग हैं। इससे शिक्षा की गुणवत्ता पर गंभीर प्रश्नचिह्न लग जाता है।

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🎙 बिलासपुर के इस संस्थान की मार्केटिंग चमचमाती है, लेकिन हकीकत में ढहती छतें, दिखावटी स्टाफ और खोखले दावे छात्रों के सपनों के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। ज़रूरत है कि शिक्षा को सिर्फ व्यापार न बनाकर, जिम्मेदारी समझा जाए

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छत्तीसगढ़

CG News: सुरक्षाबलों की बड़ी कामयाबी, घने जंगलों से भारी मात्रा में नक्सल सामग्री बरामद

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बीजापुर के कोमटपल्ली के जंगलों से जवानों ने भारी मात्रा में नक्सल सामग्री बरामद किया है। घने जंगल में पहाड़ों के बीच नक्सलियों ने सामग्री छुपाकर रखा था।

बीजापुर: छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में सुरक्षाबलों के जवानों को बड़ी सफलता मिली है। जवानों ने भारी मात्रा में नक्सल सामग्री बरामद किया है। नक्सलियों ने कोमटपल्ली जंगल-पहाड़ में बड़े चट्टानों के बीच हथियार और अन्य सामान छुपा कर रखा था। जिसे सर्चिंग के दौरान जवानों की संयुक्त टीम ने बरामद किया है।

बरामद किए गए सामग्रियों में गैस वेल्डिंग मशीन मय नोजल, आक्सीजन सिलेण्डर, गैस वेल्डिंग में उपयोग आने वाला पावडर- 8 डिब्बा, इन्वर्टर- 1 नग, स्टेबलाईजर 5 नग, स्टील कंटेनर 3 नग, कमर्सियल मोटर 3 नग, ब्लोवर(धौकनी मशीन)- 2 नग, ग्लेण्डर मोटर- 1 नग, वेल्डिंग राड 200 नग, टुकड़ा लोहे का राड छोटा बड़ा 3- 3 नग, खाली मैग्जीन 3 नग, इलेक्ट्रिक स्वीच- 65 नग, रायफल सिलिंग -08 नग और 2 नग पोच शामिल है।

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छत्तीसगढ़

निर्देश के बाद भी लापरवाही: धड़ल्ले से जल रही पराली, प्रदूषण बढ़ने का मंडरा रहा खतरा

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नगरी में रबि फसल की तैयारी के लिए किसान लगातार खेतों में पराली को आग के हवाले कर रहे हैं। जिसके चलते प्रदूषण का खतरा मंडरा रहा है।

छत्तीसगढ़ के नगरी के किसान इन दिनों रबि फसल की तैयारी में जुट गए हैं। इसी के साथ खेतों में लगातार पराली जलाने का सिलसिला भी शुरू हो गया है। किसान लगातार खेतों में पराली को आग के हवाले कर रहे हैं जिसके चलते प्रदूषण का खतरा मंडरा रहा है। वहीं इन किसानों को पराली जलाने से रोकने वाला भी कोई नहीं है।

दरअसल, जिला प्रशासन ने पैरादान करने का निर्देश दिया था। इसके बाद भी किसान लगातार पराली को आग के हवाले कर रहे हैं। जिसके कारण प्रदूषण फैलने की संभावना बढ़ गई है। नगरी सिहावा के आसपास के गांव के अधिकतर किसान पैरा में जलाते हुए नजर आ रहे है। वहीं विभागीय अधिकारी का उदासीनता के चलते भी किसान बेख़ौफ़ होकर पराली जला रहे हैं।

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